'हौसलों की उड़ान' देखी होगी, ये तैराकी भी देख लीजिए...

इंसान की सबसे बड़ी ताकत क्या होती है, उसका शरीर या उस शरीर में पल रहा उसका दिमाग! ज्यादातार देखा गया है शरीर से तंदरुस्त और दिमाग से कमजोर इंसान वो नहीं कर पाता जो दिमाग से तंदरुस्त और शरीर से कमजोर इंसान कर जाता है। क्योंकि इच्छाशक्ति इंसान से कुछ भी करवा सकती है।
बेहद मुश्किल चुनौती
ऐसी ही कहानी है विकलांग तैराक ई. डी. बाबुराज की, बाबुराज ने सोमवार को केरल की पुन्नामादा झील में बिना रुके 25 किलोमीटर तक तैराकी की। इस बीच वह कहीं भी रुके नहीं। सीमा रेखा पर पहुंचने के बाद 53 वर्षीय बाबुराज ने कहा कि उनके लिए यह चुनौती बेहद मुश्किल और खतरनाक थी।
तैराकी पूरी करने के बाद बाबुराज ने कहा कि मैंने इस चुनौती को अक्टूबर में पूरा करने के बारे में सोचा था, लेकिन मुझे लगा कि मेरे शरीर की फिटनेस के लिए मुझे और अभ्यास की जरूरत है। इस चुनौती को पूरा करने में बाबुराज को सात घंटे और 10 मिनट का समय लगा, इसके बाद वो पूरी तरह थक गए थे।
एलआईसी के कर्मचारी हैं बाबुराज
साल 2015 में बाबुराज ने वेम्बानंद झील में 10 किलोमीटर तक तैराकी की थी। स्कूल से ही उन्होंने इसका प्रशिक्षण शुरू कर दिया था। 12 साल की उम्र में एक दुर्घटना में उन्होंने अपना बायां हाथ गंवा दिया। इसके बावजूद वह कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेते रहे।
मेडिकल रिपोर्ट के अनुसार, उन्होंने 40 प्रतिशत तक विकलांग होने के कारण विकलांग वर्ग में हिस्सा लिया है। तैराकी के अलावा बाबुराज जीवन बीमा निगम (एलआईसी) के कर्मचारी हैं।
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