इसलिए मोहम्मद कैफ ने 13 जुलाई को लिया संन्यास, जानिए क्या है इसके पीछे का राज?

13 जुलाई 2002 को लॉर्ड्स के मैदान का मैच तो आप लोगों को याद ही होगा जब नेटवेस्ट ट्रॉफी के फाइनल मैच में 325 रनों के लक्ष्य पीछा करते हुए भारत का पूरा टॉप ऑर्डर लड़खड़ा गया था। भारत के 146 रन पर 5 विकेट गिर चुके थे। सहवाग, गांगुली, द्रविड़ और मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर पवेलियन लौट चुके थे। धुरधंर बल्लेबाजों के आउट होने के बाद भारत में लोगों ने टेलीविजन व रेडियो बंद कर दिया था। लेकिन सुबह जब लोगों ने समाचार पत्र पढ़ा व सुना तो सभी आश्चर्य रहे गए थे।
दो नौजवानों की बदौलत भारत इंग्लैंड की धरती पर इतिहास रच चुका था। समाचार पत्रों में गांगुली के साथ दो बल्लेबाज थे एक युवराज सिंह व दूसरे मोहम्मद कैफ। जी हां भारतीय दर्शकों को मैच देखने का ट्रेड टॉप आर्डर से निचले ऑर्डर पर लाने वाले मोहम्मद कैफ ने क्रिकेट के सभी फार्मेट से संन्यास ले लिया था। 87 रनों की बेहतरीन पारी खेलकर इंडिया को जीताने वाले मोहम्मद कैफ ने उसी तारीख को क्रिकेट से अलविदा कहा है जिस दिन उन्होंने इतिहास रचा था। मोहम्मद कैफ के जीवन में बहुत महत्व रखने वाली 13 जुलाई एक बार फिर उनके जीवन के हसीन लम्हों में जुड़ गई हैं।
टीम इंडिया की ओर से आखिरी मैच खेलने के करीब 12 साल बाद इस निचले क्रम के बल्लेबाज ने सभी तरह के प्रतिस्पर्धी क्रिकेट को अलविदा कह दिया। गांगुली के नेतृत्व में इंग्लैंड में नेटवेस्ट ट्रॉफी जीतने की 16वीं वर्षगांठ पर उन्होंने संन्यास लेने की घोषणा की है। बता दें कैफ ने नेटवेस्ट ट्रॉफी के फाइनल मैच में 325 रनों के लक्ष्य का पीछा करते हुए लड़खड़ाई भारतीय पारी को युवराज सिंह के साथ संभाला था और छठे विकेट के लिए 121 रनों की साझेदारी कर भारत को जीत दिलाई थी। भारत टीम में खेलने को सपना पूरा होता मानते हुए उन्होंने संन्यास लेते हुए कहा कि 'जब मैंने क्रिकेट खेलने की शुरुआत की थी तो मेरा सपना अपने देश के लिए खेलना था। मैं काफी सौभाग्यशली हूं कि मैं मैदान पर उतरा और अपने देश का 190 दिन प्रतिनिधित्व किया। आज मेरे लिए सही दिन है। मैं सभी तरह की प्रतिस्पर्धी क्रिकेट से संन्यास की घोषणा करता हूं। आप सभी का शुक्रिया।'
कैफ ने 12 साल पहले खेला था अपना आखिर मैच

