स्कूल की फीस तक के नहीं थे पैसे, IPL में हुआ मालामाल

जयपुर के छोटे से मोहल्ले से निकलकर आज कमलेश 3 करोड़ 20 लाख के खिलाड़ी बन गए है। आईपीएल के 11वें सीजन में खेलने के लिए केकेआर टीम ने खरीदा है। कमलेश कभी जयपुर शहर के संस्कार वैली स्कूल में पढ़ना चाहते थे, लेकिन चाहकर भी वह उस स्कूल में नहीं पढ़ पाए क्योंकि उनके परिवार की इतनी आर्थिक स्थिति बेहतर नहीं थी कि वह अपने बेटे को एक बेहतर स्कूल में पढ़ा सकें। लेकिन कहते हैं कि मनुष्य नहीं समय सभी का बलवान का होता है तो आज कमलेश का ऐसा समय आ गया है कि वह चाहे तो उस स्कूल को खरीद सकते हैं।
मोहल्ले से शुरू किया था क्रिकेट का सफर
कमलेश की भी शुरूआत मोहल्ले के क्रिकेट से ही हुई थी। वह गली-मोहल्लों में अपनी गेंदबाजी का खूब कहर बरपाते थे। कहते हैं न कि मोहल्ले ही भारत को धोनी व सचिन मिलते हैं तो फिर उसी मोहल्ले से उनकी प्रतिभा को पहचान लिया गया। उनकी प्रतिभा को पहचाना संस्कार एकडेमी के शिक्षक सुरेंद्र राठौर जी ने। कमलेश के अनुसार एक दिन उन्हें संस्कार क्रिकेट अकेडमी के कोच सुरेंद्र राठौर ने उन्हें टेनिस बॉल से खेलते देखा। जिसके बाद उन्होंने ही कमलेश के परिवार से बात की। उन्होंने परिवार को बताया कि कमलेश अच्छा खेलता है और वो इस फील्ड में आगे भी बढ़ सकता है। शुरुआत में कमलेश के एक्शन में दिक्कत थी। जिस पर उनके कोच सुरेंद्र ने काम किया। उस वक्त कमलेश की उम्र महज 12 साल की थी। जिसके साथ वे 7वीं क्लास की पढ़ाई कर रहे थे। जब से फिर उनका सफर शुरू हो गया और फिर एक के बाद वह सफलता की सीढ़ी पर चढ़ते गए।
कभी करना पड़ था उन्हें अपने से समझौता
कमलेश का परिवार तो चाहता था कि वह अपनी प्रतिभा को आगे बढ़ाए तथा खूब क्रिकेट खेल। कमलेश स्वयं कहते हैं कि उनके परिवार ने उन्हें हमेशा क्रिकेट खेलने के लिए सपोर्ट किया। लेकिन परिवार की ऐसी स्थिति थी कि उन्हें अपने से ही समझौता करना पड़ा था। कमलेश ने खुद कहते हैं कि स्कूल में पढ़ाई के दौरान उन्हें स्ट्रगल का सामना करना पड़ा। उन्होंने बताया कि वे संस्कार वैली स्कूल में पढ़ना चाहते थे, लेकिन उनका फैमिली बैकग्राउंड ऐसा नहीं था कि वे स्कूल की फीस दे पाएं। उन्होंने अपने समझौता कर लिया।
‘भगवान’ के रूप में आए कोच सुरेंद्र
कहा जाता है कि जिसका कोई कोई नहीं होता है उसका भगवान होता है। तो कमलेश की माली स्थिति में उसकी प्रतिभा को आगे बढ़ाने के लिए उसी स्कूल के शिक्षक व कोच सुरेंद्र राठौर आए। जिन्होंने कमलेश की प्रतिभा को निखारा और आज कोलकाता को एक बेहतरीन गेंदबाज मिला है। कमलेश के अनुसार सुरेंद्र सर का बहुत बड़ा सपोर्ट रहा। उन्होंने स्कूल के प्रिंसिपल से मेरे लिए बात की। जिसके बाद स्कूल की प्रिंसिपल ने भी कमलेश की मदद की और स्कूल फीस माफ कर दी। कमलेश ने बताया कि क्रिकेट कोचिंग के लिए भी उन्हें शुरुआत में कुछ दिन भी फीस देनी पड़ी। जिसके बाद वो भी नहीं देनी पड़ी।
बाड़मेर की तरफ से की थी शुरूआत
कमलेश ने गांव-मोहल्लों से निकलकर जब अपने क्रिकेट की शुरुआत की तो उन्होंने बाडमेर की तरफ से खेलना शुरू किया। अपनी प्रतिभा को कमलेश निखारते गए और उनका चयन अंडर 19 टीम की टीम में हो गया। जहां पर वह अपनी प्रतिभा को दिखा रहे थे। अंततः उन्हें अब आईपीएल में भी बडे़ एमाउंट के साथ एंट्री मिल गई है।
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