बेटी ही बचाएगी, साक्षी ने सही समय पर इसे सच साबित किया

बेटी ही बचाएगी का नारा भारत में पिछले कुछ सालों से खूब गूंज रहा है। इस नारे का सही मायने में सच किया फ्रीस्टाइल महिला पहलवान साक्षी मलिक ने। साक्षी ने बुधवार को रियो ओलंपिक में कांस्य पदक जीतकर भारत के पदक के इंतजार को खत्म किया। 23 साल की साक्षी ने किर्गिस्तान की अइसुलू टाइबेकोवा को 58 किलोग्राम वर्ग में पराजित किया।
एक समय साक्षी 0-5 से पीछे थीं लेकिन दूसरे राउंड में उन्होंने उलट-पलट करते हुए इसे 8-5 से जीत लिया। रेपचेज राउंड-2 में साक्षी ने मंगोलिया की पुरेवदोर्ज ओरखोन को 12-3 के अंतर से मात दी थी। इस मैच में साक्षी पूरी तरह से हावी रहीं।
कभी किसी महिला पहलवान ने पदक नहीं जीता था
इसके पहले साक्षी को क्वार्टर फाइनल मुकाबले में रूस की वलेरिया कोबलोवा ने 2-9 के अंतर से हराया था लेकिन रूसी खिलाड़ी फाइनल में पहुंचने में कामयाब रहीं। इससे साक्षी को रेपचेज मुकाबला खेलने का मौका मिला। ओलंपिक में भारत के लिए साक्षी से पहले कभी किसी महिला पहलवान ने पदक नहीं जीता था। साक्षी के पहले भारत की ओर से ओलंपिक में सिर्फ तीन महिला खिलाड़ी कर्णम मल्लेश्वरी, मैरी कॉम और साइना नेहवाल ही पदक जीत सकी थीं।
साल 2015 में हुए एशियन चैम्पियनशिप में पोडियम फिनिश करने वाली साक्षी ओलंपिक में कुश्ती में पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला बन गई हैं। इस स्पर्धा का स्वर्ण जापान की कोओरी इको ने जीता जबकि रूस की वालेरिया काबलोवा ने रजत हासिल किया। काबलोवा ने ही क्वार्टर फाइनल में साक्षी को हराया था। आठ बार की अफ्रीकन चैम्पियन ट्यूनिशिया का मारवा अमरी ने इस स्पर्धा का दूसरा कांस्य जीता।
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