वेटलिफ्टिंग में बेटियों का दबदबा कायम, संजीता चानू ने भी जीता गोल्ड

कॉमनवेल्थ गेम्स में वेटलिफ्टिंग में भारत की बेटियों का दबदबा कायम है। मीराबाई चानू के गोल्ड मेडल जीतने के बाद संगीता चानू ने भी भारत के लिए दूसरा गोल्ड मेडल जीता। कॉमनवेल्थ गेम के दूसरे दिन भारतीय वेटलिफ्टर संजीता चानू ने महिलाओं के 53 किलो भारवर्ग में गोल्ड मेडल जीता है। संजीता ने कुल 192 किलो भार उठा कर यह मेडल अपनी झोली में किया।
मणिपुर की 24 वर्षीय इस खिलाड़ी ने स्नैच में 84 किलो और इसके बाद इसके बाद क्लीन ऐंड जर्क में 108 किलोग्राम भार उठाया। इस हिसाब से उन्होंने कुल दो प्रयासों में 192 किलोग्राम वजन उठाया। चानू ने पिछले साल पिछले साल इसी गोल्ड कोस्ट में उन्होंने कॉमनवेल्थ वेटलिफ्टिंग चैंपियनशिप्स में भी गोल्ड मेडल जीता था। इस मुकाबले में पिछले गेम्स की चैंपियन पापुआ न्यू गिनी लाऊ दिका ताऊ ने 182 (80 स्नैच और 102 क्लीन ऐंड जर्क) सिल्वर और कनाडा की रेशल लेबनांक ने 181 (81 स्नैच और 100 क्लीन ऐंड जर्क) उठाकर ब्रॉन्ज मेडल जीता।
संजीता ने कुछ इस तरह बनाया रिकार्ड
संजीता ने अपने पहले लिफ्ट में 81 किलो भार उठाया फिर अगले प्रयास में 83 किलोग्राम भार उठाकर कॉमनवेल्थ गेम्स के रेकॉर्ड की बराबरी की। अपने तीसरे और आखिरी प्रयास में उन्होंने 84 किलोग्राम भार उठाकर नया कीर्तिमान स्थापित किया। इसके साथ ही क्लीन ऐंड जर्क शुरू होने से पहले 3 किलोग्राम की बढ़त हासिल कर ली थी। 2014 ग्लासगो कॉमनवेल्थ गेम्स में भारत की स्वाति सिंह ने स्नैच में 83 किग्रा वजन उठाकर रिकॉर्ड बनाया था। इसको संजीता ने 84 किग्रा वजन उठाकर तोड़ दिया। हालांकि, स्वाति सिंह 2014 ग्लासगो कॉमनवेल्थ गेम्स में क्लीन एंड जर्क में 100 किग्रा वजन उठा पाई थीं और चौथे स्थान पर रही थी। इस बार क्लीन ऐंड जर्क में संजीता ने अपने पहले दो प्रयासों में 104 और 108 किलोग्राम भारत उठाया। इसके बाद तीसरे प्रयास में उन्होंने 112 किलोग्राम भार उठाने का प्रयास किया लेकिन वह ऐसा कर नहीं सकीं और वह फाउल हो गया। इस तरह उन्होंने 192 किग्राम वजन उठाकर गोल्ड मेडल पर कब्जा किया। दिका ताऊ को गोल्ड मेडल के लिए अपने आखिरी प्रयास में 113 किलोग्राम भार उठाना था लेकिन वह अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने के बावजूद ऐसा न कर सकीं। लोआ कुल 182 किग्रा वजन उठा सकीं।
चार साल पहले भी संजीता ने था गोल्ड

संजीता अपने गेम्स से लगातार भारतीयों का दिल जीतती रही है। पिछली बार भी संजीता चानू ने कॉमनवेल्थ गेम्स में भारत की झोली में गोल्ड मेडल डाला था। इसलिए इस बार भी वह इस गोल्ड पोस्ट में भारत के लिए पदक की अहम दावेदार थीं। उन्होंने चार साल पहले ग्लास्गो में 48 किलोग्राम भारवर्ग में भी गोल्ड हासिल किया था। इस बार वह 53 किलोग्राम भारवर्ग का हिस्सा थीं। संजीता ने उम्मीदों को कायम रखा और इस बार भी गोल्ड मेडल अपनी झोली में डाला। वैसे, कर्णम मल्लेश्वरी के बाद चानू वर्ल्ड चैम्पियन बनने वालीं दूसरी भारतीय वेटलिफ्टर हैं। उन्होंने यह उपलब्धि नवंबर 2017 में हासिल किया था। तब उन्होंने 194 किग्रा (स्नैच में 85 किग्रा और क्लीन एंड जर्क में 109 किग्रा) वजन उठाया था।
कुंजरानी ने संजीता को किया था प्रेरित
संजीता को वेटलिफ्टिंग के लिए दिग्गज वेटलिफ्टर एन कुंजरानी देवी ने प्रेरित किया था। मणिपुर की होने के नाते कुंजरानी देवी को उन्होंने अपना रोल मॉडल बना लिया। 2009 में सीनियर नैशनल में गोल्ड जीतने के बाद वह लोगों की नजर में आईं। 2011 में एयन वेटलिफ्टिंग चैंपियनशिप में उन्होंने ब्रॉन्ज मेडल जीता। 2012 में उन्होंने कॉमनवेल्थ वेटलिफ्टिंग चैंपियनशिप्स में गोल्ड मेडल जीता। 2014 के ग्लास्गो कॉमनवेल्थ में उन्होंने सिर्फ 20 साल की उम्र में गोल्ड मेडल हासिल किया था। इन खेलों में मीराबाई ने सिल्वर मेडल हासिल किया था। संजीता इस समय रेलवे में नौकरी करती है। संजीता उस वक्त सुर्खियों में आई थीं, जब उन्होंने 2017 में अर्जुन पुरस्कार की लिस्ट में अपना नाम शामिल नहीं किए जाने का विरोध किया था। इसके लिए उन्होंने दिल्ली हाईकोर्ट में अपील भी की थी। हालांकि, उनकी अपील खारिज कर दी गई थी।
संबंधित खबरें
सोसाइटी से
अन्य खबरें
Loading next News...
