एक सॉफ्टवेयर बताएगा कि आपको कोरोना है कि नहीं
अब कोरोना (corona) जांच के लिए टेस्ट का तरीका बदलने वाला है। ट्रिपल आईटी भागलपुर (iiit bhagalpur) ने एक सॉफ्टवेयर (software) डेवलेप किया है जो एक्सरे (x-ray) को स्कैन करके बता देगा कि आपको कोरोना (corona) है कि नहीं। इस सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल कई दूसरी तरह की जांच में किया जा सकता है। मानव संसाधन विकास मंत्री (mhrd minister) डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक ने ट्ववीट करके इस सॉफ्टवेयर के लिए ट्रिपल आईटी के डायरेक्टर प्रो. अरविंद चौबे और उनकी टीम को बधाई दी है।
बेहद सस्ती है जांच
ट्रिपल आईटी भागलपुर (iiit bhagalpur) के इस सॉफ्टवेयर से जांच में तेजी तो आ ही सकती है। यह बेहद सस्ती भी है। एक जांच मात्र सौ रुपये में हो सकती है। इससे समय भी ज्यादा नहीं लगता। एक मिनट के भीतर ही सॉफ्टवेयर की मदद से यह पता लगाया जा सकता है कि व्यक्ति को कोराेन है कि नहीं। अभी जांच में टाइम लगता है और यह बहुत महंगी भी है। यह सॉफ्टवेयर एक मिनट से भी कम समय में यह पता लगा लेता है कि मरीज को सामान्य सर्दी, जुकाम है या कोरोना (corona)।
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टीबी, निमोनिया की जांच में भी काम आएगा
ट्रिपल आईटी (iiit bhagalpur) का सॉफ्टवेयर टीबी (tb) और निमोनिया जैसी बीमारियों की जांच में भी काम आएगा। यह सॉफ्टवेयर (software) एक्सरे (x-ray) को स्कैन करने के बाद कोरोना (corona) या अन्य बीमारियों की सटीक जानकारी दे सकता है। इस सॉफ्टवेयर के जरिए होने वाली जांच को आईसीएमआर भी जल्द ही अनुमति दे सकता है। इसके लिए आईसीएमआर (icmr) को पत्र भेजा जा चुका है। आईसीएमआर (icmr) को बता दिया गया है कि यह सॉफ्टवेयर किस तरीके से काम करता है।
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सुधार करके भेजा गया आईसीएमआर के पास
इस सॉफ्टवेयर (software) को मई में ही डेवलेप कर लिया गया था। फिर इसको आईसीएमआर (icmr) के पास भेजा गया था। आईसीएमआर (icmr) ने पाया कि इस तकनीक से टीबी और निमोनिया की भी जांच संभव है। इसलिए कुछ सुधार के लिए इसे वापस भेज दिया गया। अब इसमें कुछ और फीचर्स एड कर वापस आईसीएमआर को भेज दिया गया है। आईसीएमआर से एक से दो दिन के भीतर जांच के लिए अनुमति का प्रमाण पत्र मिल सकता है। इसी बीच एमएचआरडी मिनिस्टर ने इस सॉफ्टवेयर के लिए ट्रिपल आईटी को शुभकामनाएं दी हैं।
खरीदार आए सामने
ट्रिपल आईटी भागलपुर (iiit bhagalpur) द्वारा डेवलप सॉफ्टवेयर की मार्केट में पूछ होने लगी है। इसको खरीदने के लिए कई कंपनियां सामने आई हैं। सभी को आईसीएमआर (icmr) से अनुमति मिलने का इंतजार है। जैसे ही आईसीएमआर से हरी झंडी मिलती है, इसे जांच के लिए उपलब्ध करा दिया जाएगा। इसके पेटेंट के लिए भी आवेदन किया जा चुका है। यह बेहद सस्ता है और एक जांच का खर्च मात्र 100 रुपये ही आता है। इस सॉफ्टवेयर में सिर्फ एक्सरे की सॉफ्ट कॉपी ही स्कैन करके डालनी होती है। एक मिनट से भी कम समय में यह सॉफ्टवेयर कोरोना (corona) की सटीक जानकारी दे देता है।
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हेल्थ डिपार्टमेंट पर से बोझ होगा कम
अभी हल्की खांसी या जुकाम होने पर भी लोग कोरोना (corona) की जांच करवाने के लिए आ जाते हैं। इससे हेल्थ डिपार्टमेंट पर जांच का बोझ बढ़ जाता है। इस वजह से कोरोना (corona) से पीड़ित असली मरीजों को भी परेशानी का सामाना करना पड़ता है। आईसीएमआर की अनुमति मिलने के बाद हेल्थ डिपार्टमेंट का बोझ काफी कम हो जाएगा। सर्दी, खांसी वाले मरीजों को सिर्फ एक्सरे की प्लेट से ही कोरोना (corona) की पुष्टि हो जाएगी। सॉफ्टवेयर से पुष्टि होने के बाद मरीज का सैंपल लेकर फिर से जांच की जाएगी।
मेडिकल कॉलेज में हो चुका है ट्रायल
इस सॉफ्टवेयर की जानकारी एमएचआरडी (mhrd) और आईसीएमआर को देने के पहले भागलपुर के मेडिकल कॉलेज में इसका ट्रायल हो चुका है। नतीजे सौ प्रतिशत सही निकले। इसे कनाडा के कोरोना मरीज का डाटा बेस लेकर मई में तैयार कर लिया गया था। ट्रिपल आईटी डायरेक्टर (iiit bhagalpur) प्रो.अरविंद चौबे का कहना है कि सॉफ्टवेयर कोरोना जांच को आसान और सस्ता बना देगा।
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