संजीव राजपूत : सड़क किनारे पूड़ी बेचने वाले के बेटे ने गोल्ड कोस्ट में जीता गोल्ड

भारत के लिए पिछले 14 साल से मेडल जीतते आ रहे निशानेबाज संजीव राजपूत के पिता सड़क किनारे ठेला लगाकर पूड़ी बेचा करते थे। पूड़ी बेच-बेचकर उन्होंने अपने बेटे संजीव राजपूत को अच्छे स्कूल में पढ़ाया। जिसका नतीजा रहा कि 18 साल की उम्र में वे नेवी में भर्ती हो गए और यहीं पर रहते हुए उनके अंदर 2001 से निशानेबाजी का शौक जागा।
अमीरों का खेल होने के कारण घर पर उन्होंने कभी बूंदर नहीं चलाई थी, लेकिन नेवी में भर्ती होने के बाद उन्होंने इसमें अपना हाथ अजमाया और सफल रहे। हालांकि उन्हें सफलता हासिल करने में तीन साल लगे। निशानेबाजी में गुण सिखने के बाद वह पहली बार उन्होंने 2004 में पाकिस्तान में पहला पदक जीता। फिर इसके बाद कभी उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा, वे एक के बाद एक करके भारत के हिस्से में मेडल जीतते जा रहे हैं। और अभी वे इंडियन नेवी में मास्टर चीफ पेटी ऑफिसर- 2 हैं। संजीव 50 मीटर राइफल 3 पोजीशन में अपनी चुनौती पेश करके गोल्ड कोस्ट में गोल्ड मेडल जीता है।

परवेज मुशर्रफ भी कर चुके हैं तारीफ

संजीव राजपूत हरियाणा के युमनानगर जिले में स्थित जगाधरी के रहने वाले है। इनका जन्म एक मध्यवर्गीय परिवार में पांच जनवरी 1981 में हुआ था। मध्यवर्गीय परिवार में जन्मे संजीव ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा जगाधरी के एसडी पब्लिक स्कूल में शुरू की और वहां 12वीं की पढ़ाई पूरी करने के बाद महज 18 की उम्र में उनका चयन इंडियन नेवी में हो गया। यहीं से शूटिंग को लेकर उनकी रचि बढ़ने लगी और उन्होंने इस स्पर्धा में अपनी किस्मत आजमाने का मन बना लिया। अचूक निशानेबाजी के दम पर सफलता के शिखर पर संजीव बढ़ते चले गए। संजीव ने 2004 में पहली बार अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पाकिस्तान में आयोजित हुए एसएएफ खेलों में हिस्सा लिया। जिसमें उन्होंने तीन गोल्ड से खाता खोला, जिस पर पाकिस्तान के तत्कालीन राष्ट्रपति जनरल परवेज मुशर्रफ ने उन्हें बधाई भी दी थी। इसके बाद अंतरराष्ट्रीय स्तर पर संजीव कई कीर्तिमान हासिल करते चले गए। इसके बाद मेलबॉर्न में हुए राष्ट्रमंडल शूटिंग चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीतकर अपने को स्थापित किया। उन्होंने यहां पर 20 साल पुराना रिकॉर्ड तोडा था। अब तक कुल मिलाकर संजीव 100 से अधिक गोल्ड, 35 सिलवर, 50 ब्रॉन्ज मेडल जीत चुके हैं। उनकी इस कामयाबी पर एक धब्बा यह भी लगा कि उनके ऊपर बलात्कार का केस भी दर्ज हो चुका है। एक राष्ट्रीय शूटर ने उन पर यह आरोप लगाकर मुकदमा लिखाया था।
पीएम के बुलाए 2006 में पूरी जगाधरी में छा गए थे संजीव
संजीव के पिता कृष्ण लाल राजपूत व मां ऊषा रानी को उस दिन गर्व हुआ था जब उनके बेटे को प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने अपने साथ पर बुलाया था। द ट्रिब्यून में 2006 में छपी रिपोर्ट के अनुसार उनके पिता से जब पूछा गया तो था उन्होंने कहा था कि ये मेरे लिए बहुत दुर्लभ सम्मान है। उन्होंने कहा था कि हमारे लिए इससे बड़ी और खुशी क्या हो सकती है कि जिस खेल को हम कभी नहीं सिखा सकते थे वह खेल बेटा सर्विस में रहते हुए सिख गया। उनकी मां को उसम बहुत ही खुशी हुई थी जब संजीव राजपूत ने राष्ट्रीय रिकॉर्ड तोड़ा था। गगन नांरग के नाम 1163 के रिकार्ड को उन्होंने तोड़ दिया था। अब संजीव बहुत आगे आ चुके हैं।

अर्जुन पुरस्कारों से नवाजे जा चुके है संजीव राजपूत
उन्हें बेहतर खेल के लिए वह अब तक कई सारे अवार्ड मिल चुके हैं। अगस्त 2010 में उन्हें अर्जुन पुरस्कार प्रदान किया। उन्होंने अभी पिछले साल इन्होंने ब्रिस्बेन कॉमनवेल्थ चैंपियनशिप में रजत पदक जीता. वहीं 2016 में बाकु विश्व कप में भी रजत पदक पर निशाना लगाया। संजीव ने 2012 में लंदन ओलिंपिक के लिए भी क्वालीफाई किया था। इसके अलावा बेस्ट सर्विसेज स्पोर्टमैन, आइएसएसएफ वर्ल्ड कप फाइनल्स मूनिच, आइएसएसएफ वर्ल्ड कप फाइनल्स मूनिच, आइएसएसएफ वर्ल्ड कप, आइएसएसएफ वर्ल्ड कप, गोल्ड मेडल, 45वीं वर्ल्ड मिलिट्री शूटिंग चैंपियनशिप ब्रांजिल- चौथा स्थान, 18वीं कॉमनवेल्थ गेम्स मेलबोर्न-2006- ब्रांज मेडल, 20वीं कॉमनवेल्थ गेम्स, ग्लास्गो -2014- सिल्वर मेडल, सातवीं कॉमनवेल्थ चैंपियनशिप मेलबोर्न-2005 गोल्ड मेडल जीता था।
कॉमनवेल्थ चैंपियनशिप, न्यू दिल्ली-2010 एक गोल्ड मेडल और एक सिल्वर, 15वीं एशियन गेम्स दोहा-2006 ब्रांज मेडल, 16वीं एशियन गेम्स गोंगझोऊ, चाइना-2010 में सिल्वर मेडल, 11वीं एशियन शूटिंग चैंपियनशिप कुवैत- 2007 में दो सिल्वर व एक ब्रांज, 12वीं एशियन शूटिंग चैंपियनशिप-2012- दोहा में दो गोल्ड, तीसरी एयरगन चैंपियनशिप दोहा- 2009 में गोल्ड मेडल, छठी एयरगन चैंपियनशिप तेहरान-2013 में दो गोल्ड, एक सिल्वर व एक ब्रांज, एसएएफ गेम्स, इस्लामाबाद- 2004 में तीन गोल्ड व एक सिल्वर, पांचवीं एसएएफ शूटिंग चैंपियनशिप, ढाका- 2009 में चार गोल्ड व दो सिल्वर, आस्ट्रेलिया कप, मेलबोर्न- 2006 में एक ब्रांज, हंगरी एयरगन ओपन-2008 में सिल्वर, आस्ट्रेलिया कप सिडनी-2008 में एक गोल्ड, दो सिल्वर और एक ब्रांज इनके नाम है।
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