एशियन रेसलिंग चैंपियनशिप: लोग मारते थे ताने, अब बनी गोल्ड जीतने वाली देश की पहली महिला पहलवान

भारतीय महिला पहलवान नवजोत कौर ने सीनियर एशियन कुश्ती चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीतकर इतिहास रच दिया है। ऐसा करने वाली वह पहली महिला पहलवान हैं। उन्होंने 65 किलोग्राम वर्ग में जापान की मिया इमाई को फाइनल में 9-1 से हराकर यह खिताब अपने नाम किया। नवजोत और मिया के बीच एशियन रेसलिंग चैंपियनशिप का फाइनल मुकाबला किर्गिस्तान के बिश्केक में खेला गया।
इस मुकाम तक पहुंचने के पीछे नवजोत और उनके पिता की कड़ी मेहनत लगी हुई थी। उनके परिवार ने काफी त्याग किया तब जाकर वह यहां तक पहुंच पाईं। नवजोत के पिता ने कर्ज लेकर अपनी बेटी को कुश्ती की ट्रेनिंग दिलाई थी और उनके भाई-बहनों ने अपना करियर कुर्बान कर दिया। बेटी को कुश्ती करते देख पिता रेसलर सुखचैन सिंह को कई बार गांव के लोग ही ताने मारते थे। परिवार के लिए रेस्लिंग छोड़ चुके सुखचैन ने नवजोत को छठी कक्षा में ही रेसलिंग की कोचिंग लेने भेज दिया था।
नवजोत के पिता सुखचैन सिंह पंजाब के तरन तारण में किसान हैं। पिछले 12 वर्षों से बेटी की ट्रेनिंग करा रहे हैं। सुखचैन ने बेटी के करियर के लिए लाखों रुपए का कर्ज लिया है। नवजोत की जीत से पिता काफी खुश हैं। उन्होंने कहा, 'हमारी खुशी का कोई ठिकाना नहीं है, उसने देश का गौरव बढ़ाया है। अब मैं चाहता हूं कि वह देश के लिए ओलिंपिक मेडल लाए।' बता दें कि सुखचैन ने ही अपनी दोनों बेटी (नवजोत और नवजीत) को कुश्ती के लिए तैयार किया था। उस वक्त पूरा गांव कुश्ती लड़कियों के लिए सही नहीं मानता था।
आमतौर पर कुश्ती जैसे खेलों को सिर्फ पुरुषों का खेल मान लिया जाता है और यही वजह है कि आम भारतीय परिवारों में लड़कियों को कुश्ती के लिए कभी प्रोत्साहित नहीं किया जाता। लेकिन बीते कुछ समय में साक्षी मलिक, गीता फोगाट और बबीता कुमारी जैसी पहलवानों ने कुश्ती में अपनी काबिलियत साबित की है। हाल ही में आई फिल्म दंगल भी महिला पहलवानों की कहानी पर आधारित थी।
नवजोत ने किर्गिस्तान के बिशकेक शहर में यह प्रतियोगिता जीती। हालांकि अभी तक एशियन चैंपियनशिप में भारतीय महिला पहलवान फाइनल तक तो पहुंच जाती थीं, लेकिन पदक से चूक जाती थीं। नवजोत ने इस सिलसिले को तोड़ा और इतिहास रच दिया। इससे पहले 13 भारतीय महिला पहलवान एशियन कुश्ती चैंपियनशिप में पहुंच चुकी हैं। इससे पहले 2013 में भी नवजोत ने फाइनल तक का सफर तय किया था, लेकिन वह पदक नहीं जीत पाई थीं। गौरतलब है कि पंजाब सरकार ने हाल ही में महिला क्रिकेटर हरमनजोत कौर को डीएसपी के पद से सुशोभित किया है।

भाई-बहनों ने किया त्याग
नवजोत की बहन ने कहा कि खिलाड़ियों के साथ किसी भी तरह का भेदभाव नहीं होना चाहिए और सबको बराबर समझा जाना चाहिए। नवजोत ने 2014 में ग्लॉसगो कॉमनवेल्थ गेम्स में कांस्य जीता था। जिसके बाद उन्हें रेलवे में सीनियर क्लर्क बनाया गया था। उनकी बहन नवजीत (32 साल) भी कुश्ती करती थीं, लेकिन चोटों से परेशान होकर उन्होंने कुश्ती छोड़ दी थी। उनके भाई युवराज (23 साल) क्रिकेट के अच्छे खिलाड़ी थे। लेकिन अपनी बहन की मदद करने के लिए उन्होंने क्रिकेट छोड़कर अपने पिता का हाथ बंटाना शुरू कर दिया। अब वे खेती करते हैं।

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