198 जेनेटिक म्यूटेशन की हुई पहचान, वैक्सीन बनाने की उम्मीद जगी

कोरोना वायरस (Corona Virus) की महामारी ने पूरी दुनिया में कोहराम मचा रखा है। इससे बचने के लिए अधिकतर देश लॉकडाउन (Lockdown) का सहारा ले रहे हैं। क्योंकि अभी तक इस खतरनाक वायरस की कोई वैक्सीन या दवा नहीं बन सकी है। हां कई देश इसकी वैक्सीन बनाने को लेकर लगातार प्रयास कर रहे हैं। वहीं ब्रिटेन में एक वैक्सीन का परीक्षण का शुरू हो चुका है। अब इस खतरनाक वायरस से जुड़ी अच्छी खबर ब्रिटेन से ही आई है, बताया जा रहा है कि वहां वैज्ञानिकों ने कोविड-19 (Covid-19) और सार्स (SARS) के करीब 198 जेनेटिक म्यूटेशन (Genetic Mutations) की पहचान कर ली है।
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शोध में हुआ 7500 मरीजों पर अध्ययन
इस बात की जानकारी जर्नल इंफेक्शन, जेनेटिक्स एंड इवोल्यूशन नामक जर्नल में प्रकाशित हुई है। इसके अनुसार ये सफलता ब्रिटेन के यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन (यूसीएल) के वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं को मिली है। वैज्ञानिक कोविड-19 (Covid-19) की वैक्सीन बनाने के लिए इसके जीन पर शोध कर रहे हैं। उन्होंने कोविड-19 (Covid-19) के करीब 7500 मरीजों के जीन्स पर अध्ययन किया। जिसमें से उन्होंने एसएआरएस-सीओवी-2 (SARS-CoV-2) के करीब 200 जेनेटिक म्यूटेशन (Genetic Mutations) की खोज कर ली है। वैज्ञानिकों के अनुसार ये खोज वैक्सीन बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। किसी वायरस के जीन्स के म्यूटेशन (Mutations) का पता लगाना काफी महत्वपूर्ण और वैक्सीन बनाने का प्रमुख तरीका है।

वायरस में पाई गई समानता
अपनी रिसर्च में वैज्ञानिकों ने दुनियाभर के 7500 हजार संक्रामक रोगों के मरीजों के जीन पर परीक्षण किया। जिसमें उन्होंने पाया कि SARS-CoV-2 वायरस और वर्ष 2019 में मिले कुछ वायरस उन वायरस से ही उत्पन्न हुए हैं जो जानवरों के माध्यम से लोगों में प्रसारित हुए थे। इस शोध से वायरस की प्रकृति, जीन्स और म्यूटेशन (Mutations) की अहम जानकारी हासिल हुई है, और ये चीजें वैक्सीन को बनाने में प्रभावी भूमिका निभाती हैं।
कोविड-19 वायरस की संरचना हो रहे बदलाव
रिपोर्ट में कोविड-19 (Covid-19) वायरस के जीनोम के म्यूटेशन (Mutations) के पैटर्न के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई है। इसमें बताया गया है कि ये वायरस लगातार बदल रहा है। रिपोर्ट में यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन के इंस्टीट्यूट ऑफ जेनेटिक्स के शोधकर्ता फ्रेंकोइस बलोक्स बताते हैं कि कोविड-19 (Covid-19) की संरचना में बदलाव हो रहा है। अभी वैज्ञानिकों ने अपने शोध में 198 म्यूटेशन पैटर्न के बारे में पता लगाया है। इससे ये पता करने में मदद मिलेगी कि ये वायरस कैसे फैल रहा है और इसकी वैक्सीन को कैसे प्रभावी बनाया जा सकता है। शोधकर्ताओं ने अपने परीक्षण में पाया है कि कि छोटे आनुवंशिक परिवर्तन या उत्परिवर्तन, वायरस जीनोम में बराबर से नहीं बंटे थे। वहीं कुछ जीनोम में बेहद मामूली सा ही म्यूटेशन (Mutations) देखने को मिला है।
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वैक्सीन के लिए म्यूटेशन पैटर्न समझना जरूरी
इस शोध में शामिल वैज्ञानिकों के अनुसार अगर किसी वायरस की वैक्सीन को लंबे समय तक प्रभावी बनाना है तो हमें वायरस के म्यूटेशन को करीब से समझना होगा। वैज्ञानिकों ने बताया है कि अगर हम वायरस के उस पार्ट पर नजर रखते हैं जिसमें म्यूटेशन (Mutations) की आशंका बहुत कम होती है। तो हम वैक्सीन को लंबे समय तक फायदेमंद बना सकते हैं। किसी वैक्सीन का वायरस अगर अपना आकार या जीन्स बदल रहा है तो उसकी वैक्सीन कुछ समय के बाद प्रभावी नहीं रहेगी। इस पर शोध कर रहे वैज्ञानिक ऐसी वैक्सीन बनाना चाहते हैं, जिसके प्रति कोविड-19 (Covid-19) ज्यादा रिएक्टिव न हो और वो वैक्सीन के अनुसार अपने आपमें परिवर्तन कर सके।

