मुक्केबाजी में मैरीकॉम जैसा कोई नहीं, भावी पीढ़ी के लिए प्रेरणास्रोत

एक साल बाद मुक्केबाजी के रिंग में वापसी करने के बाद पांच बार की विश्व चैंपियन व ओलम्पिक पदक विजेता एमसी मैरीकॉम ने स्वर्णिम वापसी की है। राज्यसभा सांसद एमसी मैरीकॉम ने अपना तूफानी प्रदर्शन जारी रखते हुए 48 किग्रा लाइट फ्लाइवेट वर्ग में कोरिया की किम हयांग मी को 5-0 से हराया है। मैरीकॉम ने ऐसा करके पांचवीं बार एशियाई मुक्केबाजी चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक अपने नाम कर लिया।
दो बच्चों की मां 34 वर्षीय मैरीकॉम ने इस प्रतियोगिता में इससे पहले चार स्वर्ण और एक रजत पदक जीता था। फाइनल में उन्होंने कोरियाई मुक्केबाज को पूरी तरह धो दिया। यह 2014 एशियाई खेलों के बाद मैरीकाम का पहला अंतरराष्ट्रीय स्वर्ण पदक है और एक साल में उनका पहला पदक है. हालांकि ये मुकाबला मैरीकॉम के लिए इतना आसान नहीं रहा। उनका सामना दुनिया की सबसे आक्रामक प्रतिद्वंद्वी से था। लेकिन वह इस चुनौती के लिये तैयार थीं।
मैरीकॉम ने इस मुकाबले को जीतकर एक बार फिर ये साबित कर दिया है कि एक चैंपियन मुक्केबाज हैं। जो भावी पीढ़ी के लिए प्रेरणास्रोत साबित होंगी। मैरीकॉम ने जिस तरह से वापसी की है, उससे भारतीय मुक्केबाजी में एक नई ऊर्जा का संचार किया है। मैरीकॉम दो बच्चों की मां हैं, साथ ही राज्यसभा से सांसद भी हैं।
महिला मुक्केबाजी में एकमात्र ओलंपिक पदक भी मैरीकॉम ने ही जीता है। जिससे इस बात का सहज अंदाजा लगाया जा सकता है कि मुक्केबाजी में मैरीकॉम देश की सबसे अगुआ मुक्केबाज हैं। मुक्केबाजी में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मैरीकॉम ने जो मुकाम हासिल किया है, लेकिन ये सफर आसान नहीं रहा है। मैरीकॉम के जीवन पर आधारित फिल्म में उनके संघर्ष को विस्तार से दिखाया गया है। जिसमें मैरीकॉम के सामने हर कदम पर चुनौतियां आ खड़ी हुई हैं। लेकिन उन्होंने कभी खुद को निराश नहीं होने दिया।
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