एक ऐसा खिलाड़ी, जो असली रणजी चैंपियन है

नवंबर 2015 को वसीम ने पूरे किए थे दस हजार रन
लंबे समय से टीम इंडिया से बाहर और रणजी टीम विदर्भ के ओपनर बल्लेबाज वसीम जाफर ने 8 नवंबर 2015 को इतिहास रचा था। रणजी क्रिकेट में 10 हजार रन पार करने वाले इकलौते बल्लेबाज बन गए थे। ऐसा कारनामा आज तक कोई क्रिकेटर नहीं कर सका है। उस दिन उन्होंने बंगाल के खिलाफ मैच में 8 रन बनाते ही वसीम जाफर ने रणजी क्रिकेट में 10 हजार रन पूरे कर लिए थे। यह आंकड़ा छूने के बाद भी अब इनका सफर जारी है। और 40 साल के वसीम जाफर के नाम 138 मैचों में 10738 रन है। इस दौरान उनके नाम पर 36 शतक दर्ज हैं। वैसे, वसीम जाफर ने टीम इंडिया के लिए टीम इंडिया के लिए 31 टेस्ट और 2 वनडे मैच खेल चुके वसीम ने टेस्ट में 5 शतक और 11 अर्धशतक लगाए हैं।
20 साल की उम्र में किया था मुंबई की टीम से डेब्यू
1996-1997 में मुंबई से 20 वर्ष की आयु से रणजी में डेब्यू किया और दूसरे ही रणजी मैंच में तिहरा शतक जड़कर सबको चैंका दिया। 2000 में उन्होंने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में कदम रखा। 2002 में वह वेस्टइंडीज टूर पर फिर से टीम में शामिल हुए। हालांकि जल्द ही वह फिर बाहर हो गए। 2005 में उन्हें श्रीलंका के खिलाफ तीसरे टेस्ट में फिर बुलाया गया। इंग्लैंड के खिलाफ उन्होंने एक मैच में शतक लगाया और 2006 में वेस्टइंडीज के खिलाफ उन्होंने दोहरा शतक बनाया। इसके बाद गौतम गंभीर ने उनकी जगह टेस्ट टीम में ले ली। उन्होंने 31 मैचों में उन्होंने 1944 रन बनाए। इसमें 5 शतक और 11 अर्धशतक शामिल थे। आखिरी टेस्ट मैच दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ 2008 में कानपुर में खेला था। जबकि आखिरी वनडे 2006 में।
इन खिलाड़ियों के नाम है यह रिकार्ड
रणजी में अब तक वसीम जाफर ने सबसे ज्यादा रन बनाए है। उनके बाद रणजी में सबसे ज्यादा रन बनाने वाले बल्लेबाजों मंे अमोल मजुमदार (9202 रन) और दिल्ली के मिथुन मनहास (8197 रन) हैं। वहीं, अगर रिकॉर्डधारी मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर की बात करें तो उन्होंने कुल 57 रणजी मैचों में 87.36 के औसत से 4281 रन ही बनाए हैं। जिनमें 18 शतक और 19 अर्धशतक शामिल हैं। सचिन के अलावा बाकी क्रिकेटर जैसे विराट कोहली और वीरेंद्र सहवाग वसीम जाफर से काफी पीछे हैं।
9 रणजी खिताब जीतने का भी है रिकार्ड
इस बार जब उन्होंने विदर्भ को जिताया है, तो यह भी एक इतिहास बन गया है। वसीम जाफर के खेलते हुए किसी टीम ने 9वीं बार रणजी खिताब पर कब्जा किया है। वसीम जाफर 9वीं बार रणजी ट्रॉफी के फाइनल में उतरे और अपने सौ प्रतिशत जीत के रिकॉर्ड को बरकरार रखा। यदि कहा जाए कि वसीम जाफर रणजी ट्रॉफी फाइनल में जीत की गारंटी हैं तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी। उनकी कप्तानी में मुंबई टीम ने दो रणजी खिताब अपने नाम किए। 40 वर्षीय वसीम जाफर ने जून 2015 में मुंबई से नाता तोड़ विदर्भ का दामन थामा था। यह इस टीम के साथ उनका दूसरा सीजन है। वसीम इससे पहले आठ बार रणजी ट्रॉफी का खिताब जीतने वाली टीम के सदस्य रहे हैं। एक बार ही उन्हें टीम से बाहर रहना पड़ा था। 1996-97 में मुंबई ने दिल्ली को मात दी थी। उसके बाद वह मुंबई के लिए सात बार फाइनल खेलने उतरे और सातों बार मुंबई विजयी रही। मुंबई का साथ छोड़ने के बाद जाफर पहली बार विदर्भ के लिए फाइनल खेलने उतरे और इस बार भी बाजी विदर्भ के हाथ ही लगी।
बिना फीस के वसीम जाफर ने खेला था विदर्भ की से फाइनल
बड़ी उम्र व अन्य कारण की वजह से वह मुंबई टीम से हट गए और विदर्भ की टीम से खेलने के लिए आ गए। उन्होंने पिछले सीजन में टीम से नाता जोड़ा था। इस बार वसीम जाफर ने इस सत्र में विदर्भ क्रिकेट एसोसिएशन से बिना फीस लिए रणजी ट्रॉफी खेली है और इसके पीछे बहुत बड़ा कारण है। वसीम के अनुसार, ‘उनके साथ पिछले सत्र (2016-17) में मैंने कॉन्ट्रैक्ट किया था, जिसमें मुझे तीन इंस्टॉलमेंट्स (अक्टूबर, जनवरी और मार्च) में फीस दी जानी थी। वे लोग मुझे रणजी ट्रॉफी में खिलाना चाहते थे। हालांकि ऐसा नहीं हो सका क्योंकि मैं चोटिल हो गया, लेकिन उन्होंने बिना किसी रुकावट के मुझे मेरी फीस दी। चोटिल होने के कारण मैं अक्टूबर में खेल नहीं सका इसलिए उन्होंने मुझे पैसे भी नहीं दिए जो कि सही था, लेकिन जनवरी तक मैं खेलने के लिए पूरी तरह से फिट हो गया था, और फिर से टीम में मौका दिया गया। हालांकि उन्होंने मेरे कॉन्ट्रैक्ट की इज्जत करते हुए मुझे पैसे दिए। मैं उनका यह एहसान लौटाना चाहता था इसलिए मैंने उनसे कहा कि इस सत्र के दौरान मैं बिना फीस लिए खेलूंगा और मेरा यह फैसला उनके और मेरे लिए फायदेमंद साबित हुआ।’
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