हरियाणा की शूटर मनु भाकर ने रचा इतिहास

पूरे विश्व में भारत का नाम ऊंचा करती हरियाणा की बेटियों ने एक बार फिर से अपने राज्य का नाम रोशन किया है। अभी हाल ही में मैक्सिको में भारत का नाम ऊंचा करके इतिहास रचने वाली झज्जर की बेटी मनु भाकर ने सिडनी में चल रहे आईएसएसएफ जूनियर वर्ल्ड कप में भी इतिहास रच दिया है।
मात्र 16 साल की मनु ने एक माह के अंतराल में गोल्ड मेडल की बारिश कर दी है। भारत की उभरती हुई स्टार शूटर मनु भाकर ने एक आईएसएसएफ जूनियर वर्ल्ड कप में अपने दूसरे गोल्ड मेडल पर कब्जा किया। मनु भाकर ने अनमोल के साथ मिक्स्ड 10 मीटर एयर पिस्टल इवेंट में गोल्ड जीता और देश की झोली में सातवां गोल्ड डाल दिया। इससे पहले भी मनु ने मैक्सिको में भी दो गोल्ड मेडल जीता था। इस तरह मनु लगातार अपने खेल से प्रभावित कर रही है।
मनु भाकर और अनमोल जैन की जोड़ी ने स्पर्धा में शुरू से ही बढ़त बनाए रखी है। उन्होंने क्वॉलिफिकेशन में सर्वाधिक स्कोर बनाया और इस बीच जूनियर क्वॉलिफिकेशन का नया वर्ल्ड रिकॉर्ड भी स्थापित किया। अनमोल और भाकर ने 770 अंक के साथ यह रिकॉर्ड बनाया है। इस स्पर्धा में चीन ने सिल्वर और ब्रॉन्ज मेडल पर कब्जा किया। यहां पर भी पहली ही सीरीज से दोनों ने अपने सबसे करीबी प्रतिद्वंदी लियू जियाओ और ली ज्यू से अंतर बना कर रखा। इसकी बदौलत उन्होंने 478.9 अंक के साथ जीत दर्ज की। उनका यह स्कोर वर्तमान वर्ल्ड रिकॉर्ड से केवल 1.8 अंक कम है। लियु जिनयाओ और ली झुई 473.3 अंक के साथ दूसरे जबकि वांग झेहाओ और झियो झियाझुआन 410.7 अंक बनाकर तीसरे स्थान पर रहे। इस प्रतियोगिता के बाद मनु भाकर कॉमनवेल्थ गेम्स में हिस्सा लेंगी। कॉमनवेल्थ गेम्स से पहले जिस तरीके की उन्होंने प्रतिभा दिखाई है उससे यह उम्मीद की जा रही है कि हरियाणा की बेटी इस गेम्स में भारत का नाम ऊंचा करेगी।
कोच जसपाल राणा ने बदलवाई खेल नीति

मेक्सिको में चल रहे इंटरनेशनल शूटिंग स्पोर्ट्स फेडरेशन में भारत के लिए दो गोल्ड जीतने वालीं मनु भाकर ने इतिहास रचा है। पहला गोल्ड मनु ने 10 मीटर एयर पिस्टल (महिला) कैटेगरी में जीता है और दूसरा गोल्ड 10 मीटर एयर पिस्टल (मिक्स इवेंट) में हासिल किया है। एक दिन में शूटिंग में दो गोल्ड जीत कर 16 साल की मनु ने नया रिकॉर्ड बनाया है। ऐसा करने वाली वो सबसे कम उम्र की महिला खिलाड़ी हैं। मनु भाकर ने उपलब्धि का श्रेय पिता रामकिशन भाकर और मां सुमेधा भाकर को दिया है। मनु देश की इकलौती महिला शूटर रही जो जूनियर कैटेगरी के बाद भी सीधे सीनियर के लिए चयनित हुईं। खिलाड़ी पहले सब जूनियर व जूनियर स्पर्धा खेलते हैं। फिर सीनियर के लिए चयन होता है। मनु देश की इकलौती ऐसी महिला शूटर रहीं, जिसकी प्रतिभा को सबसे पहले देश के प्रख्यात शूटर और ओलिंपिक पदक विजेता जसपाल राणा ने परखा। उन्होंने मनु की प्रतिभा को देखते हुए खेल मंत्रालय से नीति बदलने के लिए कहा और अंतत: मंत्रालय ने नीति में बदलाव किया और मनु का चयन सीनियर टीम में कराया।
2016 में लिया शूटिंग में उतरने का फैसला
मुन ने कई खेलों पर हाथ आज़माने के बाद 2016 में शूटिंग यानी निशानेबाजी करने का फैसला किया। पहली बार में ही स्कूल में जब उसने एक इवेंट में उसने हिस्सा लिया तो निशाना इतना सटीक लगाया कि स्कूल के टीचर दंग रह गए। फिर थोड़ी प्रैक्टिस और ट्रेनिंग के बाद जगह जगह आयोजित प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेने का सिलसिला शुरू हुआ। उन्हें देश के प्रख्यात शूटर और ओलिंपिक पदक विजेता जसपाल राणा का साथ मिला। मनु के सपनों को जसपाल राणा ने पंख लगा दिए।
बेटी के खातिर पिता ने छोड़ी नौकरी

बेटी के सपनों को साकार करने के लिए उन्होंने अपना सपना छोड़ दिया। पिछले डेढ़ साल से राम किशन भाकर नौकरी छोड़ बेटी के साथ-साथ हर शूटिंग इवेंट में घूम रहे हैं। मनु के पिता पेशे से मरीन इंजीनियर है और वे पिछले दो साल में बस तीन महीने के लिए ही शिप पर गया हूं। राम किशन भाकर के पिता ने एक वेबसाइट को साक्षात्कार देते हुए कहा था कि "शूटिंग बहुत मंहगा इवेंट है। एक एक पिस्टल दो-दो लाख की आती है। अब तक मनु के लिए तीन पिस्टल हम खरीद चुके हैं। साल में तकरीबन 10 लाख रुपए हम केवल मुन के गेम पर खर्च करते हैं।" नौकरी नहीं है फिर भी पैसों का इंतजाम कैसे हो जाता है? इस पर वो कहते हैं, "कभी दोस्तों से कभी रिश्तेदारों से मदद मिल जाती है।"
गांववालों को मनु भाकर पर है नाज
झज्जर के गोरिया गांव के लोग बेटी का इंतजार कर रहे है कि कब मनु आए और मनु का स्वागत कर उसे सिर आंखो पर बैठाए। झज्जर के लोग मनु से इस कदर प्रभावित है कि उन्होंने जमीन पर ही मनु की बेहद आकर्षक तस्वीर गोल्ड मेडल के साथ बना दी है। मनु भाकर ने अभिभावकों से आह्वान किया कि वे बेटियों की प्रतिभा को पहचानें और उसे दबने न दें। मनु ने कहा कि आज वह जो कुछ हैं अपने माता-पिता की बदौलत हैं। उसने जिस खेल को खेलने और प्रेक्टिस की इच्छा जताई माता-पिता ने कभी मना नहीं किया। दो साल की मेहनत में वर्ल्ड कप जीतने वाली मनु ने कहा कि अगर वह शूटिंग खेल नहीं अपनाती और बॉक्सिंग और जूडो कराटे ही खेलती रहती। प्रतियोगिताओं का दौर होने के कारण अभी तक मनु गांव नहीं आ गई है। अब उम्मीद है कि 15 अप्रैल को अपने गांव गोरिया और स्कूल में आएंगी। जहां पर गांव वाले उसका सम्मान करेंगे।
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