विनेश फोगाट के लिए बीते कुछ दिन किसी सदमे से कम नहीं रहे हैं। 100 ग्राम वजन अधिक होने के कारण वह ओलंपिक में गोल्ड मेडल के बेहद करीब पहुंचकर भी भारत का परचम लहराने में सफल नहीं रहीं। बड़ा झटका तब लगा जब उनकी जॉइंट सिल्वर मेडल मिलने की अपील को कोर्ट ऑफआर्बिट्रेशन फॉर स्पोर्ट्स (CAS) ने खारिज कर दिया।
विनेश का पेरिस से बिना किसी मेडल के लौटना हम भारतीयों के लिए एक दुखद घटना है, लेकिन उससे ज्यादा दुखद यह है कि जब हम मेडल और खेल के संदर्भ में विनेश को ही गलत बोल रहे हैं। सोशल मीडिया पर विनेश को लेकर तमाम नकारात्मक बातें फैलाई गईं। एक खिलाड़ी से बेहतर अनुशासन को कौन समझ सकता है! विनेश का अपने खेल के प्रति अद्भुद समर्पण, न केवल उनके खेल से बल्कि उनके कोच की बातों से भी पता चलता है।
कोचवोलर अकोस ने लिखा, सेमीफाइनल के बाद 2.7 किलोग्राम अतिरिक्त वजन था। हमने एक घंटे और बीस मिनट तक व्यायाम किया लेकिन 1.5 किलोग्राम अतिरिक्त वजन अभी भी बचा हुआ था। बाद में 50 मिनट के सौना बाथ के बाद उसके शरीर पर पसीने की एक बूंद भी नहीं दिखी।
कोई विकल्प नहीं बचा था और आधी रात से सुबह 5:30 बजे तक उसने अलग-अलग कार्डियो मशीनों और कुश्ती चालों का काम किया। एक बार में लगभग तीन-चौथाई घंटे, दो-तीन मिनट के आराम के साथ उसने फिर से शुरू किया। वह गिर गई, लेकिन किसी तरह हमने उसे उठाया और उसने एक घंटा सौना बाथ में बिताया। मैं जानबूझकर ड्रामेटिक डिटेल्स नहीं लिखता, लेकिन मुझे केवल यह याद है कि वह मर सकती थी।
कोच ने कहा कि अयोग्य घोषित होने के बाद विनेश रो पड़ी थीं लेकिन उन्होंने हिम्मत दिखाई। कोच ने अपनी बात आगे बढ़ाते हुए कहा, उस रात अस्पताल से लौटते समय हमारी एक दिलचस्प बातचीत हुई। विनेश फोगाट ने कहा था, “कोच दुखी मत होइए क्योंकि आपने मुझे बताया था कि अगर मैं खुद को मुश्किल स्थिति में पाती हूं और मुझे अतिरिक्त ऊर्जा की आवश्यकता होती है, तो मुझे यह सोचना चाहिए कि मैंने दुनिया की सर्वश्रेष्ठ पहलवान (जापान की यूई सुसाकी) को हराया है। मैंने अपना लक्ष्य हासिल कर लिया। मैंने साबित कर दिया कि मैं दुनिया की सर्वश्रेष्ठ पहलवानों में से एक हूं। मेडल, पोडियम सिर्फ वस्तुएं हैं। प्रदर्शन को नहीं छीना जा सकता।”