इसलिए महत्वपूर्ण है ये शोध
जब किसी वायरस के जीन्स में लगातार म्यूटेशन (Mutations) होता रहता है तो वैज्ञानिकों के लिए उसकी वैक्सीन को बनाना काफी मुश्किल का होता है। तब वैज्ञानिक उसके जेनेटिक म्यूटेशन को समझने की दिशा में कदम उठाते हैं। वैज्ञानिकों को इस तरह की समस्या का सामना काफी पहले भी करना पड़ा है। इंफ्लुएंजा वायरस (Influenza Virus) भी अपने म्यूटेशन (Mutations) के कारण वैज्ञानिकों को परेशान कर चुका है। इंफ्लुएंजा वायरस (Influenza Virus) का लगातार उत्परिर्वतन मानव शरीर के इम्यून सिस्टम (Immune System) के लिए बड़ी चुनौती बन चुका है। इसके म्यूटेशन (Mutations) को समझना काफी जटिल प्रक्रिया थी, इसी कारण इस खतरनाक वायरस ने लंबे समय तक दुनियाभर में अपना आतंक मचाया है। हर बार इसके वायरस के जीन्स में परिवर्तन हो जाता है, जिससे वैक्सीन नाकाम हो जाती है।
ब्रिटेन में वैक्सीन पर चल रहा है परीक्षण
कोरोना वायरस की वैक्सीन को लेकर दुनियाभर में शोध हो रहे हैं, इस काम में ब्रिटेन अभी तक कुछ आगे दिखाई दे रहा है। वहां ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी (Oxford University) की ओर से बनाई गई एक वैक्सीन (Vaccine) का ट्रायल शुरू हो गया है। इस वैक्सीन को वैज्ञानिकों ने 23 अप्रैल को पहली बार इंसानों के ऊपर आजमाया था। ये कोविड-19 (Covid-19) वायरस की वैक्सीन का दुनियाभर में सबसे बड़ी ट्रायल है। वैज्ञानिकों के अनुसार अभी ये वैक्सीन (Vaccine) दो स्वैच्छिक रूप से तैयार मरीजों पर इस्तेमाल की गई है। इस वैक्सीन का अभी करीब 800 लोगों पर परीक्षण किया जाएगा। इस वैक्सीन का नाम ChAdOx1 nCoV-19 रखा गया है। इसके लिए ब्रिटेन की सरकार ने 1.4 करोड़ पाउंड रुपये की धनराशि दी है। हालांकि चीन ने भी कोविड-19 (Covid-19) वायरस की एक वैक्सीन का निर्माण किया था, लेकिन अपने परीक्षण के दौरान ये फेल हो गई। इस बात की जानकारी खुद विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organization) ने दी थी।
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दिनोंदिन खराब हो रही है स्थिति
कोरोना वायरस (Corona Virus) की महामारी से पूरी दुनिया परेशान है। रोजान इस वायरस के दुनियाभर में हजारों की संख्या में मरीज बढ़ रहे हैं। worldometers वेबसाइट के अनुसार अभी तक विश्व में कोविड-19 (Covid 19) वायरस से 38,43,484 लाख लोग संक्रमित हो चुके हैं। वहीं मौतों का आंकड़ा 2,65,659 हो चुका है। सबसे ज्यादा प्रभावित देश में अमेरिका है। जहां दुनियाभर में संक्रमित लोगों की संख्या के 30 प्रतिशत मरीज मौजूद हैं। अमेरिका में अभी तक 74,809 लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। दूसरे प्रभावित देशों में स्पेन, इटली, रूस, फ्रांस शामिल हैं। भारत में भी कोरोना संक्रमितों की संख्या 53000 का आंकड़ा पार कर चुकी है। यहां 1787 लोग इस बीमारी की वजह से मर चुके हैं।
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