महिलाओं ने किए हैं ये 5 आविष्कार

जब बात किसी आविष्कार या विज्ञान की आती है तो ऐसा माना जाता है कि महिलाओं में इतनी क्षमता नहीं है कि वे कोई नई खोज कर पाएं। ज्यादातर लोगों को ऐसा लगता है कि दुनिया में सारे आविष्कार पुरुषों ने ही किए हैं लेकिन कई ऐसी महिलाएं भी हुई हैं जिन्होंने ऐसी चीजों का आविष्कार किया है जो हम अपनी रोजमर्रा की जिंदगी में इस्तेमाल करते हैं। हम आपको बताने जा रहे हैं 5 ऐसी बेहतरीन खोज के बारे में जो इस विश्व को महिलाओं की देन हैं।
विंडशील्ड वाइपर ( Windshield Wipers )
गाड़ियों का सामने वाला कांच साफ करने में इस्तेमाल किए जाने वाले विंडशील्ड वाइपर की खोज का श्रेय मैरी एंडरसन ( Mary Anderson ) को जाता है। साल 1903 में उपयोग में लाए गए सबसे पहले विंडशील्ड वाइपर का इस्तेमाल हाथ से किया जाता था जिसमें चलती हुई कार के अंदर एक लेवर (छड़ी जैसे) को कांच पर घुमाया जाता था। साल 105 में मैरी ने अपनी इस खोज के अधिकार को एक कैनेडियन फर्म को बेचने की कोशिश की। परंतु उन्होंने मैरी को यह कहते हुए इंकार कर दिया "हमारे हिसाब से इसकी कोई व्यवसायिक उपयोगिता नहीं है जो किसी भी प्रोडक्ट के राइट को हमारी कंपनी द्वारा खरीदे जाने में जरूरी होते हैं।" साल 1920 के खत्म होते ऑटोमोबाइल व्यवसाय में जबरदस्त उछाल आया जिनमें मैरी के द्वारा डिजाइन किए गए विंडशील्ड वाइपर की काफी मांग थी। साल 1922 में कैडिलैक ( Cadillac ) पहली ऐसी कार बनाने वाली कंपनी थी जिसने ( विंडशील्ड वाइपर ) को स्टेंडर्ड इक्वीपमेंट के तौर पर अपना लिया था।

अदृश्य कांच ( Invisible glass)
साल 1935 में कैथरीन ब्लोगेट (Katherine Blodgett) ने ऐसा तरीका विकसित किया जिससे मोनोमोलेकुलर ( monomolecular ) यानी बहुत बारीक परत कांच या धातु पर एक बार में फैलाई जा सके। उन्होंने बैरियम स्टेरेट (barium stearate) एक किस्म का तत्व, की 44 परतें कांच पर चढ़ाई जिससे कांच 99 प्रतिशत (संचार) ट्रांसमिसिव हो गया। उनके इस प्रयोग से अदृश्य कांच ईजाद हुआ। कैथरीन ब्लोगेट ऐसी पहली महिला थी जिन्हें 1926 में भौतिकी में पीएचडी की उपाधी कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी द्वारा प्रदान की गई। उन्हें जनरल मोटर्स द्वारा हायर कर लिया गया था।

