'मुसीबतों की मारी' शर्मिला ने नेशनल लेवल पर जूडो में हासिल किया मेडल

जिंदगी मुश्किल हो सकती है! मुसीबतें आपका रास्ता रोक सकती हैं, लेकिन इच्छाशक्ति एक ऐसी चीज है जो सबको ध्वस्त कर सकती है। अगर आपके पास ये है तो आप अपनी जिंदगी के खुद बादशाह हैं। आज हम जो कहानी बताने जा रहे हैं, वो एक 12 साल की लड़की की नेशनल लेवल पर कांस्य पदक जीतने की है।
अंडर-14 जूडो के राष्ट्रीय प्रतियोगिता में कांस्य पदक जीता
ये लड़की जिसका नाम शर्मिला है, वो अपनी मां को अपना आइडल मानती है। उसने अपनी मां से संघर्ष करना सीखा और आज वो अपनी मां की आंखों में खुशी के आंसू लाने में कामयाब हो गई है। शर्मिला ने हाल ही में जयपुर में 23 किलो भारवर्ग में अंडर-14 जूडो के राष्ट्रीय प्रतियोगिता में कांस्य पदक हासिल कर बता दिया कि अभावों और मुसीबतों से लड़ते हुए भी सफलता पाई जा सकती है।
क्या है शर्मिला की कहानी
पंजाब के जालंधर की रहने वाली 12 साल की शर्मिला की मां दूसरों के घर में काम करके अपने तीन बच्चों को पालती हैं, जबकि उसके पिता का देहांत हो चुका है। गरीबी में अपनी जिंदगी गुजारने वाली शर्मिला जैसी लड़कियों की महत्वाकांक्षाएं शायद नहीं होती हैं! लेकिन शर्मिला ने वो कर दिया जो कम ही लोग सोच पाते हैं।
आज वो राष्ट्रीय स्तर पर खेले जाने वाले 'खेलो इंडिया' प्रतियोगिता में जूडो प्रतिस्पर्धा का कांस्य पदक अपने नाम कर चुकी है। इस प्रतियोगिता को 'मिनिस्ट्री ऑफ यूथ अफेयर्स एंड स्पोर्ट्स' ने मान्यता दी है। इस जीत के बाद शर्मिला ने कहा, 'इससे भी ज्यादा मेडल जीतकर मम्मी को खुश करना है।' शर्मिला अपने इस खेल को आगे भी जारी रखना चाहती है।
मां को मिली जिंदगी की सबसे बड़ी खुशी
अपनी बेटी की इस जीत के बाद, शर्मिला की मां सोनिया ने कहा, बहुत मुश्किल जिंदगी है हमारी, बहुत कम कमाती हूं, इनकी पढ़ाई और खाने के लिए बहुत मेहनत करती हूं। शर्मिला की इस जीत ने मेरी जिंदगी में बहुत खुशी दी है।'
एक बच्ची जिसको अभी ठीक से नहीं पता आने वाले समय में गरीबी किस कदर उसका रास्ता रोक सकती हैं, लेकिन उसके हौसले उसको जरूर सफलता दिलाएंगे ऐसा कम से कम उसकी मां तो मानती ही है, और हम भी यही उम्मीद करते हैं शर्मिला आने वाले समय में सभी मुसीबतों को पार करते हुए अपने सपनों को पूरा कर पाए।
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