डेविस कप: युगल के सफल खिलाड़ी बने लिएंडर पेस, 44 की उम्र में बनाया ये रिकॉर्ड

90 के दशक से टेनिस की दुनिया में कदम रखने ओलम्पिक कांस्य पदक विजेता लिएंडर पेस ने डेविस कप ने शनिवार को इतिहास रच दिया। उन्होंने युगल मुकाबलों की 43वीं जीत दर्ज कर विश्व रिकॉर्ड बनाकर डेविस कप के सबसे सफल युगल खिलाड़ी बन गये हैं।
उन्होंने शनिवार को रोहण बोपन्ना के साथ मिलकर करो या मरो वाले मैच में चीन के मो झिन गोंग और झी झांग की जोड़ी को 5-7, 7-6(5), 7-6(3) से हराया। इस जीत से चीन के खिलाफ भारत की एशिया ओसियाना मुकाबले में वापसी भी हो गई। 44 वर्ष के पेस के साथ बोपन्ना ने ऑल इंडिया टेनिस संघ की सख्ती के कारण जोड़ी बनाई थी। बोपन्ना पहले खेलने को राजी नहीं थे लेकिन एआईटीए की सख्ती के कारण वे पेस के साथ खेलने को राजी हुए थे।
लिएंडर पेस ने इटली के निकोला पीटरांजली को पछाड़ा
हालांकि अब उन्हें विश्व ग्रुप प्लेऑफ में जगह बनाने के लिये भारतीय युवा एकल खिलाड़ियों को अब उलट एकल के दोनों मैच जीतने होंगे। डेविस कप में पिछले कई वर्षों से भारत के नायक रहे लिएंडर पेस + लंबे समय से इटली के निकोला पीटरांजली के साथ 42 जीत की बराबरी पर थे, लेकिन आखिर में वह उन्हें पीछे छोड़ने में सफल रहे। अन्य मुकाबले में भारत के रामकुमार रामनाथन और सुमित नागल दोनों के शुक्रवार को एकल मैचों में हारने के कारण भारत 0-2 से पीछे चल रहा था और उसे अपनी उम्मीदें जीवंत रखने के लिए युगल में हर हाल में जीत दर्ज करनी थी।
लिएंडर पेस 1990 से खेल रहे हैं टेनिस
लिएंडर पेस ने 16 साल की उम्र में 1990 में जीशान अली के साथ डेविस कप में प्रवेश किया था। उनके जोड़ीदार बदलते रहे लेकिन वे अपनी जगह पर कायम रहे। जीशन अब टेनिस टीम के कोच हैं। जीशान के बाद पेस ने रमेश कृष्णा, गौरव, महेश भूपति, रोहन बोपन्ना, पूरव राजा, सनम सिंह, साकेत, विष्णु वर्धन हैं। पेस सबसे ज्यादा सफल महेश भूपति के साथ रहे और उन्होंने उनके साथ खेलते हुए दुनिया के सामने एक सफल जोड़ी के रूप में अपनी पहचान बनाई। महेश भूपित और पेस की जोड़ी विश्व पटल पर खतरनाक मानी जाती है। महेश भपूति अब टीम के कप्तान हैं। अपने चमकदार करियर में पेस ने भूपति के साथ मिलकर डेविस कप में लगातार सबसे अधिक 24 मैच जीतने का रिकार्ड बनाया। इन दोनों खिलाड़ियों ने नब्बे के दशक के आखिरी वर्षों में एटीपी सर्किट पर धूम मचायी थी। सर्विस ब्रेक पॉइंट आदि में उम्दा खेल की बदौलत पेस आज इस जगह पहुँचने में कामयाब हुए हैं। बोपन्ना चीन के खिलाफ इस मुकाबले में पहले पेस के साथ खेलने के लिए तैयार नहीं थे लेकिन उन्होंने अच्छा खेल दिखाया।
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