कामयाबी की मिसाल हैं वेटलिफ्टर मीराबाई, कभी नहीं थे खुराक पूरी करने के पैसे

वेटलिफ्टिंग के क्षेत्र में भारत का नाम ऊंचा करने वाली सैखोम मीराबाई चानू अब अगली लड़ाई के लिए तैयार हैं। गोल्डकोस्ट में होने जा रहे कॉमनवेल्ड में गोल्डमेडल दिलाने के लिए वे पूरी तरह तैयारी कर चुकी हैं। वर्ल्ड वेटलिफ्टिंग चैंपियनशिप में भारत का नाम ऊंचा करने वाली सैखोम मीराबाई चानू ने पिछले साल इतिहास रच दिया था। इसलिए इस बार भारतीयों को उम्मीद है कि वे 48 वर्ग में भारत को गोल्ड मेडल जरूर दिलाएंगी।
इतिहास रचने के साथ ही भारत को 22 साल बाद गोल्ड मेडल दिलाने वाली वेटलिफ्टर सैखोम मीराबाई चानू की कामयाबी की कहानी किसी मिसाल से कम नहीं है। अपनी मेहनत की वजह से छोटे से राज्य से निकलकर अर्न्तराष्ट्रीय स्तर तक नाम रोशन करने वाली उनकी कामयाबी की कहानी प्रेरणा का स्त्रोत है। एक समय था कि चानू के घर में दूध व चिकन तक के पैसे नहीं थे। लेकिन सपनों को पूरा करने के लिए उनके अंदर एक जुनून था जिसकी वजह से वे कामयाबी के लिए सीढ़ी दर सीढ़ी बाधाओं को तोड़ते हुए चढ़ती गईं।
इसलिए है चानू से अधिक संभावना
मीराबाई ने गोल्ड कोस्ट कॉमनवेल्थ में अपनी संभावनाओं के बारे में कहा कि एशियन गेम्स और विश्व चैंपियनशिप के मुकाबले कॉमनवेल्थ गेम्स में कम प्रतियोगी होंगे। ऐसे में गोल्ड कोस्ट में जीतना थोड़ा आसान होगा। मैं कह सकती हूं कि स्वर्ण जीतूंगी। अगर दूसरे देशों के वेटलिफ्टिर पर नजर डालते हैं, तो उनके नाम का जो ये रिकार्ड है उसके आगे कोई भी नहीं टिकता है। मीराबाई के वर्ग में प्रतिभाग करने वाले खिलाड़ियों में कोई भी 180 किग्रा से अधिक रिकार्ड अपने नाम नहीं कर पाया है। मीराबाई के सबसे कड़े प्रतिद्वंदी कनाडा के अमांडा ब्रैडॉक होंगी, जिनका व्यक्तिगत सर्वोत्तम स्कोर 173 है। इसके अलावा अन्य कोई भी नहीं जो कि मीराबाई के रिकार्ड के आगे कहीं पर भी टिकता हो।
48 किग्रा वर्ग में कॉमनवेल्थ का ये है रिकार्ड

48 किग्रा वर्ग में भारत की तरफ से भाग लेने वाली मीराबाई ने अभी हाल में जो रिकार्ड बनाया है। उससे कहीं कोसों दूर कॉमनवेल्थ गेम्स का रिकार्ड है। नाइजीरिया के वेटलिफ्टर अगस्तिना नवाकोओलो ने 2010 में नई दिल्ली में हुए गेम्स में वे रिकॉर्ड अपने नाम किया था। उन्होंने रिकॉर्ड 175 किलो (77 + 98) का बनाते हुए स्वर्ण पदक अपने नाम किया था। पहली बार ही कॉमनवेल्थ गेम्स में भाग लेते हुए ग्लासगो में मीरबाई ने कुल 170 किग्रा (75 + 95 किग्रा) उठाकर सिल्वर मेडल अपने नाम किया था। फिर इसके तीन साल बाद उन्होंने संयुक्त राज्य अमेरिका में हुई विश्व चैंपियनशिप में रिकार्ड बनाते हुए गोल्ड मेडल अपने नाम किया। जीतने के लिए 194 किलो (85 + 109) का वजन उठाकर इतिहास रचा। इससे पहले उन्होंने कॉमनवेल्थ चैंपियनशिप में 189 किलो वजन उठाकर स्वर्ण पदक हासिल किया था। बता दें कि भारत की झोली में यह गोल्ड 22 साल बाद आया था। इससे पहले वर्ल्ड चैंपियनशिप में भारत की आखिरी विजेता कर्णम मल्लेश्वरी थीं, जिन्होंने साल 1994 और 1995 में वर्ल्ड वेटलिफ्टिंग चैम्पियनशिप में गोल्ड मेडल जीता था।
चानू का लक्ष्य है एशियन गेम्स व ओलंपिक
रियो में हुए ओलंपिक गेम्स में शर्मनाक प्रदर्शन की वजह से आलोचना का शिकार हुईं चानू ने वर्ल्ड चैम्पियनशिप में रिकॉर्ड बनाकर सबका मुंह बद कर दिया है। पिछले ओलंपिक में वह भारोत्तोलन प्रतियोगिता में महिलाओं के 48 किग्रा भार वर्ग के क्लीन एवं जर्क में अपने तीनों प्रयासों में नाकाम रहने के कारण ओवरऑल स्कोर में जगह बनाने में नाकाम रहीं थीं। उन्होंने एक समाचार एजेंसी को साक्षात्कार देते हुए कहा कि कॉमनवेल्थ गेम्स में मेरे वर्ग में किसी भी खिलाड़ी के नाम अब तक 180 किलो वर्ग से ज्यादा का कुल वजन नहीं है। ऐसे में मेरी कोशिश रहेगी कि मैं 190 किग्रा के आसपास पहुंचकर अपना बेस्ट करूं। उन्होंने कहा कि मैं ज्यादा भार के चक्कर में चोटिल नहीं होना चाहती हूं। उन्होंने कहा कि इस वर्ष के अंत में एशियाई खेल है और मेरा प्रमुख उद्देश्य इस गेम्स में स्वर्ण पदक जीतना है। इस गेम्स में बेहतर रिकॉर्ड बनाने के बाद मेरी अगली तैयारी 2020 में टोक्यों में होने वाले ओलंपिक के लिए अपने को बेहतर स्थिति में लाना है।
कॉमनवेल्थ गेम्स में खोल सकती हैं भारत का खाता
4 अप्रैल से शुरू होने जा रहे कॉमनवेल्थ गेम्स में खेलों का आयोजन 5 अप्रैल से ही परवान चढ़ेगा। इसी दिन मीराबाई चानू अपना प्रदर्शन करेंगी। वे अच्छा प्रदर्शन करके भारत का कॉमनवेल्थ गेम्स में स्वर्ण पदक के साथ खाता खोल सकती है। मुख्य कोच विजय शर्मा को भी पूरी उम्मीद है कि चानू अच्छा प्रदर्शन करेगी और भारत को स्वर्ण पदक दिलाएंगी।

