कभी शूटिंग में फेल कर दिए गए थे जीतू राय, आज भारत को जिताया गोल्ड मेडल

वेटलिफ्टरों के बाद भारतीय शूटरों ने गोल्ड कोस्ट में तिरंगे का मान बढ़ाया है। सोमवार को ग्लास्गो के गोल्ड मेडल विजेता खेल रत्न जीतू राय ने एक बार फिर गोल्ड पर निशाना साधा। बेलमोंट शूटिंग सेंटर में आयोजित आयोजित पुरुषों की 10 मीयर एयर पिस्टल निशानेबाजी स्पर्धा के फाइनल में जीतू ने रिकार्ड के साथ 235.1 का स्कोर बनाया। वहीं भारतीय शूटर ओम मिथरवाल ने इसी स्पर्धा 214.3 अंकों के साथ ब्रांज मेडल जीता। सिल्वर मेडल मेजबान ऑस्ट्रेलिया के कैरी बेल ने कुल 233.5 अंक हासिल करके जीता। इस तरह शूटिंग में भारत को दूसरा स्वर्ण पदक है।
नेपाल के छोटे गांव में जन्में थे जीतू राय
भारत के जीतू राय का सफर भी मुश्किलों से भरा रहा है। जिस जीतू राय को आज दुनिया पिस्टल किंग कहती है, जिन हाथों ने निशानेबाज़ी में बड़े-बड़े मेडल जीते हैं, उनको बहुत ही उतार-चढ़ाव देखने पड़े। नेपाल के छोटे से गांव में जन्में जीतू राय का यहां तक पहुंचना किसी सपने से कम नहीं है। लेकिन सेना में भर्ती होने के बाद उनकी किश्मत बदल गई और उन्होंने जीवन में भारत को पिस्टल की दुनिया का माहिर शूटर मिल गया। नेपाल के संखुवासभा गाँव में जन्मे जीतू के पिता भारतीय फौज में थे और उन्होंने गोरखा राइफल्स रेजिमेंट में उन्होंने नौकरी की।
जीतू के पिता ने चीन और पाकिस्तान के खिलाफ जंग में हिस्सा लिया था। जीतू के पिता भी सेना में थे। उनके पिता 2006 में उन्होंने अपने पिता को खो दिया था। जीतू के पिता को भारत में नौकरी मिलने के बाद वे परिवार के साथ नेपाल को छोड़कर भारत आ गए। लेकिन पिता की मौत के बाद 20 साल की उम्र में जीतू ने भी भारतीय सेना की गोरखा रेजिमेंट ज्वाइन की। यही पर उन्होंने अपना अभ्यास जारी रखा और उन्हें दो साल बाद निशानेबाजी के लिए चुना गया। 2011 में जीतू को उनके खराब प्रदर्शन की वजह से नायब सूबेदार ने दो बार महू में आर्मी की मार्क्समैन यूनिट से वापस भेज दिया गया था।
जब हुई वापसी तो देश के नंबर निशानेबाज बने जीतू
जीतू राय जब मार्क्समैन यूनिट आ गए तो उन्होंने यहां पर फिर से मेहनत शुरू की। यही से उनकी पूरी जिंदगी बदल गई और उन्होंने निशानेबाज़ी में कड़ी मेहनत करनी शुरू की। भारतीय सेना में रहते हुए 2013 में जीतू अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेने लगे और एक साल के अंदर अंदर वो दुनिया भर में छा गए। लखनऊ को अपना बेस बनाने वाले जीतू ने 2014 में कॉमनवेल्थ गेम्स में 50 मीटर पिस्टल वर्ग में गोल्ड मेडल जीता। उन्होंने इसी साल एशियन गेम्स में भी भारत को पहला गोल्ड जीतू ने ही दिलाया था। वर्ल्ड चैंपियनशिप में सिल्वर, दो वर्ल्ड कप सिल्वर, इंचियोन एशियाड में स्वर्ण और कांस्य पदक अपने नाम किया। 2015 वर्ल्ड कप में कांस्य और 2017 ब्रिस्बेन कॉमनवेल्थ चैंपियनशिप में दो ब्रॉन्ज मेडल पर निशाना साधा। 2016 में ओलंपिक में पदक न जीत पाना उनके करियर का लो पॉइंट रहा क्योंकि ओलंपिक में मेडल जीतना जीतू का सपना था। वे ओलिंपिक में 10 मी एयर पिस्टल में 8वें और 50वें मी एयर पिस्टल में 12वें स्थान पर रहे थे। इससे निराश जीतू ने फैसला किया कि वे सिर्फ 10मी एयर पिस्टल का अपना ध्यान लगाएंगे। गोल्ड कोस्ट कॉमनवेल्थ में जीतू ने सोने पर निशाना लगाया।
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