पिता के दर्द ने कराया आंचल से अविष्कार, बना दी अनोखी डिवाइस

कहते हैं आवश्यकता ही अविष्कार की जननी है, ऐसी ही कुछ कहानी है मुंबई की रहने वाली 15 साल की आंचल सिंह की। आंचल वैसे तो अभी पढ़ाई कर रही हैं, लेकिन उन्होंने इसी उम्र में वो कर दिया जिसके बारे में कम ही लोग सोच पाते हैं।
पिता के दर्द ने कराया आंचल से अविष्कार
आंचल ने ये सब किया अपने पिता के दर्द को देखने के बाद, दरअसल आंचल के पिता बीते दिनों हॉस्पिटल में भर्ती थे जहां उन्हें ड्रिप लगाई गई। ग्लूकोज बोतल के खत्म होने की जानकारी देने के लिए किसी न किसी को लगातार देखना पड़ता था। एक बार बोतल खत्म हो गई, नर्स बुलाने के लिए मां दौड़कर स्टाफ रूम गई। जब तक नर्स आती तब तक ड्रिप में खून आने लगा। जिससे पापा को बहुत तकलीफ हुई।
बनाया अनोखा डिवाइस
इसके बाद आंचल सिंह ने 300 रुपए में डिजिटल ड्रिप स्टैंड बनाया है। ये हॉस्पिटल में मरीज को चढ़ रही ड्रिप बोतल के खत्म होने की जानकारी समय से पहले स्टाफ रूम को बेड नंबर के साथ देगा। ताकि समय रहते दूसरी बोतल लग सके या ड्रिप बंद किया जा सके। आंचल कहती हैं कि ये मेडिकल साइंस के लिए बड़ी उपलब्धि हो सकती है।
ऐसे काम करता है ये डिवाइस
ये डिवाइस रेडियो फ्रीक्वेंसी के जरिए वेट सिस्टम पर आधारित है। आंचल ने बताया स्टैंड और पानी का बोतल वही है, बस जिस हुक पर बोतल को लटकाया जाता है। उसमें खुद का डेवेलप किया डिवाइस लगा दिया है। ये डिवाइस 50 मीटर की रेंज तक आसानी से काम करेगा। इसमें एक साथ 5 बेड को अटैच किया जा सकता है। बोतल में ग्लूकोज खत्म होते ही स्टाफ रूम में लगे वायरलेस बोर्ड पर बेड नंबर के साथ लाइट जलने लगेगी। इससे स्टाफ को मालूम हो जाएगा की किस बेड ड्रिप बोतल खत्म हो रहा है।
आंचल का परिवार
मुंबई की रहने वाली आंचल के पिता अखिलेश सिंह मुंबई के एक पेट्रोल पंप पर पेट्रोल भरने का काम करते हैं। मां नीतू सिंह हॉउस वाइफ हैं। एक छोटा भाई अनुराग है।
वो मुंबई के एबेन इंजर इंग्लिश हाईस्कूल में क्लास 9th में पढ़ती हैं। इन गर्मियों वो वाराणसी में कैथी गांव अपनी दादी के घर छुट्टियों में घूमने आई थीं, यहीं पर उन्होंने डिवाइस को डेवेलप किया। एक प्राइवेट इंस्टीट्यूट में आरएनडी (रिसर्च एंड डेवेलपमेंट) हेड श्याम चौरसिया ने बताया कि डिवाइस करोड़ों लोगों के लिए फायदेमंद है। इंडिया में मेडिकल साइंस में पहली बार ऐसी टेक्नॉलजी पर वर्क हुआ है। इसे जल्दी ही प्रोजेक्ट बनाकर यूपी और भारत सरकार स्वास्थ्य विभाग को भेजा जाएगा।
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