कुंजरानी को चानू मानती हैं अपनी प्रेरणा
2006 के कॉमनवेल्थ गेम्स में स्वर्ण पदक जीतने वाले भारत की पूर्व वेटलिफ्टर कुंजरानी देवी को चानू अपनी प्रेरणा मानती हैं। वर्ष 2004 में ओलंपिक में कुंजरानी देवी को टीवी पर पदक लेते हुए इस लड़की ने देखा और तय किया कि एक दिन वह भी इसी तरह पोडियम पर खड़ी होकर पदक लेगी। चानू ने एक इंटरव्यू में बताया था कि जब बचपन में मैं कुंजरानी देवी को वेटलिफ्टिंग करते देखती थी तो यह मुझे काफी आकर्षक लगा। मैं ये सोचती थी कि वो इतना वजन कैसे उठा पा रही हैं। बता दें कि कुंजरानी देवी का भी जन्म इम्फाल में हुआ है और उन्होंने देखा है कि कैसे करके समाज में बेटियों के साथ शोषण किया जाता है। पूर्वी भारत में ऐसे ही खेलों को बढ़ावा मिल रहा है लेकिन इसके बाद भी चानू के साथ समस्या थी। चानू की माने तो उन्होंने वेटलिफ्टिंग के लिए अपने माता-पिता को मनाया। हालांकि मैंने तय कर लिया था कि वेटलिफ्टर बनना है, लेकिन मेरे गांव में कोई वेटलिफ्टिंग सिखाने वाला नहीं था और मुझे ट्रेनिंग के लिए साठ किलोमीटर की यात्रा करनी पड़ती थी। अंतत: कामयाबी हासिल हो ही गई।
खुराक के लिए नहीं होते थे पैसे
चानू माता-पिता को मनाकर अपने सपनों को पूरा करने के लिए निकल तो पड़ीं लेकिन उसके सपनों को उड़ान देने में बाधा उसके घर की आर्थिक स्थिति बनी। परिवार की आर्थिक स्थिति कुछ ठीक नहीं थी, इसलिए डायट चार्ट के मुताबिक खाना नहीं खा पाती थीं। जिसकी वजह उसकी सेहत में क्षमता एक वेटलिफ्टर की तरह नहीं आ पा रही थी और इसका असर चानू के खेल पर भी पड़ा। चानू बताती हैं कि हमारे कोच हमें जो डाइट चार्ट देते थे, उसमें चिकन और दूध अनिवार्य हिस्सा थे। मेरे घर की आर्थिक स्थिति ऐसी नहीं थी कि मैं हर दिन चार्ट के मुताबिक खाना खा सकूं और कई बार अपर्याप्त पोषण के बावजूद वेटलिफ्टिंग करना पड़ा। उनके पिता ने उनसे स्पष्ट कर दिया था कि अगर वह ओलंपिक के लिए क्वालीफाई नहीं करती हैं तो उनको इस खेल से हमेशा के लिए तौबा करना होगा।
मीराबाई चानू के सफर पर नजर
सैखोम मीराबाई चानू का जन्म 8 अगस्त 1994 को मणिपुर के पूर्वी इम्फाल में हुआ था। 4 फीट 11 इंच लंबाई वाली चानू 48 किलोग्राम वर्ग में हिस्सा लेती हैं। कुंजरानी देवी को अपना आदर्श मानने वाली चानू ने अपने करियर की शुरुआत साल 2007 में इम्फाल में आयोजित खुमस लंपक स्पोर्ट्स कॉमनवेल्थ से की थी। चानू को साल 2013 में गुवाहाटी में आयोजित जूनियर नेशनल चैंपियनशिप में बेस्ट लिफ्टर चुना गया था। इसके बाद चानू ने साल 2011 में इंटरनेशनल यूथ चैंपियनशिप और दक्षिण एशियाई जूनियर गेम्स में गोल्ड मेडल अपने नाम किया था। चानू ने साल 2014 में ग्लासगो में आयोजित कॉमनवेल्थ गेम्स में सिल्वर मेडल जीता था। साल 2016 में दक्षिण एशियाई खेलों में चानू ने गोल्ड मेडल पर कब्जा किया था। इसके बाद पिछले साल नवंबर में अमेरिका के अनाहाइम शहर में हुई वर्ल्ड चैंपियनशिप में महिलाओं के 48 किलोग्राम वर्ग में गोल्ड हासिल किया था।
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