पैराओलंपिक का 17वां संस्करण 28 अगस्त को शुरू हो चुका है और 8 सितंबर को समाप्त होगा। ओलंपिक के बाद पेरिस में अब पैरा एथलीट की बारी है। दुनिया भर के 549 एथलीट 22 खेल आयोजनों में प्रतिस्पर्धा करेंगे। भारत का 84 सदस्यीय दल 12 खेलों की विभिन्न स्पर्धाओं में दमखम दिखाएगा जो अब तक का सबसे बड़ा दल होगा।
पैरालंपिक की शुरुआत
पैरालंपिक की शुरुआत 1960 में हुई थी। इसमें दिव्यांग लोग भाग लेते हैं। इसका पहला आयोजन ‘रोम’ में हुआ था। पैरालंपिक खेलों की शुरुआत का इतिहास विश्व युद्ध से जुड़ा हुआ है। दूसरे विश्व युद्ध के बाद कई सैनिकों को स्पाइनल इंजरी हो गई थी जिसके कारण वो चलने में असमर्थता महसूस कर रहे थे। उन्हें व्हीलचेयर पर ही बैठे रहना पड़ता था। ब्रिटिश न्यूरोलॉजिस्ट सर ‘लुडविग गटमैन’ इन सैनिकों का इलाज करते थे। वो इनके इलाज के लिए खेल का इस्तेमाल करते थे।
1948 के लंदन ओलंपिक के दौरान उन्होंने दूसरे हॉस्पिटल के साथ मिलकर इन सैनिकों के लिए प्रतियोगिता आयोजित की। यहीं से पैरालंपिक का विचार पैदा हुआ और 1960 में रोम ओलंपिक के साथ इसकी शुरुआत हुई। 23 देशों के 400 व्हीलचेयर एथलीट्स ने हिस्सा लिया था जिसमें 57 मेडल इवेंट्स खेले गए थे।
भारत में पैरालंपिक की शुरुआत
भारत ने पैरालंपिक में 1968 से हिस्सा लेना शुरू किया था। बात करें पिछले टोक्यो ओलंपिक 2020 की तो इसमें भारत की ओर से 54 एथलीट्स ने हिस्सा लिया था। शूटिंग, बैडमिंटन और एथलेटिक्स में भारतीय एथलीट्स ने कमाल का प्रदर्शन किया था। शूटिंग में भारत ने जहां 5 मेडल हासिल किए थे वहीं एथलेटिक्स में 8 और बैडमिंटन में 4 मेडल मिले थे। टोक्यो में भारतीय खिलाड़ियों ने शानदार प्रदर्शन करते हुए 19 मेडल जीते थे जिसमें 5 गोल्ड, 8 सिल्वर और 6 ब्रॉन्ज शामिल थे।
भारतीय एथलीट्स से तीन साल पहले टोक्यो पैरालंपिक में किए गए प्रदर्शन से बेहतर नतीजों की उम्मीद है। टोक्यो में भारत पदक तालिका में 24वें स्थान पर था। अब लक्ष्य पीले तमगों को दोहरे अंक तक पहुंचाने के साथ पदकों की संख्या भी 20 से पार ले जाने का है।
खिलाड़ियों ने हाल में अच्छा प्रदर्शन करके उम्मीद बढ़ा दी है। भारत ने पिछले साल हांगझोउ एशियाई पैरा खेलों में 29 स्वर्ण सहित रिकॉर्ड 111 पदक जीते थे। इसके बाद मई में विश्व पैरा एथलेटिक्स चैंपियनशिप में भारत ने आधा दर्जन स्वर्ण सहित 17 पदक जीते। एशियाई खेलों में पदक जीतने वाले कई खिलाड़ी पैरालंपिक टीम में शामिल हैं।
पदक के दावेदार
भारत के लिए पैरा-एथलेटिक्स टीम ने अतीत में अच्छा प्रदर्शन किया है। इस बार भी एथलेटिक्स में भाग ले रहे 38 खिलाड़ियों से देश को काफी उम्मीद है। पदक के प्रमुख दावेदारों में होकाटो सेमा (शॉट पुट), नारायण कोंगनापल्ले (रोवर), शीतल देवी (तीरंदाज) और कई अन्य खिलाड़ी शामिल हैं।
सुमित से स्वर्ण की उम्मीद
सत्रह साल की उम्र में एक दुर्घटना में अपना बायां पैर गंवाने वाले हरियाणा के भाला फेंक खिलाड़ी सुमित ने मई में पैरा विश्व चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीता था। वह पेरिस में उसी स्थान पर 75 मीटर का आंकड़ा पार करने की उम्मीद कर रहे हैं जहां नीरज चोपड़ा ने इस महीने के शुरू में ओलंपिक रजत जीता था।
सुहास की निगाह सोने पर
टोक्यो में रजत पदक जीतने वाले शटलर सुहास यतिराज (पुरुष एकल और मिश्रित युगल) फिर से पदक के दावेदार होंगे। वह एकल में स्वर्णिम सफलता हासिल करना चाहेंगे। मानसी जोशी और सुकांत कदम भी पदक के दावेदार हैं।
भाविनीबेन की स्वर्णिम पारी
टोक्यो में टेबल टेनिस में रजत पदक जीतने वाली भाविनीबेन पटेल का लक्ष्य स्वर्ण पदक जीतना होगा। व्हीलचेयर पर बैठकर खेलने वाली यह खिलाड़ी महिला एकल एस4 और महिला युगल डी10 स्पर्धाओं में भाग लेंगी।
निशानेबाज लेखरा की निगाह हैट्रिक पर
टोक्यो में एक स्वर्ण और कांस्य सहित सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाली निशानेबाज लेखरा इस बार पदक की हैट्रिक लगाने की कोशिश करेंगी। वह तीन स्पर्धाओं में निशाना साधेंगी। लेखरा पैरालंपिक स्वर्ण पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला थीं। वह पैरालंपिक में तीन पदक जीतने वाले खिलाड़ियों की सूची में शामिल होना चाहेंगी।
योगेश और निषाद का स्वर्णिम लक्ष्य
योगेश कथुनिया (डिस्कस थ्रो-एफ56), निषाद कुमार (हाई जंप-टी47), प्रवीण कुमार (हाई जंप-टी64) और मरियप्पन थंगावेलु (हाई जंप-टी63) टोक्यो में जीती गई अपनी चांदी को सोने में बदलने का प्रयास करेंगे। मरियप्पम ने 2016 में रियो में स्वर्ण पदक जीता था। वह पदकों की हैट्रिक लगाने वाले क्लब में शामिल होना चाहेंगे। महिलाओं में दीप्ति जीवनजी (400 मीटर टी20) भी दावेदार हैं।