खेतों की मेड़ों पर दौड़ सीखकर हिमा ने जीता आईएएएफ के ट्रैक पर गोल्ड

कभी खेतों की मेड़ों पर व चावल के खेतों में दौड़कर रेस का ककहरा सीखने वाली हिमा दास ने गुरुवार को आईएएएफ के ट्रैक पर गोल्ड मेडल जीता। इस ट्रैक पर गोल्ड मेडल जीतते ही उन्होंने इतिहास रच दिया। इसके बाद असम की 18 वर्षीय हिमा दास का नाम गूगल पर सबसे ऊपर ट्रेंड करने लगा। विश्व स्तरीय प्रतियोगिता में पहली बार भारत को गोल्ड मेडल दिलाने वाली हिमा दास को हर तरफ से बधाई मिल रही है।
राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री से लेकर फिल्मी दुनिया के लोगों के बीच में एक अनसुना सा नाम छा गया हिमा दास का। सभी हिमा की इस असाधारण सी कामयाबी पर बधाई देने लगे। हिमा दास ने फिनलैंड के टैम्पेयर शहर में चल रही आईएएएफ विश्व अंडर-20 एथलेटिक्स चैंपियनशिप की 400 मीटर दौड़ स्पर्धा में गोल्ड मेडल जीता। यह पहली बार रहा कि जब भारत को आईएएएफ की की ट्रैक स्पर्धा में गोल्ड मेडल हासिल हुआ है। हिमा दास से पहले भारत की कोई महिला खिलाड़ी जूनियर या सीनियर ने किसी भी स्तर पर विश्व चैम्पियनशिप में गोल्ड नहीं जीता है। सबसे खास बात यह हैं कि हिमा दास ने 18 माह पहले ही दौड़ना शुरू किया था। इससे पहले वह लड़कों के साथ फुटबाल खेला करती थी।
हिमा ने 51.46 मिनट में पूरी की रेस
फिनलैंड में आयोजित जूनियर विश्व चैंपियनशिप में हिमा दास ने 400 मीटर की रेस को 51.46 सेकेंड में पूरी की। दूसरे स्थान पर रोमानिया की एंड्रिया मिकलोस व तीसरे स्थान पर अमरीका की टेलर मैंसन रही। हिमा दास के लिए यह काफी रोचक रही। दौड़ में 35वें सेकेंड तक हिमा शीर्ष तीन की खिलाड़ियों में भी नहीं थीं, लेकिन अपने को पिछड़ता देख उन्होंने इतिहास रचने के लिए रफ्तार पकड़ी और पहले स्थान पर आकर इतिहास रच दिया। स्पर्धा के बाद जब हिमा ने गोल्ड मेडल लिया और सामने राष्ट्रगान बजा तो उनकी आंखों से खुशी के मारे आंसू छलक पड़े। हिमा दास भी गोल्ड जीतने के बाद अब इंडियन एथलीट के एलीट क्लब में शामिल हो चुकी हैं। सीमा पुनिया, नवजीत कौर ढिल्लों और नीरज चोपड़ा की तरह हिना भी ऐसी शख्सियत बनकर उभरी हैं जो जिन्हें कामयाबी के साथ लोकप्रियता भी मिली है।
कभी फुटबाल खेला करती थी हिमा

हिमा दास की सफलता की कहानी वास्तव में प्रेरणादायक है। हिमा दास भारत के असम राज्य के पिछड़े हुए जिले नौगांव जिले से आती है। पिछड़ेपन का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि जब उन्होंने ट्रैक पर गोल्ड मेडल जीता तो वह अपनी मां को तुंरत इसकी खुशखबरी नहीं दे पाई। इसका कारण यह था क्योंकि उनके गांव ढ़िंग में अभी तक मोबाइल नेटवर्क सही तरीके से काम नहीं करता है। ढिंग की रहने वाली हिमा का परिवार खेती करता है और उनके यहां पर चावल की खेती होती है। किसान के घर में पैदा होने के कारण वह गांव की गलियों व खेतों की मेड़ों पर शुरुआती दौर में दौड़ा करती थी।
दौड़ में इतिहास रचने वाली हिमा दास गांव में लड़कों के साथ फुटबाल मैच खेला करती थी। उसकी प्रतिभा को एक दिन कोच निपोन दास ने देखा। कोच निपोन दास के मुताबिक जब वह फुटबाल के मैदान पर दौड़ती थी तो तड़कों को छका देखती थी। कोई भी लड़का उसका पीछा नहीं कर पाता था। ऐसे में उन्होंने हिमा को एथलीट में भाग्य अजमाने की सलाह दी। लेकिन हिमा का परिवार बेटी को एथलीट बनाने में समर्थ नहीं था। ऐसे में उन्होंने कोच से मदद मांगी। कोच निपोन दास ने हिमा की मदद की और हिमा को परिवार छोड़कर करीब 140 किलोमीटर आकर गुवाहटी में बसना पड़ा। बेटी को इतनी दूर भेजने पर शुरुआत में परिजन राजी नहीं हुए, लेकिन कोच निपोल की जिद के आगे परिवार ने घुटने टेक दिए और फिर शुरू हुआ हिमा की कामयाबी का सफर।
हिमा के नाम कुछ ऐसे रहे हैं रिकॉर्ड

आईएएएफ के ट्रैक पर गोल्ड मेडल जीतने वाली हिमा दास के कोच को पूरा भरोसा था कि एक दिन वह नाम करेगी। कोच निपोन दास ने बताया कि उन्हें पूरा विश्वास था कि हिमा कम से कम टॉप थ्री में जरूर शामिल होगी। 400 मीटर की रेस में उन्होंने अपनी ताकत का लोहा पूरी दुनिया में मनवाया है। उनके कोच ने बताया कि हिमा 18 माह पहले ही रेसिंग ट्रैक पर कदम रखा था। पहली बार उसने शिवसागर जिले में हुई अंतर जिला प्रतियोगिता में भाग लिया था। इसके बाद फिर उसके कदमों को उड़ान मिल गई।
बुधवार को हुए सेमीफाइनल में भी शानदार प्रदर्शन करते हुए 52.10 सेकंड का समय निकालकर वो पहले स्थान पर रही थीं। पहले दौर की हीट में भी 52.25 समय के साथ वो पहले स्थान पर रहीं। फाइनल में उन्होंने जीतकर इतिहास रचा दिया। बता दें कि इससे पहले अप्रैल में गोल्ड कोस्ट में हुए कॉमनवेल्थ खेलों की 400 मीटर की स्पर्धा में हिमा दास छठें स्थान पर रही थीं। इस टूर्नामेंट में उन्होंने 51.32 सेकेंड में दौड़ पूरी की थी। इसी राष्ट्रमंडल खेलों की 4X400 मीटर स्पर्धा में उन्होंने सातवां स्थान हासिल किया था। इसके अलावा हाल ही में गुवाहाटी में हुई अंतरराज्यीय चैंपियनशिप में उन्होंने गोल्ड मेडल अपने नाम किया था।
हिमा के व्यक्तिगत सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन
100 मीटर 11.74 सेकेंड
200 मीटर 23.10 सेकेंड
400 मीटर 51.13 सेकेंड
4X400मी. रिले 3:33.61
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