पढ़िए, महेंद्र सिंह धोनी का 'कैप्टन कूल' बनने का सफर

अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में अब आप धोनी को कप्तानी करते नहीं देख पाएंगे। 4 जनवरी 2017 को धोनी ने वनडे और टी20 से कप्तानी छोड़ दी है, इससे करीब 2 साल पहले वो टेस्ट मैचों से संन्यास भी ले चुके हैं। धोनी जो अपनी कप्तानी के दम पर कैप्टन कूल बने अब वो वनडे और टी20 में विराट कोहली की कप्तानी में खेलते हुए नजर आएंगे।
धोनी का परिचय
वैसे तो धोनी किसी परिचय के मोहताज नहीं है, फिर भी आपको हम बता दें उनका जन्म 7 जुलाई, 1981 को रांची, भारत के पूर्वी कोने में स्थित झारखंड हुआ। धोनी ने डीएवी जवाहर विद्या मंदिर से पढ़ाई-लिखाई की, धोनी की दिलचस्पी क्रिकेट से ज्यादा फुटबॉल और बैडमिंटन खेलने में थी।महेंद्र सिंह धोनी एक मध्यम वर्ग परिवार से हैं। उनके पिता पान सिंह भारत सरकार के संस्थान मेकॉन के लिए काम करते थे और उनकी मां देवकी देवी एक गृहिणी थी। धोनी के बड़े भाई नरेंद्र सिंह एक राजनीतिज्ञ और एक बहन जयंती गुप्ता एक शिक्षक हैं।
धोनी अपनी फुटबॉल टीम में गोलकीपर थे, वो जिला और राज्य स्तर के लिए फुटबॉल खेलते थे। लेकिन उनके फुटबॉल कोच के कहने पर धोनी ने क्रिकेट खेलने की कोशिश की।
क्रिकेट की दुनिया में कैसे आए धोनी?
महेंद्र सिंह धोनी का क्रिकेट खेलने की कहानी भी काफी रोचक है। धोनी अपनी फुटबॉल टीम में गोलकीपर थे, वो जिला और राज्य स्तर के लिए फुटबॉल खेलते थे। लेकिन उनके फुटबॉल कोच के कहने पर धोनी ने क्रिकेट खेलना शुरू किया। इसके बाद धोनद एक स्थानीय क्रिकेट क्लब 'कमांडो क्रिकेट क्लब' में विकेट कीपर के तौर पर शुरुआत की जिसमें वो माहिर थे। 1995-1998 तक यहां क्रिकेट खेला। 1997-1998 के दौरान वीनू मांकड़ अंडर-16 चैंपियनशिप में धोनी के शानदार प्रदर्शन ने चयनकर्ताओं का दिल जीत लिया। अगले ही सत्र में धोनी को बिहार अंडर-19 टीम के लिए चुना गया।
रणजी टीम में हुआ चयन
धुआंधार बल्लेबाजी और शानदार प्रदर्शन के चलते धोनी 1999-2000 सत्र में बिहार रणजी ट्रॉफी टीम में अपनी जगह बनाने में कामयाब रहे। धोनी ने असम टीम के खिलाफ अपनी शुरुआत में नाबाद 68 रन बनाए। अगले सत्र में धोनी ने अपना पहला शतक बनाया लेकिन 2003 के सत्र में उनका प्रति मैच औसत स्कोर 40 के आसपास रहा था। 2003 में धोनी का चयन टीम इंडिया 'ए' में हुआ, जो पाकिस्तान की टीम 'ए' साथ त्रिकोणीय सीरीज टूर्नामेंट खेलने केन्या गई। यहां धोनी ने पाकिस्तान के खिलाफ शतक पर शतक जमाए और सीरीज में 72.40 की औसत से कुल 362 रन बनाए।
टीम इंडिया का बने हिस्सा
