फीफा विश्वकप: 4000 किमी साइकिल चलाकर मॉस्को पहुंचा केरल का युवक

यही नहीं अपने स्टार खिलाड़ी को देखने की चाहत में भी प्रशंसक कुछ भी कर गुजरने को तैयार है। ऐसे ही लियोमेन मेसी की दीवानगी में केरल के एक युवक ने मॉस्को तक का रास्ता साईकिल से तय कर लिया। केरल के चेरतला से मॉस्को तक का रास्ता तय करने वाले हैं 28 वर्षीय क्लिफिन फ्रांसिस जो कि अर्जेंटीना टीम के समर्थक व लियोनेल मेसी के दीवाने है।
क्लिफिन की चाहत है कि वह फीफा विश्वकप देखने के साथ ही साथ अपनी साईकिल पर लियोनेल मेसी का ऑटोग्राफ भी लेना चाहते हैं। केरल के चेरतला निवासी क्लिफिन फ्रांसिस गणित के शानदार छात्र रहे हैं। बीटेक करने के बाद अब क्लिफिन गणित के शिक्षक हैं। बीटेक की डिग्री लेने के बाद क्लिफिन कोच्ची में सिस्टम इंजिनियर के तौर पर नौकरी की थी। लेकिन इसमें उनका मन नहीं लगा तो उन्होंने नौकरी छोड़ दी और सिर्फ अपने खर्च के लिए टीचिंग शुरू कर दी। इस दौरान वह रोजाना लगभग 50 किमी साइकिल चलाते थे।
5 जून को रूस पहुंचे फ्रांसिस
टाइम्स ऑफ इंडिया से खास बातचीत करके उन्होंने बताया कि वह 5 जून को रूस पहुंच चुके हैं। मॉस्को पहुंचने के लिए अभी भी उन्हें 600 किलोमीटर साइकल चलानी है। उन्होंने कहा, 'मैं फुटबॉल का बचपन से ही बड़ा फैन रहा हूं। मेरी फेवरिट टीम बार्सिलोना है। फीफा वर्ल्ड कप देखना मेरा बड़ा सपना है, लेकिन यह सपना पूरा करना काफी खर्चीला साबित हो रहा है।' मैं यहां पर फ्रांस और डेनमार्क समूह के मैच देखूंगा। फीफा विश्वकप के बहाने ही मैं कुछ दिन रूस में ही रहूंगा। इसके बाद फिर साइकिल से मैं केरल लौटूंगा। उन्होंने कहा कि मेरी बहुत इच्छा है कि मैं यहां पर अपनी साइकिल पर मेसी से ऑटोग्राफ कराऊंगा।"
23 फरवरी से शुरू की थी यात्रा

प्रतिदिन 50 किलोमीटर साइकिल चलाने वाले फ्रांसिस केरल से कन्याकुमारी की यात्रा कर चुके हैं। क्लिफिन ने रूस जाने के लिए 4000 किलोमीटर से अधिक की यात्रा फरवरी माह में शुरू की थी। उन्होंने 23 फरवरी से रूस की यात्रा शुरू की थी। क्लिफिन ने बताया कि मैं केरल से दुबई फ्लाइट से गया। वहां मैंने साइकिल खरीदी और रूस की यात्रा शुरू की। यूएई, ईरान, अजरबेजान होते हुए रूस पहुंचा।
उन्होंने बताया, 'मेरा जॉर्जिया के रास्ते रूस जाने का बहुत मन था लेकिन वीजा न मिल पाने के कारण मुझे रास्ता बदलना पड़ा और मैं अजरबेजान होते हुए रूस पहुंचा। उन्होंने कहा कहा कि मैं अब रूस पहुंच गया और यहां से अभी 600 किमी दूर मॉस्को है। उन्होंने कहा कि "मुझे आशा है कि मैं एक हफ्ते के भीतर मास्को पहुंच जाऊंगा और मैं फ्रांस और डेनमार्क के बीच होने वाला मैच देखूंगा। टाइम्स ऑफ इंडिया से उन्होंने कहा कि साइकिल से की गई यात्रा का अनुभव मेरे लिए अद्भूत रहा है। मैंने पैसे बचाने के लिए रूस में कई रातें तंबू में गुजारी हैं। मैं निश्चित रूप से इस पर एक किताब लिखूंगा।'
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