कॉमनवेल्थ गेम्स 2018 : वेटलिफ्टरों का शानदार प्रदर्शन जारी, सतीश शिवलिंगम ने भी जीता गोल्ड

गोल्ड गोस्ट में चल रहे 21वें कॉमनवेल्थ गेम्स में भारत के वेटलिफ्टिरों का शानदार प्रदर्शन जारी है। शनिवार की सुबह भारतवासियों के लिए फिर अच्छी खबर आई। तीसरे दिन के खेलों का शानदार आगाज करते हुए ग्लास्गो में भारत को वेटलिफ्टिंग में गोल्ड दिला चुके सतीश शिवलिंगम ने एक बार फिर से भारत की झोली में गोल्ड मेडल डाल दिया।
77 किलोग्राम वर्ग में सतीश कुमार सिवालिंगम ने गोल्ड जीत लिया है। इसी के साथ वेटलिफ्टिंग में भारत ने तीन गोल्ड जीत लिए है। उन्होंने कुल 317 किलोग्राम का वजन उठाकर यह मेडल अपने नाम किया. सतीश ने स्नैच में 144 और क्लीन एंड जर्क में 173 किलोग्राम का वजन उठाया और सोना अपने नाम कर लिया। यह लगातार तीसरा दिन है जब किसी वेटलिफ्टर ने भारत के लिए सोना जीता है। सतीश ने स्नैच में 144 का सर्वश्रेष्ठ भार उठाया तो वहीं क्लीन एंड जर्क में 173 का सर्वश्रेष्ठ भार उठाया। कुल मिलाकर उनका स्कोर 317 रहा। उन्हें क्लीन एंड जर्क में तीसरे प्रयास की जरूरत नहीं पड़ी। सतीश ने पदक वितरण समारोह के बाद कहा, ‘‘राष्ट्रीय चैंपियनशिप में क्लीन एवं जर्क में 194 किग्रा भार उठाने के प्रयास में मेरी जांघ में चोट लग गयी थी और मुझे यहां पदक जीतने की उम्मीद नहीं थी। यह मांसपेशियों से जुड़ी समस्या है। मैं अब भी पूरी तरह फिट नहीं था लेकिन मुझे खुशी है कि मैं तब भी स्वर्ण पदक जीतने में सफल रहा।’’
भारत के वेटलिफ्टिरों का शानदार प्रदर्शन जारी रहने पर पूरे देश से आज तीसरे दिन भी वेटलिफ्टिरों को बधाई मिल रही है। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने भी सतीश कुमार सिवालिंगम को ट्विटर पर बधाई दी है। रामनाथ कोविंद ने ट्विट कर कहा कि वेटिलफ्टरों ने कॉमनवेल्थ गेम्स के लगातार तीसरे दिन भी देश को गर्विक किया है। राष्ट्रपति कोविंद ने आगे कहा कि सतीश कुमार सिवलिंगम देश के लिए 77 किलोग्राम वर्ग स्वर्ण पदक जीतने की हार्दिक बधाई। बता दें कि सतीश ने 2014 राष्ट्रमंडल खेलों में स्नैच में 149 और क्लीन एवं जर्क में 179 किग्रा सहित कुल 328 किग्रा भार उठाकर स्वर्ण पदक जीता। उनका स्नैच में 149 किग्रा भार अब भी खेलों का रिकार्ड है।
सतीश के पिता भी रहे हैँ राष्ट्रीय स्तर के वेटलिफ्टर
भारत को तीसरा गोल्ड मेडल दिलाने वाले सतीश शिवलिंगम का जीवन संघर्षों की कहानी है। उनके पिता भले ही राष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी रहे लेकिन उन्हें सिक्योरिटी गॉर्ड तक की नौकरी करना पड़ा था। सतीश शिवलिलंगम का जन्म तमिलनाडु के वेल्लौर में हुआ था। वेटलिफ्टिंग उनके खून में था क्योंकि उनके पिता वेटलिफ्टर थे और उन्होंने राष्ट्रीय स्तर पर गोल्ड मेडल जीता था। लेकिन इसके बाद भी उन्हें परिवार के जीवन यापन के लिए काफी संघर्ष करना पड़ा। सतीश के पिता एक विश्वविधालय में सिक्योरिटी गॉर्ड की नौकरी करते थे। हालांकि बाद में उनका चयन सेना में हो गया था।
वेटलिफ्टिंग के सारे गुण मालूम होने के कारण सतीश को उनके पिता ने ही शुरुआती ट्रेनिंग दी थी। उन्होंने गांव के जिम में शुरूआत की, तब वे महज 15 साल का थे। वह पढ़ाई के साथ-साथ वेटलिफ्टिंग भी करते थे। इसके बाद उनका सफल चल पड़ा। उन्होंने भारत को ग्लास्गो कॉमनवेल्थ गेम्स में भी गोल्ड मेडल दिलाया था। आपको बता दे कि सतीश फिलहाल चेन्नई में साउथर्न रेलवे में क्लर्क है। वह हमेशा से खिलाड़ियों के हित का मुद्दा उठाते रहे हैं। उन्होंने कॉमनवेल्थ खेलों में ज़्यादातर खिलाड़ियों के साथ फीजियो न होने के मुद्दे को उठाया था। पोडियम पर गोल्ड मेडल पाने के बाद सतीश की आंखों में आंसू ही उनके खुशी और संतुष्टि को बयां कर रहे था।
इन खिलाड़ियों ने भारत की झोली में डाले पदक
भारत की तरफ से वेटलिफ्टिंग में प्रतिभाग करने के लिए गए 16 वेटलिफ्टरों ने इस बार अपना शानदार प्रदर्शन जारी रखा है। अब तक भारत की झोली में आए पांच पदक सभी वेटलिफ्टरों ने ही दिलाए है। ओपनिंग सेरेमनी के बाद आज तीसरे दिन भी भारत का प्रदर्शन शानदार रहा है। पहले दिन भारत का खाता गुरुराजा ने रजत पदक जीतकर खोला। इसके बाद फिर उसी दिन मीराबाई चानू ने भारत की झोली में गोल्ड मेडल डाला। जबकि दूसरी दिन वेटलिफ्टिंग में संगीता चानू ने भारत को गोल्ड मेडल दिलवाया। इसके दीपक लाठेर ने कांस्य पदक जीता और आज सतीश शिवलिंगम ने भारत की झोली में गोल्ड मेडल डाल दिया।
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