घरेलू क्रिकेट और अंतरराष्ट्रीय टूर में शानदार प्रदर्शन के बाद धोनी को 2004-05 में बांग्लादेश के खिलाफ पहला वनडे क्रिकेट मैच खेलने के लिए टीम इंडिया मौका मिला। पहली बार टीम इंडिया की ओर से खेलने वाले महेंद्र सिंह धोनी अपने पहले वनडे में बिना खाता खोले रन आउट होकर पवेलियन लौट गए। लेकिन पाकिस्तान के खिलाफ 5वें वनडे मैच में धोनी ने 123 गेंदों पर 148 रन बनाए और भारतीय टीम के मैच विजेता खिलाड़ी बने। इस जबरदस्त प्रदर्शन के साथ धोनी भारतीय विकेटकीपर द्वारा सर्वाधिक स्कोर बनाने वाले खिलाड़ी बने और टीम इंडिया में अपनी जगह पक्की कर ली।
अपने दम पर कई जीत दिलाई
नवंबर 2005 में, 299 रन के कठिन लक्ष्य का पीछा करते हुए धोनी ने 145 गेंदों पर 183 रन बनाकर एक बार फिर भारत को जीत दी लाई। सीरीज में 346 रन बनाकर 'मैन ऑफ द सीरीज' अपने नाम की। 2007 के विश्व कप में के दौरान दो बार शून्य पर आउट होने के बाद 3 मैचों में कुल 29 रन का स्कोर ही कर सके। इसके तुरंत बाद फिर धोनी ने मेहनत की और प्रभावशाली प्रदर्शन किया जिसके बाद वो सितंबर 2007 में भारतीय टी20 टीम के कप्तान बने। धोनी की अगुवाई में टीम इंडिया ने दक्षिण अफ्रीका में विश्व कप टी-20 जीता।
2007 में वनडे के कप्तान बने
2007 में ही वनडे टीम कमान मिली और 2008 टेस्ट टीम के कप्तान बने। साल 2009 में धोनी ने वनडे की 24 पारियों में 70.43 की औसत से 1198 रन बनाए और वनडे मैच में साल उच्चतम स्कोरर बने।
सबसे महंगा खिलाड़ी
धोनी 2008-2013 तक 6 साल के लिए आईसीसी वर्ल्ड इलेवन का हिस्सा रहे। उन्हें साल 2008 में राजीव गांधी खेल रत्न से भी नवाजा गया जो भारत सरकार द्वारा दिया जाने वाले उच्चतम खेल सम्मान है। साल 2013 में करीब 15 से ज्यादा प्रॉडक्ट्स का विज्ञापन किया और दुनिया में सबसे ज्यादा बिक्री वाले खिलाड़ियों में से एक रहे। जून 2013 में वह 31 लाख डॉलर (करीब 21.04 करोड़) की वार्षिक आय के साथ दुनिया में 16वें सबसे अधिक भुगतान वाले खिलाड़ियों की फेहरिस्त में शामिल हुए। वह सबसे सफल भारतीय खिलाड़ियों में से एक हैं।
सबसे सफल कप्तान
महेंद्र सिंह धोनी भारतीय क्रिकेट में सबसे सफल कप्तान हैं। उन्होंने 60 टेस्ट मैचों में 27 टेस्ट मैच में जीत के लिए भारत का नेतृत्व किया और कप्तान के तौर पर 194 वनडे में 107 वनडे पर जीत हासिल की। उन्होंने 70 टी-20 मैचों में कप्तानी की और अपने खाते में 40 जीतें दर्ज कराईं।
4 जनवरी, 2017 को धोनी ने भारतीय क्रिकेट टीम के वनडे और टी-20 कप्तान पद को छोड़ने का फैला कर लिया, हालांकि, वह अभी भी एक विकेटकीपर-बल्लेबाज के रूप में क्रिकेट खेलते रहेंगे। उन्होंने युवा खिलाड़ियों को आगे टीम की अगुवाई करने का मौका देने के लिए यह फैसला लिया। महेंद्र सिंह धोनी निश्चित रूप से खेल के इतिहास में सबसे सफल भारतीय कप्तान के तौर पर हमेशा याद किए जाएंगे।
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