दूसरे नंबर पर होने के बावजूद नवदीप की ‘स्वर्णिम जीत’

पेरिस पैरालंपिक में शनिवार को पुरुषों की भाला फेंक एफ41 फाइनल में नाटकीय प्रदर्शन के बीच ईरान के बेत सयाह सादेघ को अयोग्य घोषित किए जाने के बाद भारत के नवदीप सिंह के रजत पदक को स्वर्ण पदक में बदल दिया गया। यह पुरुषों की भाला एफ41 श्रेणी में भारत का पहला स्वर्ण पदक है। नवदीप ने इसी के साथ इतिहास रचा है।एफ41 श्रेणी छोटे कद के एथलीटों के लिए है।

कुश्ती छोड़ थामा भाला

पानीपत के बुआना लाखु के नवदीप सिंह के पिता दलबीर सिंह पहलवान थे। उन्होंने नवदीप को भी कुश्ती के अखाड़े में उतार दिया था लेकिन पीठ में दर्द के कारण उन्हें कुश्ती छोड़नी पड़ी। उन्होंने कुश्ती तो छोड़ दी लेकिन वह खेल नहीं छोड़ पाए उनको मानो खेल से अटूट प्रेम हो गया हो। 2017 में पैरा एथलीट संदीप चौधरी को भाला फेंकते हुए देखा तो उनका मन इस खेल की तरफ आकर्षित हो गया और उन्होंने भी भाला थाम लिया।लेकिन चार फुट चार इंच लंबाई के नवदीप के लिए उनकी छोटी हाइट बड़ी बाधा बन रही थी क्योंकि भाला की लंबाई ही 7.21 फुट होती है। लेकिन नवदीप ने हार नहीं मानी और इसी खेल को अपना जुनून बना लिया।आयकर विभाग में निरीक्षक के पद पर तैनात नवदीप ने 2017 में खेल में पदार्पण के बाद से राष्ट्रीय स्तर पर पांच पदक जीते हैं। इस वर्ष हुई विश्व पैरा एथलेटिक्स चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीतकर पेरिस पैरालंपिक के लिए क्वालीफाई किया।

दिवंगत पिता का सपना किया साकार

चार महीने पहले बीमारी के चलते पिता के निधन ने नवदीप को भावात्मक रूप से तोड़ दिया था। उस समय नवदीप को मां और भाई ने हौसला दिया। वह धीरे-धीरे गम की दीवार को फांद कर बाहर निकल आए। उनकी सालों की मेहनत रंग लाई और उन्होंने स्वर्ण जीतकर अपने पिता का सपना पूरा किया। बड़े भाई मनदीप ने बताया कि पिता दलबीर ने उसको लेकर सबसे ज्यादा मेहनत की। उनका सपना था कि उनका बेटा एक दिन पैरालंपिक में देश के लिए पदक जीते। पिता इस लम्हे को जीने से वंचित रहे लेकिन नवदीप ने पैरालंपिक में स्पर्ण पदक जीतकर उनके सपने को साकार जरूर कर दिया है।

मां और भाभी ने रखा व्रत

नवदीप की जीत की कामना को लेकर मां मुकेश रानी और भाभी आरती ने व्रत रखा था। सुबह उन्होंने पूजा-अर्चना की और जैसे ही मैच शुरू हुआ वे टीवी के सामने बैठकर हाथ जोड़कर मन में ही नवदीप के जीत की कामना करने लगीं। जैसे ही नवदीप का मेडल पक्का हुआ तो उनकी आंखों से खुशी के आंसू निकल आए। पदक जीतने के बाद दोनों ने अपना व्रत खोला।

नवदीप की बेस्ट थ्रो

नवदीप का पहला प्रयास फाउल रहा लेकिन उन्होंने दूसरे प्रयास में 46.39 मीटर के थ्रो के साथ शानदार वापसी की। तीन साल पहले टोक्यो पैरालंपिक में चौथे स्थान पर रहने वाले नवदीप के तीसरे थ्रो ने स्टेडियम को रोमांचित कर दिया। उन्होंने 47.32 मीटर के सर्वश्रेष्ठ थ्रो के साथ पैरालंपिक रिकॉर्ड को तोड़ दिया और बढ़त बना ली। हालांकि ईरान के सादेघ ने अपने पांचवें प्रयास में भारतीय खिलाड़ी नवदीप से बेहतर प्रदर्शन करते हुए 47.64 मीटर का रिकॉर्ड थ्रो किया।

ईरान का खिलाड़ी अयोग्य घोषित

फाइनल की समाप्ति के कुछ समय बाद ईरान के खिलाड़ी बेत सयाह सादेघ को अयोग्य घोषित कर दिया गया जिसके कारण नवदीप ने शीर्ष स्थान हासिल किया। दरअसल अंतर्राष्ट्रीय पैरालंपिक समिति के नियम एथलीटों को आयोजन में कोई भी राजनीतिक संकेत देने से रोकते हैं। सयाह को बार-बार आपत्तिजनक झंडा प्रदर्शित करने के लिए अयोग्य घोषित किया गया। इस गैर-खेल/अनुचित आचरण की वजह से सयाह को स्वर्ण पदक खोना पड़ा। इस स्पर्धा का रजत विश्व रिकॉर्ड धारक चीन के सन पेंगजियांग (44.72) के नाम रहा जबकि इराक के नुखाइलावी वाइल्डन (40.46) ने कांस्य पदक जीता।

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