14 साल के शार्दूल ने बनाया रिकार्ड, विश्व के नंबर वन शूटर को दी मात

उत्तर प्रदेश में मेरठ के निवासी शार्दूल 9वीं के छात्र हैं और डबल ट्रैप शूटिंग करते हैं। छोटी उम्र से ही शूटिंग की बारीकि सीखने वाले शार्दूल ने महज 14 साल की उम्र में ही सीनियर व जूनियर दोनों ही इवेंट में हिस्सा लिया। शार्दूल के लिए यह राह आसान नहीं थी क्योंकि एक ही दिन में दोनों वर्ग के इंवेट थे। लेकिन शार्दूल ने व्यस्त शेड्यूल को नजरअंदाज करते हुए दोनों वर्गों में हिस्सा लिया। पूरे दिन उन्होंने एक के बाद एक करके निशाने साधे। और शाम तक दोनों ही वर्गों के चैम्पियन बन गए। खास बात यह रही कि सिर्फ इंडिविजुअल इवेंट ही नहीं, टीम इवेंट के गोल्ड भी उनके ही नाम रहे। वे चैम्पियनशिप में सबसे कम उम्र के खिलाड़ी भी रहे।
बचपन से ही शार्दूल को हो गया राइफल से लगाव
बेहतरीन शूटर बनने की तरफ अग्रसर शार्दूल का बचपन से ही राइफल से लगाव हो गया था। बचपन में हर मां-बाप की तरह उनके भी परिजन दिशा नहीं तय कर पाए थे कि आखिर बेटे को किस क्षेत्र में भेजना है। शार्दूल को क्रिकेटर बनाने से लेकर बैडमिंटन खिलाड़ी बनाने तक की उनके पिता जी ने सोच डाली, लेकिन अंत में शार्दूल का मन शूटिंग के क्षेत्र में ही लगा। शार्दूल के पिता दीपक विहान बताते हैं, ‘शार्दूल को क्रिकेट खेलना अच्छा लगता था। उसके शौक को देखते हुए जब वो 6 साल का था, तब मैंने उसे विक्टोरिया पार्क में किक्रेट सीखने के लिए भेजना शुरू किया। लेकिन शार्दूल को बाद में खेलने का मौका दिया जाता था इससे शार्दूल टूटने लगा और हमने उसे क्रिकेट से हटाकर बैडमिंटन कोच के पास भेजना शुरू कर दिया।’ वह बताते है कि जब बैडमिंटन के लिए उसे भेजना शुरू किया तब भी दिक्कत यह आइ कि वह अभ्यास करके देर से लौटता था। अंत में कोच ने कहा कि इससे किसी दूसरे स्पोर्ट गेम्स में भेज दो, बैडमिंटन इसके लिए नहीं सही है। इसके बाद भी शार्दूल 7 साल की उम्र में सही राह मिली और राइफल एसोसिएशन के कोच वेदपाल सिंह से मिलने के बाद। कोच भी शार्दूल की उम्र को देखकर हैरान रह गय और कुछ इंतजार करने के लिए बोला। उनका कहना था कि शार्दूल वेट की वजह से उम्र से थोड़ा ज्यादा लगता था। वेदपाल जी ने उसे राइफल उठाकर निशाना लगाने के लिए कहा। इसने बड़े आराम से राइफल उठाई और टारगेट की ओर तान दी। इस तरह से फिर शार्दूल की कोचिंग शुरू हो गई।
सुबह 4 बजे दिल्ली रोज जाता है शार्दूल

मेरठ में बेहतर कोचिंग व्यवस्था न होने के कारण शार्दूल अभ्यास करने के लिए प्रतिदिन सुबह चार बजे उठकर प्रैक्टिस के लिए दिल्ली जाते हैं। शार्दूल प्रतिदिन 150 किलोमीटर का सफर तय करके जाता है। शुरुआती ज्ञान वेदपाल जी से लेने के बाद अब शार्दूल अर्जुन अवॉर्डी अनवर सुल्तान कर्णी सिंह की दिल्ली स्थिति शूटिंग रेंज में कोचिंग लेता हैं। शार्दूल को सोमवार छोड़ रोज दिल्ली जाना होता है। शार्दूल के पिता दीपक कहते हैं, ‘ मेरी व्यस्तता के कारण बेटे को रोज दिल्ली उसके चाचा मनोज सुबह 4 बजे दिल्ली ले जाते हैं।’ उन्होंने कहा कि बेटे का हौसला देखते हुए हम बेटे को बेहतर शूटर बनाना चाहते हैं।
शार्दूल की कामयाबी पर एक नजर
सात साल की उम्र से राइफल थामने वाले शार्दूल विहान को पहली बड़ी जीत 9 साल की उम्र में नॉर्थ जोन शूटिंग चैंपियनशिप में मिली थी। उन्होंने 2012 में अपनी पहली ही चैंपियनशिप में सिल्वर मेडल जीता। इसके बाद फिर निशाना और आगे बढ़ता गया। अपनी कुशलता को देखते हुए वह उसी साल नेशनल जूनियर में खेलना चाहते थे, पर 12 साल से कम उम्र होने के कारण उन्हें मौका नहीं मिल सका। इसके बाद फिर उन्होंने अपने आप को और निखारा। तीन साल के लम्बे इंतजार के बाद 2015 में अपना जौहर दिखाने का मौका मिला। शार्दूल का चयन नेशनल जूनियर टूर्नामेंट के लिए हुआ। शार्दूल का लक्ष्य बहुत बड़ा है। शार्दूल कहते हैं ‘मेरा टारगेट कॉमनवेल्थ गेम में देश के लिए मेडल लाना है। इसके लिए मैं प्रतिदिन मैं अभ्यास के लिए दिल्ली 150 किमी का सफर करता हूँ। मुझे थकान होती है लेकिन यही मेरा हौसला बढ़ाता है कि मुझे भविष्य में कुछ करना है।’
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