व्हाइट करेक्शन फ्लुइड ( White correction fluid )
टेक्सास के एक बैंक और ट्रस्ट में सेक्रेटरी के तौर पर काम करने वाली बेट्टे नेस्मिथ ग्राहम (Bette Nesmith Graham ) ने महसूस किया पूराने इलेक्ट्रिक टाइपराटर से होने वाली गलतियों को मिटाना मुश्किल था। एक दिन उन्होंने एक आर्टिस्ट (कलाकार) पर ध्यान दिया जो गलतियों को मिटाता नहीं था बल्कि हमेशा उन पर पैंट कर देता था। उसे देखकर ग्राहम ने फैसला किया वह गलतियों को मिटाने के बदले उन्हें पैंट कर देंगी। वह टेंपरा वाटर-बेस्ड पैंट को एक बोतल में भरकर अपने ऑफिस ले गईं।
ग्राहम ने पांच साल तक सफेद रंग से करेक्शन किए। इस दौरान अपने बेटे की कैमिस्ट्री टीचर की मदद से इस कलर को और बेहतर बना लिया। उनके कुछ बॉस ने उन्हें ऐसा करने से मना किया परंतु उनके साथी अक्सर उनसे यह कलर मांगते थे। बाद में 1956 में उन्होंने टाइपराइटर की गलतियों को छुपाने के लिए इस्तेमाल होने वाले रंग को 'मिस्टेक आउट' के नाम से बेचना शुरू कर दिया। जिसका नाम बदलकर 'लिक्विड पेपर' कर दिया गया जब उन्होंने अपनी स्वयं की कंपनी खोली। साल 1979 में उन्होंने लिक्विड पेपर को जिलेट कॉर्पोरेशन को 47.5 मिलियन डॉलर में बेच दिया। इस समय उनकी कंपनी में 200 कर्मचारी काम कर रहे थे जिसमें 25 मिलियन लिक्विड पेपर की बोतल बनतीं थीं।

कोबोल कम्प्यूटर लैंग्वेज ( COBOL Computer language )
जब कम्यूटर के क्षेत्र में हासिल की जा चुकीं उपल्ब्धियों की बात होती है तो हम चार्ल्स बैबेज, एलन ट्यूरिंग और बिल गेट्स जैसे नामों के बारे में सोचते हैं। परंतु एडमिरल ग्रेस मुर्रे हॉपर को उनके कंप्यूटर इंडस्ट्री में दिए गए विशेष योगदान का श्रेय दिया जाना चाहिए। एडमिरल ग्रेस हॉपर ने सेना 1943 में ज्वॉइन की थी। यहां उन्हें हॉर्वड में स्टेशंड किया गया। वह यहां आईबीएम के हार्वड मार्क आई कम्प्यूटर पर काम करती थीं। यह पहला युनाइटेड स्टेट्स का पहला लार्ज-स्केल कम्प्यूटर था।
वह तीसरी ऐसी व्यक्ति थीं जिन्होंने इस कम्प्यूटर को प्रोग्राम किया था। उन्होंने एक मैन्यूअल लिखा जो उनके बाद काम करने वाले लोगों के लिए बहुत खास रहा। 1950 में एडमीरल हॉपर ने कॉपिलर की खोज की जिससे अंग्रेजी में दी जाने वाली कमांड कम्प्यूटर कोड में ट्रांसलेट हो जाती थीं। इस डिवाइस से प्रोग्राम ज्यादा कोड कम गलतियों के और अधिक सरलता के साथ बनाने लगे। हॉपर का दूसरा कोम्पिलर 'फ्लो-मैटिक' का इस्तेमाल UNIVAC I and II में किया गया जो पहले व्यवसायिक तौर पर उपल्ब्ध कम्प्यूटर थे। हॉपर को कोबोल (COBOL) the Common Business-Oriented Language की खोज का श्रेय भी दिया जाता है। एडमिरल हॉपर को कई पुरस्कार दिए गए। जिनमें एक यूएस वॉरशिप को उनका नाम दिया जाना भी शामिल है।

सरक्यूलर सॉ ब्लेड ( Circular Saw )
टैबिथा बैबिट अमेरिका में टूल बनाने का काम करती थीं। पहला घुमने वाला ब्लेड जिसे 1813 में मीलों में इस्तेमाल किया गया बनाने का श्रेय इन्हें जाता है। ऐसा माना जाता है बैबिट ने ब्लेड में टीथ बनाने का तरीका खोजा साथ ही घुमने वाले ब्लेड में और सुधार किए। बैबिट पुरूषों को लंबे सॉ के साथ काम करते देखती थीं। उन्होंने ध्यान दिया इसमें आधी मेहनत बर्बाद हो जाती है। उनके द्वारा बनाया गया पहला सरक्यूलर सॉ अलबेनी (न्यूयॉर्क) में रखा गया है।

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