तेजस्विनी सावंत : लोन लेकर खरीदी थी पहली राइफल, अब CWG में जीता पदक

13 साल की उम्र में एक लड़की के अंदर कुछ करने का जुनून आता है और वह शूटिंग में दिलचस्पी पैदा हो जाती है और उसके माँ-बाप को ताज्जुब भी नहीं होता है कि आखिर यह लड़की किस दिशा में जाने का सपना संजोए है, लेकिन यह लड़की धीरे-धीरे अपने इस नए शौक में इतनी गहराई से दिलचस्पी लेती है कि एक दिन उसका निशाना इतना सटीक बैठता है कि वह वर्ल्ड चैम्पियनशिप में गोल्ड मेडल जीत जाती है। यही नहीं इसके बाद भी वह अपना बेहतर प्रदर्शन जारी रखती है और आज भारत के खाते में रजत पदक जीतकर लाती है। जी हां अब बात कर रहे हैं तेजस्विनी सांवत की।
जिन्होंने 21वें कॉमनवेल्थ गेम्स में भारत के लिए रजत पदक जीता है। आज सांवत भले ही दुनिया की स्टार हो लेकिन कभी उन्हें अपने इस जुनून को हकीकत में बदलने के लिए राइफल को लोन पड़ लेना पड़ा था। उनके पिता ने 2001 में कई दरवाजे खटखटकाये थे तब जाकर उनको लोन मिला था। यही नहीं लोन पर ली गई राइफल की किस्त वह बमुश्किल ही अदा कर पाई थी। इन मजबूरियों के बीच में से ही आशा की किरण जगकर आई और तेजस्विनी सांवत भारत के खाते में एक के बाद एक मेडल जीतती चली जा रही है। लेकिन बावजूद इसके उसके हाथ जरा भी नहीं काँपते और वह पूरी मजबूती से राइफल पकड़े एक आँख से निशाने साधती चली जाती है। अब वह कॉमनवेल्थ गेम्स में भारत के लिए छ: मेडल जीत चुकी है।
50 मीटर राइफल में भारत की पहली है गोल्ड मेडलिस्ट
तेजस्विनी सांवत का जन्म कोल्हापुर में एक नेवी ऑफिसर के यहाँ 12 सितंबर 1980 को हुआ था। 1999 में वे कमला कॉलेज में एनसीसी-6 महाराष्ट्र गर्ल्स बटैलियन में बेस्ट शूटर घोषित हुई। फिर जब तेजस्विनी ने राष्ट्रीय चैंपिनशिप में पाँच गोल्ड जीते तो सबकी नज़रें इस नए खिलाड़ी पर गईं। 2010 में विश्व चैपिंयनशिप में गोल्ड मेडल जीतने वाली पहली भारतीय महिला बनी। उन्होंने म्यूनिख (जर्मनी) में इस वर्ल्ड चैम्पियनशिप में न केवल गोल्ड मैडल हासिल किया, बल्कि रशिया की शूटर मारिया बोबकोवा के रिकॉर्ड का रिकॉर्ड भी तोड़ा था। जब वे कॉमनवेल्थ गेम्स में भाग ले रही थीं तब उनके पिता श्री रवीन्द्र सावंत की मृत्यु हो गई और तब से लेकर अब तक उनकी माँ सुनीता सावंत ने हर मौके, हर पल पर तेजस्विनी को सहारा दिया। उनकी माँ क्रिकेट और वॉलीबॉल की स्टेट लेवल की प्लेयर रही हैं। जर्मनी के म्यूनिख में 50 मीटर राइफल इवेंट में तेजस्विनी ने गोल्ड मेडल जीता है।
राष्ट्रमंडल खेल 2006 में 10 मीटर एयर राइफल एकल में गोल्ड और अवनीत कौर सिद्धू के साथ युगल में गोल्ड मेडल जीतने वाली तेजस्विनी 2010 विश्व चैम्पियनशिप में स्वर्ण जीतने वाली पहली भारतीय थीं। दिल्ली में 2010 में हुए राष्ट्रमंडल खेलों में उसने 50 मीटर राइफल प्रोन एकल में रजत और मीना कुमारी के साथ युगल में कांस्य पदक जीता था। उसने लज्जा गोस्वामी के साथ 50 मीटर राइफल थ्री पोजिशन में भी रजत जीता था।
पिता के आईसीयू में रहते दिखाया था साहस
दिल्ली में राष्ट्रमंडल शूटिंग चैंपियनशिप उनके लिए सही मायनों में पूरी तरह से खराब दौर था। उस समय उनकी मानसिक स्थिति उतनी मज़बूत नहीं थी। वह कहती है कि मेरे पिता उस समय आईसीयू में थे तो उस समय की कोई बात मैंने अपने दिमाग में नहीं रखी क्योंकि वह सारा मेरे खराब प्रदर्शन का दौर था। वे बताती है कि इस दौर में भी मैंने अपने को मजबूत किया था, इस टफ स्थिति में भी मैंने अपने आप को मजबूत करके ट्रेनिंग की थी। वह कहती है उस खराब दौर से मुझे ये लाभ मिला कि मैं बुनियादी ट्रेनिंग करने पर मजबूर हो गई। और मैंने दो महीने तक बुनियादी प्रशिक्षण पर पूरा ध्यान दिया जिससे मुझे इस मेडल के जीतने में काफी फायदा हुआ।
गोल्ड कोस्ट में तेजस्विनी ने यह किया कारनामा
गोल्ड कोस्ट में चल रहे कॉमनवेल्थ गेम्स में आठवें दिन भारतीय निशानेबाज तेजस्विनी सावंत ने सिल्वर मेडल जीतकर शुरूआत की। उन्होंने महिलाओं की 50 मीटर राइफल प्रोन स्पर्धा में रजत पदक पर कब्जा जमाया। तेजस्विनी सावंत ने 618.9 के स्कोर के साथ दूसरा स्थान हासिल करते हुए रजत जीता। इस स्पर्धा में सिंगापुर की लिंडसे वेलोसो ने 621.0 का स्कोर करते हुए कॉमनवेल्थ गेम्स में रिकॉर्ड बनाते हुए स्वर्ण पदक पर कब्जा जमाया। स्कॉटलैंड की सेओनइड मैक्इनटोश ने 618.1 का स्कोर करते हुए कांस्य पदक पर कब्जा जमाया।
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