गेंदबाजों के लिए आईआईटी ने खोजा नया फार्मूला, अब नहीं लग सकेंगे ज्यादा शॉट

क्रिकेट के बदलते दौर में गेंदबाजों पर हावी होते बल्लेबाजों के लिए यह खबर बुरी है। अब उनके बल्लों से ज्यादा शॉट नहीं सकेंगे। मैदान के बाहर गेंद पहुंचाने में उन्हें अब कोई नया फार्मूला खोजना होगा। अगर क्रिकेट के मैदान में यह फार्मूला लागू होता है तो फिर चौके-छक्कों की बारिश पर अकुंश लग सकता है।
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) कानपुर के वैज्ञानिकों ने नया तरीका खोजा है। गेंदबाजी से खोजी गई उनकी फिजिक्स गेंद की स्विंग से संबंधित है। यह काम एयरोस्पेस विभाग के प्रोफेसर और उनके साथ दो छात्रों ने बॉल की स्विंग के कारण पर अध्ययन कर नई गेंद को रिवर्स स्विंग कराने का फार्मूला खोज लिया है।कानपुर आईआईटी में एयरोस्पेस इंजीनियरिंग विभाग के प्रो. संजय मित्तल के साथ छात्र राहुल देशपांडे और रवि शाक्या ने स्विंग की फिजिक्स पर काम किया।
उन्होंने बताया, बॉल को स्विंग कराने में सीम, स्पीड, सतह का खुरदरापन और मौसम की भूमिका रहती है। गेंदबाज पुरानी गेंद से तो रिवर्स स्विंग करा सकते हैं लेकिन नई गेंद से नहीं। गेंद फेंकते समय सीम का एंगल और गति के साथ संबंध समझ लिया जाए तो यह बेहद आसान है। क्रिकेट के विशेषज्ञ भी मानते हैं कि पिच पर नमी व मैदान पर ओश की वजह से गेंदबाजों को काफी दिक्कत होती है। नई गेंद से गेंदबाजी करना बहुत ही कठिन होता है।
विशेषज्ञों ने सौरव गांगुली का उदाहरण देते हुए बताया कि मुताबिक सौरव गांगुली मध्यम गति के गेंदबाज रहे हैं। उनकी गेंदबाजी इंग्लैंड के मैदानों में काफी चमकी है। उसके पीछे स्विंग की साइंस है। ठंडे मौसम में गेंद काफी स्विंग करती है, जबकि कोलकाता या दिल्ली के मैदान में गर्म होने के कारण स्विंग कराने में कठिनाई आती है।
ऐसे होगी नई गेंद रिवर्स स्विंग
द बेटर इंडिया में छपी खबर के अनुसार आईआईटी के विशेषज्ञों के बताया कि बॉल की सीम (बीच की सिलाई) को उसकी गति की दिशा में 20 डिग्री झुकाकर 30 से 119 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से फेंकने पर बॉल स्विंग करती है। गति 125 किमी प्रति घंटा से ऊपर होने पर रिवर्स स्विंग करती है। जब बॉल 119 से 125 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से फेंकी जाती है तो उसकी ट्रेजेक्टरी (गेंद के रास्ते) के पहले भाग में रिवर्स स्विंग और फिर स्वाभाविक स्विंग होती है। ऐसी स्थिति को लेट स्विंग भी कहा जा सकता है।
इस कारण हो जाता पुरानी गेंद से आउट करना आसान
स्विंग को लेकर सरफेस रफनेस के प्रभाव के अध्ययन के लिए उन गेंदों का भी अध्ययन किया गया, जिसे खिलाड़ी हाथों से खुरदरा बनाते हैं। प्रोफेसर संजय मित्तल के अनुसार रिसर्च में पाया कि नई बॉल की तुलना में खुरदरी बॉल मंद गति से स्विंग करती है। 20 से 70 किमी प्रति घंटे की रफ्तार वाली गेंद में स्वाभाविक स्विंग होती है, जबकि 79 से 140 प्रति घंटे की रफ्तार वाली गेंद में रिवर्स स्विंग।
ऐसे में साफ है कि एक कुशल मध्यम तेज गति के गेंदबाज को नई गेंद के मुकाबले पुरानी गेंद से बल्लेबाज को परेशान करने में ज्यादा आसानी होती है। संभावित परिवर्तन हैं- मौजूदा गेंद की मोटाई में तकरीबन एक मिमी की कमी लाना, इससे बॉल में स्विंग के मौके बढ़ेंगे। इसके अलावा यह भी पाया गया है कि गेंद की स्विंग ठंडे मौसम में बहुत अच्छी तरह से होती है। जबकि गर्म व हवाओं की स्थिति में थोड़ा कठिन होता है।
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