जल्दी आएगी बच्चों के टीकाकरण की बारी, कानपुर में एक कंपनी कर रही ट्रायल की तैयारी

कोरोना वायरस से बचाव में कोविड-19 के टीके का अहम रोल है। टीके की दोनों डोज लगवाने से कोरोना वायरस का प्रभाव कुछ कम हो जाता है। कोरोना को हराने में टीका ही प्रभावी हो सकता है। ऐसे में सरकार की तरफ से इस समय पूरे देश में टीकाकरण पर अधिक जोर दिया जा रहा है। इस समय देश में अब 18 साल से ऊपर के लोगों का टीकाकरण किया जा रहा है। बच्चों का अभी टीकाकरण नहीं हो रहा है। जबकि तीसरी लहर में सबसे ज्यादा खतरा बच्चों को ही है।
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बच्चों में कोरोना के खतरे को देखते हुए अब इन पर भी वैक्सीन बनाने पर जोर दिया जा रहा है। बच्चों का टीका तैयार करने के लिए लगातार प्रयास किया जा रहा है। बच्चों में संक्रमण के खतरे को देखते हुए जल्द ही भारत में भी टीका तैयार होने जा रहा है और दो साल से छह साल तक के बच्चों पर दुनिया का पहला ट्रायल कानपुर में होने जा रहा है। बता दें, अभी तक इस आयु वर्ग के बच्चों पर कोरोना वैक्सीन का ट्रायल नहीं हुआ है। ऐसे में अब भारत बायोटेक की स्वदेशी वैक्सीन कोवाक्सिन के जरिए बच्चों पर ट्रायल शुरू किया गया है। अभी छह से 12 साल और 12 से 18 साल के समूह के बच्चों को टीका लगा है। अब उम्मीद की जा रही है कि अगले महीने कोवाक्सिन का नेजल स्प्रे भी आ जाएगा।
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कानपुर के आर्यनगर स्थित प्रखर अस्पताल में कोवाक्सिन का बच्चों में ट्रायल करने के लिए मंगलवार से प्रक्रिया शुरू हुई है। भारत बायोटेक की तरफ से बच्चों को दो साल से छह साल, छह साल से 12 साल और 12 साल से 18 साल के तीन ग्रुप में बांटा गया है। पहले दिन 12 से 18 साल के 40 बच्चों की स्क्रीनिंग की गई। इसमें टीका के लिए 20 बच्चे योग्य पाए गए। विशेषज्ञों और डॉक्टरों की मौजूदगी में इन्हें वैक्सीन लगा दी गई है।
बुधवार को कंपनी की तरफ से छह से 12 साल के 10 बच्चों की स्क्रीनिंग की गई। इनमें पांच बच्चों को वैक्सीन लगाई गई। वैक्सीन लगाने के 45 मिनट तक बच्चों को डॉक्टरों के आब्जर्वेशन में रखा गया। सभी बच्चे सामान्य रहे, सिर्फ दो बच्चों को इंजेक्शन लगने के स्थान पर हल्की सी लाली आई। यह भी कोई घबराने वाली बात नहीं रही।
इस ट्रायल के चीफ इन्वेस्टीगेटर वरिष्ठ बालरोग विशेषज्ञ और पूर्व डीजीएमई प्रोफेसर वीएन त्रिपाठी ने बताया कि दो साल के बच्चों पर कोरोना वैक्सीन का दुनिया में यह पहला ट्रायल है। अभी तक दुनिया में इतने छोटे बच्चों पर कहीं भी ट्रायल नहीं किया गया। उन्होंने बताया कि हम अब अगली बारी दो से छह साल के ग्रुप के बच्चों का ट्रायल करेंगे।
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कानपुर बन रहा बच्चों की वैक्सीन का हब
कानपुर शहर इस समय वैक्सीन का हब बनाता रहा जा रहा है। पहले बड़े लोगों में वैक्सीन के ट्रायल का शहर हब रहा है। यहां कोवाक्सिन के अलावा रूस की वैक्सीन स्पूतनिक और जाइडस कैडिला की वैक्सीन का अस्पतालों में ट्रायल किया गया था। अब ऐसे ही छोटे बच्चों का टीकाकरण करने के लिए भी ट्रायल चल रहा है। बच्चों की वैक्सीन के मामले में कोवाक्सिन के बाद में दूसरी कंपनियां अपनी वैक्सीन के ट्रायल की योजना बना रही हैं। कानपुर में अगले महीने नेजल स्प्रे के आने की भी उम्मीद है। नेजल स्प्रे कोवाक्सिन भी का होगा। इस स्प्रे को गेम चेंजर भी माना जा रहा है।
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