9वीं फेल इस लड़के ने कबाड़ से बना दिया एक कंप्यूटर

करीब छह साल पहले, जब रविंद्र परब ने एक ई-कचरा स्क्रैप डीलर बनने का फैसला किया तो उन्होंने कल्पना भी नहीं की होगी कि यह काम उनके बेटे जयंत को बेहद किफायती टेक्नोलॉजी बनाने में कितना मददगार साबित होगा।
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मु्ंबई के घाटकोपर में रहने वाले जयंत ने कबाड़ से कंप्यूटर बनाकर लोगों को बेहद किफायती टेक्नोलॉजी देकर आश्चर्य चकित कर दिया है। जयंत नौवीं फेल हैं। उसको पढ़ाई में कोई रूचि नहीं है, लेकिन वह एक ऐसा कंप्यूटर बनाना चाहता है जो हर किसी की पहुंच में हो। उसके पिता रविंद्र पहले उसकी पढ़ाई में रूचि न रखने से बेहद दुखी थे, लेकिन अब वह अपने बेटे की इस काबलियत पर काफी खुश हैं।
रविंद्र स्कूल, कॉलेज और ऑफिस से ई-वेस्ट कबाड़ एकत्रित करने का काम करते हैं। उनका कहना है कि इस कबाड़ का कुछ हिस्सा वह बेच देते हैं तो कुछ को रिसाइकिल किया जाता है और कुछ को उपयोग के लिए रख भी लेते हैं या सही कर आगे सप्लाई कर देते हैं। उन्हें आज अपने बेटे पर गर्व महसूस होता है। वह बताते हैं कि महज क्लास 6 में पढ़ाई के दौरान ही जयंत ने एक लैपटॉप को सही कर दिया था। इसके बाद उसकी रूचि इसमें बढ़ती चली गई।
जयंत ने जिस कंप्यूटर को बनाया है उसकी स्क्रीन किसी ऑपरेशन थियेटर में रखे मॉनिटर जैसी ही है। जयंत का कहना है कि उसके पिता जो कबाड़ एकत्रित करके लाते हैं उसमें से वह अपने काम की चीजें निकाल लेता है। इसमें कई तरह के कंप्यूटर हार्डवेयर पार्ट्स भी होते हैं। इनकी ही मदद से उसने एक कंप्यूटर बना डाला है।
कक्षा 3 में पहली बार कंप्यूटर का इस्तेमाल
सत्रह वर्षीय जयंत, घाटकोपर, मुंबई के एक निवासी, कक्षा 3 में था, जब पहली बार एक कंप्यूटर का इस्तेमाल किया।
जयंत अपनी पुरानी याद को ताजा करते हुए कहते हैं कि हमारे स्कूल के पाठ्यक्रम में कंप्यूटर की क्लास थी और पहलीबार मैंने वास्तव में पीसी का इस्तेमाल की था। तब तक, बॉक्स के आकार की ये मशीन मेरे लिए एक कुतूहल का विषय थी, जिसको मैं अक्सर ऑफिस, बैंकों और दुकानों में देखा करता था। लेकिन वास्तव में इसके साथ काम करने किसी रोमांचक से कम नहीं था।
कंप्यूटर की शुरुआती क्लास के तौर पर स्कूल में पीसी के विभिन्न भागों, एमएस ऑफिस की मूल बातें सिखाने पर जोर दिया। कंप्यूटर की हर क्लास के बाद इसके बारे में और नया जानने के लिए जयंत की उत्सुकता और बढ़ती जाती थी।
कक्षा 5 के बाद कंप्यूटर के बारे में और अधिक जानने के लिए जयंत ने स्थानीय कंप्यूटर सेंटर में एक कोर्स के लिए अपने पिता की अनुमति ली। "यह एक महीने का शुरुआती परिचयात्मक कोर्स था। इस पाठ्यक्रम में भी जयंत को शुरुआत से ही कंप्यूटर के बारे में पढ़ाया गया, इसकी मदद से उसे सर्वव्यापी तकनीकी पर महारत हासिल है।
स्कूल और अपने पाठ्यक्रम के बीच, जयंत अपने आसपास के ई-कचरा के साथ छेड़छाड़ करके सीखता रहा।
हैकिंग में भी दिलचस्पी
जयंत का कहना है कि उनके कंप्यूटर का इस्तेमाल उनके घर के सदस्यों के अलावा वह बच्चे भी करते हैं जो कंप्यूटर नहीं खरीद सकते हैं।
जयंत के मुताबिक अकेले मुंबई में ही 9 हजार टन से अधिक का ई-वेस्ट निकलता है जिसमें से केवल 3500 हजार टन को ही दोबारा प्रोसेस किया जाता है। हालांकि अब अपने पिता के कहने पर ही सही जयंत ने पत्राचार से दसवीं करने के लिए सेंट टेरेसा स्कूल में एडमिशन लिया है। उसका कहना है कि वह फिलहाल हैकिंग का कोर्स भी कर रहा है।
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