राष्ट्रमंडल खेल में पदक पर ‘पंच’ मारने उतरेगी ये महिला मुक्केबाज

राष्ट्रमंडल खेलों का महासंग्राम 4 अप्रैल से आस्ट्रेलिया के गोल्ड कोस्ट में शुरू होने जा रहा है। इसमें भारत को पदक दिलाने के लिए भारत की तरफ से चार महिला पहलवान उतरेंगी। इसमें सबकी नजर इस बार पांच बार की विश्व चैंपियन और ओलंपिक कांस्य पदक विजेता 35 वर्षीय महिला मुक्केबाज एमसी मैरीकॉम पर रहेगी। क्योंकि मुक्केबाजी के हर क्षेत्र में मैरीकॉम पदक जीत चुकी है लेकिन अभी तक उनका राष्ट्रमंडल से सूखा खत्म नहीं हुआ है।
वे इस बार राष्ट्रमंडल खेलों में अपना पहला पदक जीतने का सपना पूरा करने उतरेंगी। पांच बार विश्व खिताब जीत चुकी और एशियाई चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीत चुकी है। बता दें कि महिला मुक्केबाजी को 2014 के ग्लास्गो राष्ट्रमंडल खेलों में पहली बार शामिल किया गया था तब मैरीकॉम उन खेलों में हिस्सा नहीं ले पाई थीं। भारत ने ग्लास्गो राष्ट्रमंडल खेलों में मुक्केबाजी में चार रजत और एक कांस्य सहित कुल पांच पदक जीते थे।
मोहम्मद अली से मैरीकॉम को मिली थी प्रेरणा
1 मार्च 1983 को मणिपुर के चुराचांदपुर जिले में एक गरीब किसान के परिवार में जन्मीं मैरीकॉम ने 2001 में पहली बार नेशनल वुमन्स बॉक्सिंग चैंपियनशिप जीती थी। मैरी ने 2000 में अपना बॉक्सिंग करियर शुरू किया था। बहुत से उतार-चढ़ाव के बावजूद खुद को न केवल स्थापित किया बल्कि कई मौकों पर देश को भी गौरवान्वित किया। उन्होंने रिंग की दुनिया में कदम बढ़ाने के बाद कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। मैरी कॉम को बचपन में टीवी पर मोहम्मद अली को मुक्केबाजी करते देख बॉक्सर बनने की प्रेरणा मिली। परिवार ने शुरू में विरोध किया। इसके बावजूद ने मैरी कॉम ने बॉक्सिंग की ट्रेनिंग शुरू की थी। गोल्ड मेडलों की चमक हासिल करने के लिए मैरीकॉम जी तोड़ कड़ी मेहनत करती हैं। मैरीकॉम को 'सुपरमॉम' के नाम से भी जाना जाता है। 2008 में इस महिला मुक्केबाज को 'मैग्निफिसेंट मैरीकॉम' की उपाधि दी गई। वह इस इवेंट में पांच गोल्ड मेडल जीतने वाली पहली बॉक्सर बन गईं। उन्होंने ने अब तक विभिन्न खेल प्रतियोगिताओं में 13 स्वर्ण पदक अपने नाम किए है।
एशियाई खेलों में जीत चुकी है स्वर्ण पदक
राष्ट्रमंडल खेल में इसलिए उनसे स्वर्ण पदक की उम्मीद लगाई जा रही है क्योंकि उनका पिछला रिकार्ड काफी बेहतर रहा है। मैरीकॉम 2014 के इंचियोन एशियाई खेलों और 2010 के ग्वांगझू एशियाई खेलों में क्रमश: स्वर्ण और कांस्य पदक जीत चुकी हैं। ‘मैग्निफिसेंट मैरी’ के नाम से मशहूर मैरीकॉम ने गत वर्ष एशियाई चैंपियनशिप में जबरदस्त वापसी करते हुए स्वर्ण पदक जीता था जो एशियाई चैंपियनशिप में उनका पांच साल बाद हासिल किया गया स्वर्ण था। राज्यसभा सांसद मैरीकॉम के लिए यह संभवत: आखिरी राष्ट्रमंडल खेल हो सकते हैं क्योंकि अगले राष्ट्रमंडल खेलों तक वह 39 वर्ष की हो जाएंगी। तीन बच्चों की मां मैरीकॉम भारतीय मुक्केबाजी में लीजेंड का दर्जा रखती हैं और गोल्ड कोस्ट में वह राष्ट्रमंडल खेलों में अपना पहला पदक जीतने का सपना पूरा करना चाहेंगी।
राष्ट्रमंडल में 48 किग्रा वर्ग में करेंगी प्रतिभाग
भारतीय महिला मुक्केबाजी की टीम को लीड कर रही मैरीकॉम 48 किग्रा वर्ग में अपनी चुनौती रखेंगी। उनके अलावा महिला वर्ग के 51 किग्रा वर्ग में इंडिया ओपन में स्वर्ण पदक जीतने वाली हिसार की पिंकी रानी भी टीम का हिस्सा हैं। इसके अलावा लैशराम देवी (60) और लवलिना बोगोहेन (69) भी अपनी चुनौती पेश करेंगी। इस बार राष्ट्रमंडल में पूरी उम्मीद है कि महिला खिलाड़ियों का प्रदर्शन बहुत ही बेहतर रहेगा।
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