क्या आमिर खान की 'दंगल' फिल्म में देखने को मिलेगी ये सच्चाई?

'दंगल' का ट्रेलर के रिलीज होने के साथ ही उम्मीद और बढ़ चुकी हैं। फिल्म 23 दिसंबर को रिलीज होगी। आमिर खान अभिनीत फिल्म महावीर सिंह फोगाट और उनकी बेटियों की सच्ची कहानी है, जिन्होंने कुश्ती जगत में भारत की ओर से इतिहास रचा।
महावीर के अथक प्रयासों के चलते उनकी कोचिंग से धुरंधर पहलवान निकले, जिन्होंने पूरे देश का नाम रोशन किया।
उनकी बेटियां गीता फोगाट, बबीता फोगाट, संगीता फोगाट, रितु फोगाट, प्रियंका फोगाट और भतीजी विनेश फोगाट ने एशियाई खेलों, राष्ट्रमंडल खेल और अन्य राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय कुश्ती चैंपियनशिप में कई पदक जीता हैं।
इन पहलवानों को नकद पुरस्कार, लक्जरी कारों, खेल शिक्षाविदों के लिए भूमि और अन्य विशेषाधिकारों देने का वादा किया गया, जब भी वे पदक जीतने में कमयाब रहे। नकद इनाम की राशि का कुछ हिस्सा दिया जा चुका है लेकिन अभी भी 40 लाख रुपये का का भुगतान हरियाणा सरकार को करना है।
बबीता और विनेश क्रमश: साल 2015 और 2016 में दोनों अर्जुन पुरस्कार के विजेता हैं, जिनको राज्य सरकार की ओर से अर्जुन पुरस्कार के लिए 5 लाख रुपये नकद पुरस्कार प्राप्त करने हैं। बबीता को यब भी बताया गया था कि वह केवल 2012 के बाद के पुरस्कार का दावा कर सकती हैं और इससे पहले का नहीं, क्योंकि पिछली सरकार ने वर्तमान सरकार को इस उद्देश्य से कोई बजट प्रदान नहीं किया। वर्तमान सरकार ने इस मामले की किसी भी संज्ञान भी नहीं दिया है। निराश बबीता ने कहा, "यह हमारी गलती नहीं है कि सरकार बदल गई, हमें वो मिलना चाहिए जिसके हम हकदार हैं।"
अनियमितता और भ्रम की वर्तमान स्थिति को लेकर उनके पिता महावीर ने जिला खेल अधिकारी को एक पत्र भी लिखा था, सरकार के वादे को पूरा करने के लिए असफलता पर जवाब मांगा।
हर सप्ताह, फोगट परिवार यह पता लगाने के लिए जिला खेल कार्यालय जाता है कि क्या कोई काम आगे बढ़ा या नहीं, लेकिन हर बार उन्हें निराशा होकर घर लौटने पड़ता है।
साक्षी मलिक के कोच कुलदीप मलिक के साथ भी ऐसी ही स्थिति
यहां तक कि ओलंपिक के कांस्य पदक विजेता साक्षी मलिक के कोच कुलदीप मलिक को हरियाणा सरकार ने 10 लाख रुपए के नकद पुरस्कार देने का वादा किया था, जब वो रियो ओलंपिक 2016 के अब तक से लौटकर आए थे।
बहादुरगढ़, हरियाणा में एक सम्मान समारोह में उन्हें 10 लाख रुपये के चेक की फोटोकॉपी प्राप्त हुई। एक महीने के बाद भी असली चेक के लिए इंतजार कर रहे हैं।
ऐसा लगता है कि भारत में खेल और एथलेटिक्स को सबसे ज्यादा लापरवाही के अधीन है। इन एथलीटों सरकार द्वारा तभी पहचाना जाता है जब वे देश का नाम रोशन करते हैं। वे अपने खून और पसीने एक करके देश के लिए सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करते हैं और देश को गौरवान्वित करते हैं। लेकिन सरकारें उन्हें पुरस्कृत करना भूल जाती है। हम सरकार से आग्रह करते हैं कि इस बात को संज्ञान लें और एथलीटों को उनका हक अदा करे।
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