मिलिए उस शख्स से जिसने धोनी को क्रिकेट के शिखर पर चढ़ना सिखाया

कानू दा ही वह शख्स हैं जिन्होंने धोनी को झारखंड की अंडर 19 टीम में शामिल करवाया था। ये बात 1998 की है। कानू दा तब उस टीम के चयनकर्ता थे लेकिन बाकी चयनकर्ता टीम में धोनी को लेने के लिए तैयार नहीं थे। कानू दा ने उस वक्त टाटा स्टील के एमडी जेजे ईरानी से सिफारिश की कि धोनी को टीम में शामिल कर लिया जाए। जेजे ईरानी ने उनकी बात मान ली और यहीं से धोनी की क्रिकेट का इतिहास रचने की कहानी की शुरुआत हुई।
अब कानू दा और धोनी की मुलाकात बहुत कम होती है लेकिन धोनी का बचाव करने के लिए वह हमेशा तैयार रहते हैं। मार्च 2014 में जब धोनी को टेस्ट टीम के कप्तान के पद से हटाने की चर्चा जोरों पर थी उस वक्त कानू दा अपने शिष्य के समर्थन में खुलकर सामने आए थे। टाइम्स स्पोर्ट को दिए एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा था कि जब तक धोनी हमारे लिए मैच जीतते रहे तब तक कोई नहीं बोला लेकिन अब जब कुछ टूर्नामेंट्स में अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पा रहे हैं तो लोग उनके पीछे पड़ गए हैं। उन्होंने कहा था कि मुझे धोनी पर भरोसा है, वह आलोचकों का मुंह बंद कर देगा।
24 जुलाई 1938 को जन्मे कानू दा को बचपन से ही क्रिकेट से लगाव था। आरडी टाटा हाई स्कूल से 1957 मे मैट्रिक की परीक्षा पास करने तक वह बिहार के लिए खेलने लगे। मैट्रिक के बाद कोलकाता की चले गए, जहां चुन्नी गोस्वामी व कल्याण मित्रा जैसे धुरंधर क्रिकेटरों का सानिध्य मिला। कानू दा ने 1958 से 1969 तक बिहार टीम का प्रतिनिधित्व किया और 21 मैच मे 22.25 की औसत से 601 रन बनाए। बल्लेबाजी में माहिर कानू ने आठ विकेट भी चटकाए। 1970 में क्रिकेट से संन्यास लेने के बाद कोच बन गए। 1975 में जब बिहार व मुंबई की रणजी टीम कीनन स्टेडियम मे फाइनल खेल रही थी, उस समय कानू दा टीम के मैनेजर थे।
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