जानिए क्यों एक बार फिर एकजुट हुए 1983 वर्ल्ड कप के खिलाड़ी

भारत के क्रिकेट इतिहास में 1983 वर्ल्ड कप (1983 Cricket WorldCup) की प्रमुख भूमिका रही है। ये वो साल था जब भारत ने क्रिकेट के मैदान पर इतिहास रचते हुए वर्ल्ड कप की ट्रॉफी पहली बार अपने नाम की थी। अब वर्ल्ड कप विजेता टीम के हिस्सा रहे खिलाड़ी मिलकर कोरोना के खिलाफ एक बड़ी लड़ाई का हिस्सा बन रहे हैं। इनके जज्बे को देखकर लोग एक बार फिर भारतीय क्रिकेट टीम (Indian Cricet Team) के इन खिलाड़ियों की तारीफ कर रहे हैं।
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दिल्ली पुलिस के अभियान से जुड़े
कोरोना वायरस (Corona Virus) की महामारी के खिलाफ जंग में फिर से टीम इंडिया के पुराने साथी एकजुट हुए हैं। दरअसल ये पूर्व खिलाड़ी दिल्ली पुलिस (Delhi Police) की ओर से चलाई जा रही मुहिम का हिस्सा बन चुके हैं। पुलिस की तरफ से लोगों को इस महामारी (Pandemic) के खिलाफ जागरूक करने के उद्देश्य से हैशटैग 1983 वर्ल्ड कप हीरोज विद दिल्ली पुलिस चलाया जा रहा है। पुलिस की ओर से ये हैशटैग चलाते ही वर्ल्ड कप 1983 (1983 Cricket WorldCup) के खिलाड़ी इसके समर्थन में आ गए और अपने अपने विचार व्यक्त करने लगे। दिल्ली पुलिस और टीम के पूर्व खिलाड़ियों ने बड़ी संख्या में अपने संदेश इस मुहिम के तहत प्रसारित किए।
मदन लाल ने अनुशासन पर जताया भरोसा
टीम के खिलाड़ी रहे मदन लाल (Madan Lal) ने इस हैशटैग के जवाब में कहा कि जब हम लोग 1983 में वर्ल्ड कप को खेलने गए तो किसी ने भी ये नहीं सोचा था कि हम ट्रॉफी लेकर लौटेंगे, लेकिन हमें खुद पर विश्वास था। हमने वर्ल्ड कप इसलिए जीता क्योंकि हमें अपनी टीम के खिलाड़ियों और अनुशासन पर भरोसा था। अब कोरोना वायरस (Corona Virus) की महामारी की इस मुश्किल लड़ाई में डॉक्टर्स, पुलिस, सरकार और सभी जनता को मिलकर वैसा ही प्रदर्शन करना है, जिससे हम इस महामारी (Pandemic) पर जीत हासिल कर सकें।

कोरोना के खिलाफ बाजी पलटने का प्रयास
वर्ल्ड कप (WorldCup) में बल्लेबाज के रूप में प्रमुख भूमिका निभाने वाले दिलीप वेंगसरकार (Dilip Vengsarkar) ने कहा कि 1983 वर्ल्ड कप (1983 Cricket WorldCup) में हमारी टीम के बल्लेबाज कुछ खास नहीं कर सके थे। पूरी टीम 183 रन के मामूली स्कोर पर सिमट गई थी। लेकिन हमने अपने अनुशासन और जुझारूपन से मैच की बाजी को पलट दिया। आज भी हम चाहे तो कोरोना के खिलाफ बाजी को पलट सकते हैं। उन्होंने कहा कि हमें इस समय लॉकडाउन (Lockdown) के नियमों का पालन करना होगा। साथ ही पुलिस की मदद भी करनी होगी। अगर आज हम टीम के रूप में रहें तो एक बार फिर जीत हासिल होगी।
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वेस्टइंडीज टीम ने शुरू कर दिया था जश्न
भारत और वेस्टइंडीज के बीच यह ऐतिहासिक क्रिकेट मैच 23 जून 1983 को हुआ था। आज भी उस रोमांचक मैच को याद कर पुराने क्रिकेट प्रेमियों में रोमांच की लहर दौड़ जाती है। उस मैच में टॉस जीतकर वेस्टइंडीज की टीम ने पहले बल्लेबाजी चुनी थी। भारतीय टीम के सलामी बल्लेबाज सुनील गावस्कर (Sunil Gawaskar) और श्रीकृष्णामचारी श्रीकांत (Krish Srikanth) बल्लेबाजी करने क्रीज पर उतर चुके थे। भारतीय टीम इस फाइनल मैच में 60 ओवर के खेल 54.4 ओवर में 183 रनों पर सिमट गई थी।
तब भारतीय क्रिकेट टीम को 183 रनों पर समेट कर वेस्टइंडीज की टीम ने अपनी जीत पक्की मान ली थी। वेस्टइंडीज के कप्तान क्लाइव लॉयड ने शैम्पेन की बोतल खोलकर जश्न भी मनाना शुरू कर दिया था। वेस्टइंडीज की टीम शुरुआती 02 वर्ल्ड कप लगातार जीत चुकी थी। उसका आत्मविश्वास साफ नजर आ रहा था। वेस्टइंडीज को यकीन था कि वह 184 का स्कोर आसानी से पा लेगी। लेकिन होनी को कुछ और ही मंजूर था। मैच में वेस्टइंडीज के बल्लेबाज नियमित अंतराल पर पवेलयिन की ओर लौटने लगे। एक समय

टीम की ओर से खेले थे ये खिलाड़ी
1983 वर्ल्ड कप (1983 Cricket WorldCup) के फाइनल मैच में भारतीय क्रिकेट टीम के सदस्यों में सुनील गावस्कर, क्रिस श्रीकांत, मोहिन्दर अमरनाथ, यशपाल शर्मा, संदीप पाटिल, कपिल देव, कीर्ति आजाद, रोजर बिन्नी, मदन लाल, सैय्यद किरमानी, बलविंदर संधू शामिल थे। वहीं वेस्टइंडीज के खिलाड़ियों में गॉर्डन ग्रिंडे, डेसमंड हेंस, सर विवियम रिचर्ड्स, क्लाइव लॉयड, लैरी गोम्स, फॉउड बेकस, जेफ डुजॉन, मैल्कम मार्शल, एंडी रॉबर्ट्स, माइकल होल्डिंग मैदान पर उतरे थे। तब वेस्टइंडीज की टीम को ही वर्ल्ड कप का प्रमुख दावेदार माना जा रहा था, लेकिन भारत ने बड़ा उपटफेर करते हुए वेस्टइंडीज को धूल चटा दी थी।
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