मुसीबतों से निपटते हुए बॉडी बिल्डर याशमीन ने हासिल किया मुकाम

भारत में खेलों में इधर लड़कों से ज्यादा नाम लड़कियों ने कमाया है। वह चाहे ओलम्पिक में पीवी सिंधु और साक्षी मलिक का पदक जीतना हो या इंग्लैंड में हाल ही में महिला विश्वकप में फाइनल में भारतीय लड़कियों का दिल जीतना हो। खेलों में भारत की लड़कियों ने कमाल का प्रदर्शन किया है। इसी कड़ी में अगर बात करें बॉडी बिल्डिंग की, तो ये पूरा खेल पुरुषों का खेल माना जाता है। लेकिन इस खेल में भारत की याशमीन चौहान एक लोकप्रिय नाम हैं। याशमीन ने बॉडी बिल्डिंग में देश का नाम रोशन किया है। उनकी जीवनशैली आम लड़कियों से बिलकुल ही अलग है। बॉडी बिल्डिंग के अलावा याशमीन को बाइकिंग का बेहद शौक है।
बचपन में माँ-बाप हुए अलग
आज भले ही याशमीन भारत में महिला बॉडी बिल्डिंग में आइकॉन के तौर पर जानी जाती हैं। लेकिन उन्हें इस मुकाम को हासिल करने के लिए लम्बा संघर्ष करना पड़ा है। याशमीन ने कड़ी मेहनत और लगन से अपने शरीर को पत्थर के सामान मजबूत बनाया है। इस दौरान उन्होंने सबसे ज्यादा समय जिम में वर्कआउट करके बिताया है। याशमीन का बचपन बेहद ही दुखों भरा रहा है। उनके माँ-बाप एक दूसरे से अलग हो गये थे, इस अलगाव का असर याशमीन पर पड़ा। लेकिन उन्होंने इस संकट के दौर को अपनी मजबूती बना लिया। उन्हें बेहद कम ही उम्र में पैसे की कमी के चलते नौकरी करनी पड़ी। हालांकि वह इस हालात को कमी नहीं बल्कि उसे मजबूती मानते हुए आगे बढ़ीं और इससे उन्होंने खुद को आत्मनिर्भर बना लिया। जो उनकी सबसे बड़ी मजबूती बन गयी।
पूरी दुनिया में याशमीन ने रोशन किया भारत का नाम
खबरिया चैनल आजतक की रिपोर्ट के मुताबिक याशमीन ने बॉडी बिल्डिंग पेशे के लिए बहुत त्याग किया है। माता-पिता के अलगाव के बाद उनके दादा-दादी ही सबकुछ थे। लेकिन इन सबके बावजूद याशमीन को बॉडी बिल्डिंग का बेहद शौक था। लेकिन हर घर और पड़ोसी की तरह रिश्तेदार और उन चार लोगों ने याशमीन को इस पेशे में न जाने की सलाह दी। यही नहीं जब वह नहीं मानी तो उन्हें फरमान भी सुनाया गया। लेकिन याशमीन जो जिम में वर्कआउट के दौरान भारी वजनों से दो चार हो रहीं थीं। उनके लिए ये सामाजिक दिक्कतें छोटी पड़ गईं और वह अपने मुकाम को हासिल करने में पूरे तन-मन-धन से लग गईं। याशमीन चौहान ने साल 2016 में मिस एशिया में भाग लिया जहाँ उन्होंने अपने नाम ब्रॉन्ज मेडल किया। साथ ही इसी वर्ष याशमीन ने मिस इंडिया फीजीक्स एंड फिटनेस टूर्नामेंट में भाग लिया और अपने नाम गोल्ड मेडल कर लिया। उसी वर्ष में पॉवर लिफ्टिंग कम्पीटीशन मुकाबले के डबल्स में याशमीन ने गोल्ड मेडल जीता।
सरकार इस खेल से अनभिज्ञ
वैसे भी भारत में खेल का कल्चर बेहतरीन नहीं रहा है, जिसकी वजह से देश की खेल प्रतिभाओं को धन के अभाव में निराशा और संघर्ष से दो चार होना पड़ता है। याशमीन को भी इस समस्या से दो चार होना पड़ा। उनका कहना है कि सरकार का रवैया बॉडी बिल्डिंग जैसे खेलों के प्रति अच्छा नहीं रहा है। खासकर बॉडी बिल्डिंग जैसे खेल को सरकार की तरफ से उतनी मदद नहीं मिलती है। जिसकी वजह से हम खिलाड़ियों को सघर्ष करना पड़ता है। हालांकि याशमीन मौजूदा समय में अपना खुद का जिम चलाती हैं, व एक सफल पर्सनल ट्रेनर भी हैं।
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