कुछ खास है कॉमनवेल्थ गेम्स का इतिहास

आस्ट्रेलिया के शहर गोल्ड कोस्ट में आज से 21वें कॉमनवेल्थ गेम्स का आगाज होने जा रहा है। ब्रिटिश साम्राज्य के अधीन रहने वाले देशों के बीच में हर चार साल के बाद कॉमनवेल्थ खेल का आयोजन होता है। इन देशों के बीच में ब्रिटिश राज से बेहतर संबंध बनाए रखने के लिए इसी शुरुआत एशली कूपर के सुझाव पर की गई थी। 1887 से शुरू हुआ सफर अब 21वें कॉमनवेल्थ गेम्स तक आ पहुंचा है।
53 सदस्य देशों वाले कॉमनवेल्थ समूह का विकास 1887 से कॉलोनियल कांफ्रेंसों से शुरू हुआ था। इसके बाद 1911 में इसका नाम इम्पीरियल कांफ्रेंस, 1926 की बालफोर घोषणा के बाद इसे ब्रिटिश कॉमनवेल्थ ऑफ नेशंस कहा गया। 1911 में जब जॉर्ज पंचम का राज्याभिषेक हो रहा था, इस दौरान अंतर-साम्राज्य चैम्पियनशिप हुई। इसमें ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, दक्षिण अफ्रीका और यूके की टीमों ने हिस्सा लिया। 1928 में मेल्विल मार्क्स रॉबिनसन को खेलों के आयोजन की जिम्मेदारी दी गई। 1930 में कनाडा के हैमिल्टन शहर में पहले ब्रिटिश एम्पायर गेम्स हुए। साल 1954 में इन खेलों का नाम ब्रिटिश एम्पायर एंड कॉमनवेल्थ गेम्स रखा गया। जबकि 1970 में इनका नाम ब्रिटिश कॉमनवेल्थ गेम्स और 1978 में कॉमनवेल्थ गेम्स हो गया। इन खेलों में 53 सदस्य देशों की 71 के करीब टीमें शामिल होती हैं।
कॉमनवेल्थ गेम्स में भारत का इतिहास

1887 से शुरू हुआ कॉमनवेल्थ गेम्स अलग-अलग नाम से गुजरता रहा। इस प्रतियोगिता में 1934 में पहली बार भारत ने ब्रिटिश राज इंडिया के तौर पर गेम्स में हिस्सा लिया था। उस समय कॉमनवेल्थ गेम्स का नाम भी ब्रिटिश एंपायर गेम्स था। भारत ने 1934 में ही पहला मेडल हासिल कर लिया था। तब भारत की ओर से कुश्ती में उतरे राशिद अनवर ने देश को कांस्य पदक दिलाया था। राशिद अनवर ने रेसलिंग (वेल्टरवेट, 74 किग्रा) में ब्रांज जीता। 1950, 1962, 1986 में भाग नहीं लिया। स्वतंत्र भारत के रूप में 1954 में पहली बार भाग लिया। कोई मेडल नहीं मिला। कार्डिफ कॉमनवेल्थ गेम्स- 1958 में स्वतंत्र भारत के रूप में कॉमनवेल्थ गेम्स में पहली बार मेडल (दो गोल्ड, 1 सिल्वर) जीते। रेसलिंग में लीला राम सांगवान और एथलेटिक में मिल्खा सिंह ने गोल्ड जीता था। लक्ष्मीकांत पांडेय ने सिल्वर जीता। टैली में आठवें स्थान पर रहा। दो बार 1938 (सिडनी) और 1954 (वैंकूवर) में कोई पदक नहीं जीत सका।
21 वीं सदी में भारत के प्रदर्शन में आया सुधार
कॉमनवेल्थ गेम्स में अपनी प्रतिभागिता करने के बाद भारत ने 1998 से कॉमनवेल्थ गेम्स में अपना प्रदर्शन सुधारा है। नई सदी की शुरूआत के बाद भारत के खिलाड़ियों ने बेहतरीन प्रदर्शन करके भारत को 105 गोल्ड मेडल समेत 284 पदक जीताए है। नई सदी में अब तक चार कॉमनवेल्थ हो चुके हैं। इससे पहले यानी 1998 तक भारत ने 12 भागीदारियों में 50 गोल्ड सहित 154 मेडल्स जीते थे। 21वीं सदी में भारत के गोल्ड की संख्या में करीब 300% और कुल मेडल की संख्या में 150% इजाफा हुआ। ऐसी ग्रोथ 10 से ज्यादा मेडल जीतने वाले किसी और देश की नहीं रही है। 2010 में पहली बार कॉमनवेल्थ गेम्स का आयोजन भारत में हुआ था। देश का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन भी इसी दौरान सामने आया। 2010 में भारत मेडल तालिका में ऑस्ट्रेलिया के बाद सबसे ज्यादा 39 गोल्ड जीतकर दूसरे स्थान पर रहा था। यहां तक की इंग्लैंड को भी पछाड़ दिया था।
218 भारतीय खिलाड़ी इस बार कर रहे प्रतिभाग

तीरंदाजी, बैडमिंटन, बास्केटबॉल, बॉक्सिंग, साइकिलिंग, गोताखोरी, जिमनास्टिक्स, हॉकी, जूडो, लॉन बाउल्स, नेटबॉल, रोविंग, रग्बी सेवन्स, स्क्वैश, स्विमिंम, शूटिंग, टेबल टेनिस, टेनिस, ट्रायथलॉन, वेटलिफ्टिंग, रेस्लिंग, एथलेटिक्स, सिक्रनाइज स्विमिंग शामिल है। इनमें इस बार कुल 275 इवेंट्स रखे गए हैं। इतने गोल्ड के लिए भारत की तरफ से 218 खिलाड़ी प्रतिभा करेंगे।
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