मोहम्मद कैफ ने बीसीसीआई के कार्यवाहक अध्यक्ष सी के खन्ना और कार्यवाहक सचिव अमिताभ चौधरी को ईमेल भेजकर लिखा, 'मैं अब सभी तरह के क्रिकेट से संन्यास ले रहा हूं।' वह विश्व कप 2003 में फाइनल खेलने वाली भारतीय टीम का भी हिस्सा थे। युवराज सिंह के साथ वह अंडर 19 क्रिकेट से चमके थे। अंडर-19 के कैप्टन रहते हुए उन्होंने भारत को विश्व कप दिलाया था। उत्तर प्रदेश के लिए रणजी ट्राफी जीतने वाले कैफ ने आखिरी प्रथम श्रेणी मैच छत्तीसगढ के लिए खेला था। इसके अलावा उन्होंने आंध्र प्रदेश के लिए भी कई मुकाबले खेले थे। कैफ ने वेस्टइंडीज के खिलाफ किंग्स्टन में 30 जुलाई, 2006 को अपना आखिरी टेस्ट और दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ पोर्ट एलिजाबेथ में 29 नवंबर, 2006 को अपना आखिरी वनडे मुकाबला खेला था।
नंबर छह और सात नंबर पर उतर कुछ डिलीवरी में उनकी काबिलियत दिखाने को उनकी प्रतिभा की कसौटी नहीं माना जा सकता। कैफ ने भारत के लिए 125 वनडे मैच खेले जिनमें 32.01 की औसत से 2753 रन बनाए। उनका सर्वोच्च स्कोर 111 रहा। उन्होंने अपने वनडे करियर में दो शतक और 17 अर्धशतक लगाए। कैफ ने भारत के लिए 13 टेस्ट मैच भी खेले। खेल के लंबे प्रारूप में कैफ का औसत 32.84 का रहा जिसकी मदद से उन्होंने 22 पारियों में 624 रन बनाए हैं। टेस्ट में कैफ के नाम एक शतक और तीन अर्धशतक हैं। उनका सर्वोच्च स्कोर 148 है।
मोहम्मद कैफ को लोग कहने लगे थे 'जॉन्टी रोडस'

मोहम्मद कैफ जब भारतीय टीम के लिए खेल रहे थे उस दौरान वह अपनी शानदार फील्डिंग के लिए जाने जाते थे। उनको जॉन्टी रोड्स भी कहा जाता था। बिजली जैसी फुरती से गेंद पकड़ने के कारण उन्हें शानदार फील्डरों में गिना जाता था। भारतीय टीम जिन पांच सालों तक वह लगातार खेलते रहे उन दिनों खेले गए मैचों में 30 गज के अंदर फील्डिंग के दौरान उनकी चुस्ती-फुर्ती देखते ही बनती थी। यही बात कैफ को सबसे खास बनाती थी। कप्तान दो खिलाड़ियों पर भरोसा करते थे। युवराज के साथ कैफ भारतीय फील्डिंग की रीढ़ की हड्डी बने रहे। उस दौर में सौरभ गांगुली के नेतृत्व में भारतीय क्रिकेट ताकतवर बन कर उभर रही थी। कैफ अपने समय के सबसे फिट क्रिकेटर माने जाते थे। उन्होंने 2004 में कराची में पाकिस्तान के साथ खेले गए पहले वनडे में शोएब मलिक को जिस तरह आउट किया था। उसे आज भी क्रिकेट प्रशंसक भूल नहीं पाए है। मैच के आखिरी पलों में जहीर खान की गेंद पर शोएब मलिक ने हवा में शॉट खेला। कैच के लिए हेमंत बदानी और कैफ दोनों दौड़ पड़े, लेकिन लॉन्ग ऑफ पर लगे कैफ की नजरें ज्यादा तेज थीं और उन्होंने बदानी से टक्कर होने के बावजूद जमीन पर गिरकर यादगार कैच लपका। भारत ने इस रोमांचक मैच को 5 रन से जीता। इसके अलावा 2002 नेट वेस्ट सीरीज में निक नाइट कैफ के कमाल के कैच का शिकार हो चुके थे।
इंग्लैंड के खिलाफ 2004 में खेले गए वनडे मैच में दिग्गज बल्लेबाज पॉल कॉलिंगवुड कैफ की बिजली जैसी फुरती का शिकार हुए। भज्जी की गेंद पर कॉलिंगवुड ने क्रीज से आगे बढ़कर फ्लिक किया। जितने में वो समझ पाते कि बॉल शॉर्ट लेग पर खड़े फैफ के हाथ में गई है, उससे पहले ही कैफ ने विकेटकीपर दिनेश कार्तिक को बॉल थ्रो करके उन्हें रनआउट कर दिया। कैफ की ऐसी फुरती देखकर बैट्मैन और अन्य खिलाड़ी सब दंग रह गए। हालांकि उन्होंने ये भी लिखा कि उन्हें भारत के लिए लंबा नहीं खेलने का मलाल भी है। उन्होंने कहा, 'काश मैं भारत के लिए लंबा खेल पाता । काश ऐसी व्यवस्था होती जिसमें 25 साल के अंतर्मुखी लड़के से कोई पूछता कि वेस्टइंडीज सीरीज में नॉट आउट 148 रन बनाने के बावजूद वह फिर कोई टेस्ट क्यो नहीं खेला।'
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