पेरिस ओलंपिक का समापन, 71वें स्थान पर भारत

अबकी बार दस पार! इसी नारे के साथ भारत ओलंपिक इतिहास का दूसरा सबसे बड़ा दल लेकर पेरिस पहुंचा था।भारत के 117 सदस्यीय दल ने सिर्फ छह पदक के साथ अपना अभियान खत्म किया। वे तीन साल पहले टोक्यो को पीछे छोड़ना तो दूर उसकी बराबरी भी नहीं कर पाए। हां, लेकिन 12 साल पीछे लंदन में जीते पदकों की बराबरी जरूर की है।

लंदन में भारत ने 2012 में दो रजत सहित कुल छह पदक जीता था और तालिका में वह 55वें स्थान पर था। पेरिस में भारत एक रजत सहित कुल छह पदक जीता और 71वें स्थान पर आ पहुंचा। यह भारत का खेलों केइतिहास का संयुक्त सबसे बदतर प्रदर्शन है।

इससे पहलेअटलांटा ओलंपिक (1996) और सिडनी ओलंपिक (2000) में एक-एक कांस्य के साथ देश पदक तालिका में 71वें स्थान पर था। वहीं, यह 32 साल में पहला मौका है जब भारत तालिका में पाक से पीछे रहा। इससे पहले 1992 में पाक एक कांसा जीत भारत से आगे था। वहीं, भारत एक भी मेडल नहीं जीत पाया था।

बैडमिंटन में निराशाजनक प्रदर्शन

भारतीय बैडमिंटन खिलाड़ियों का लंदन ओलंपिक से शुरू हुआ पदक जीतने का सिलसिला 12 साल के बाद पेरिस ओलंपिक में थम गया। भारत बैडमिंटन में एक भी मेडल नहीं ला पाया जो कि इस खेल के प्रशंसकों के लिए किसी निराशा से कम नहीं है। लक्ष्य सेन ने पुरुष एकल के सेमीफाइनल में पहुंच कर पदक की उम्मीद जगाई थी लेकिन सेमीफाइनल और कांस्य पदक के मुकाबले में अच्छी स्थिति में होने के बावजूद उनकी हार चिंताजनक रही।

रियो (2016) और टोक्यो (2021) में पदक जीतने वाली पीवी सिंधू से पेरिस में हैट्रिक की उम्मीद थी तो वहीं सात्विक-चिराग की पुरुष युगल जोड़ी को पदक का सबसे बड़ा दावेदार माना गया था। इन खिलाड़ियों के साथ पुरुष एकल में एच एस प्रणय और महिला युगल में अश्विनी और तनीषा की जोड़ी भी दबाव में बिखर गयी।

हॉकी में दिखा दमदार प्रदर्श

भारतीय हॉकी टीम ने अपने दमदार प्रदर्शन से खोए गौरव वापस पाने की ओर कदम बढ़ा दिया है। ओलंपिक में 52 साल बाद ऑस्ट्रेलिया को पटखनी देने वाली भारतीय टीम ने दिखा दिया कि अब वह किसी को भी हराने का दम रखती है। स्पेन के खिलाफ कांस्य पदक के मुकाबले में भारतीय टीम ने पिछड़ने के बाद शानदार वापसी कर अपनी बादशाहत साबित की। कप्तान हरमनप्रीत सिंह ने सभी आठ मुकाबलों में गोल दागे। वह कुल दस गोल कर टूर्नामेंट के शीर्ष स्कोरर बने।

नीरज के सिल्वर थ्रो ने बचाई लाज

विश्व चैंपियन भाला फेंक खिलाड़ी नीरज चोपड़ा से लगातार दूसरे स्वर्ण की उम्मीद की जा रही थी पर पाकिस्तान के अरशद नदीम की स्वर्णिम थ्रो ने भारत को सोने से दूर कर दिया। नीरज की यह चांदी भी देश के लिए सोने जैसी रही, नहीं तो पदक तालिका में हम और भी नीचे रहते। एथलेटिक्स में नीरज के अलावा सिर्फ अविनाश साबले फाइनल में पहुंचे पर वह निराशाजनक रूप से 11वें स्थान पर रहे। नीरज लगातार दो ओलंपिक में स्वर्ण और रजत जीतने वाले पहले भारतीय एथलीट हैं।

निशानेबाजी में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन

21 सदस्यीय मजबूत भारतीय निशानेबाजी दल ने ओलंपिक में निशाना साधा। इनमें से तीन ने पदक जीते। मनु भाकर ने दस मीटर पिस्टल की व्यक्तिगत स्पर्धा के बाद सरबजोत सिंह के साथ मिश्रित टीम स्पर्धा  में भी कांसे पर निशाना साधा। मनु एक ओलंपिक में दो पदक जीतने वाली आजाद भारत की पहली खिलाड़ी बनी। स्वप्निल कुसाले 50 मीटर राइफल थ्री पोजिशन में पदक जीतने वाले पहले भारतीय बने। निशानेबाजों ने 12 साल बाद पदक जीत सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन भी किया।

किस्मत नहीं थी विनेश के साथ

विनेश फोगाट ने तीसरे और अंतिम ओलंपिक में फाइनल में पहुंच पदक पक्का किया था। बस स्वर्ण या रजत पदक का फैसला होना था पर उससे पहले ही किस्मत ने दगा दे दिया। सिर्फ 100 ग्राम वजन अधिक होने के चलते ओलंपिक पदक का सपना अधूरा रह गया। उन्हें अयोग्य घोषित कर दिया गया। हालांकि, उन्होंने कैस (खेल पंचाट) में अपील की जिस पर फैसला 13 अगस्त को होगा। वह फाइनल में पहुंचने वाली देश की पहली महिला पहलवान हैं।

ओलंपिक ऑर्डर से सम्मानित ‘अभिनव विंद्रा’

भारतीय निशानेबाज अभिनव विंद्रा को ओलंपिक आंदोलन में उनके विशिष्ट योगदान के लिए प्रतिष्ठित ओलंपिक ऑर्डर से सम्मानित किया गया है।

बीजिंग 2008 ओलंपिक में 10 मीटर एयर राइफल में शीर्ष स्थान हासिल करके भारत के पहले ओलंपिक व्यक्तिगत स्वर्ण पदक विजेता बने 41 वर्षीय बिंद्रा को शनिवार रात आईओसी के 142वें सत्र के दौरान यह सम्मान प्रदान किया गया। अभिनव ने सिडनी 2000 से पांच ओलंपिक में हिस्सा लिया।

उन्होंने एथेंस 2004 में छाप छोड़ी जब उन्होंने 10 मीटर एयर राइफल के फाइनल में जगह बनाई। बीजिंग 2008 में उन्होंने चीन के गत चैंपियन झू किनान को हरा स्वर्ण पदक जीता। उन्होंने रियो 2016 में भी फाइनल में जगह बनाई लेकिन चौथे स्थान पर रहे। बिंद्रा 2018 से आईओसी खिलाड़ी आयोग का हिस्सा हैं।

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