10 हजार उधार लेकर शुरू किया टीम इंडिया का सफर, आज है स्टार क्रिकेटर

भारत में क्रिकेट भले की धर्म की तरह पूजा जाता हो, पर महिला क्रिकेट की हालत अभी भी दोयम दर्जे की तरह है। लेकिन पिछले कुछ समय से भारत की महिला क्रिकेट खिलाड़ियों ने सफलता के झंडे गाड़े हैं उसके बाद सबने उनका लोहा मान लिया है।
मौजूदा समय में भारतीय महिला क्रिकेट टीम इस यम विश्व कप में शानदार प्रदर्शन करते हुए अपने विजय रथ के साथ आगे बढ़ रही है। इन सभी खिलाड़ियों में हम आपको एक ऐसे खिलाड़ी से मिलवाने जा रहे हैं जिसने भारतीय टीम में जगह पाने के लिए काफी संघर्ष किया। हम बात कर रहे हैं उत्तराखंड की रहने वाली एकता बिष्ट की, एकता मौजूदा समय में टीम इंडिया में गेंदबाज की भूमिका में देश को जीत दिला रही है।
10 हजार उधार लेकर शुरू हुआ टीम इंडिया का सफर
साल 2010 में जब एकता का चयन इंडिया ए महिला क्रिकेट टीम के लिए हुआ था, तब एकता को मुंबई जाने के लिए दस हजार रुपये की जरुरत थी। लेकिन परिवार की खराब आर्थिक स्थिति के चलते पैसों का बंदोबस्त नहीं हो पा रहा था। एकता जिद कर बैठी थी कि चाहे कुछ हो जाए वह मुंबई जाएगी और भारतीय टीम का हिस्सा बनेगी। उनके मां पिता के पास मुश्किल से दो हजार रुपये की व्यवस्था हो पाई थी।
ऐसे में एकता की मां ने अपने देवर से तीन हजार रुपये उधार लिए। बाकी के पांच हजार रुपये एकता के कोच लियाकत अली ने दिए। ऐसे में एकता चल पड़ी मुंबई की ओर। यहां से एकता ने पीछे मुड़कर नहीं देखा और सफलता की सीढ़ियां चलती गई। इसके ठीक अगले साल यानि 2011 में एकता बिष्ट ने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ टी-20 में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में पदार्पण किया। इसी साल उन्होंने अंतरराष्ट्रीय वनडे क्रिकेट में भी डेब्यू किया है।
पाकिस्तान के खिलाफ किया शानदार प्रदर्शन
बीते दिनों, ICC वुमंस वर्ल्डकप में पाकिस्तान के खिलाफ 95 रन की बड़ी जीत में भारतीय महिला टीम की एकता बिष्ट हीरो रही थीं। एकता ने बेहतरीन बॉलिंग कर पाकिस्तान के 5 विकेट चटकाए और 169 रन के स्कोर को डिफेंड करने में अहम भूमिका निभाई।
एकता का परिवार
अल्मोड़ा में जन्मी एकता के पिता कुंदन बिष्ट पहले आर्मी में हवलदार थे। 1988 में रिटायरमेंट के बाद उन्हें महज 1500 रुपए पेंशन मिलती थी। ऐसे में पांच लोगों का परिवार चलाना बेहद मुश्किल था। इसी के साथ एकता के क्रिकेटर बनने का सपना भी धुंघलाता जा रहा था। लेकिन पिता चाहते थे कि एकता उन्हीं की तरह देश के लिए कुछ करे। एकता 6 साल की उम्र से क्रिकेट खेल रही थीं। उनके खेल से प्रभावित उनके पिता ने उन्हें आगे बढ़ाने के लिए चाय बेचना शुरू कर दिया। कुंदन ने कई सालों तक चाय बेची जिससे उनकी बेटी क्रिकेट में नाम रौशन करे और टीम इंडिया में जगह बना सके।
संबंधित खबरें
सोसाइटी से
अन्य खबरें
Loading next News...
