कॉर्पोरेट कल्चर से नाता तोड़ ग्रामीण महिलाओं को प्रेरित कर रहीं हैं यामिनी

मुंबई में अच्छी सैलरी पर कॉर्पोरेट कंपनी में आरामदायक नौकरी करने वाली यामिनी त्रिपाठी ने वह किया है, जो बेहद कम महिलाएं करती हैं। यामिनी मुंबई में सेलेब्रिटी मैनेजमेंट की जॉब कर रही थीं। जहां वह बॉलीवुड स्टार और क्रिकेटरों के मैनेजमेंट का काम करती थीं।
उनकी नौकरी ऐसी थी कि ज्यादतर समय उनका हवाई जहाज के बिजनेस क्लास में सफर में बीत जाता था। लेकिन एक दिन उन्होंने अपना बैग उठाया और नौकरी छोड़ लखनऊ में आकर ग्रामीण महिलाओं के बीच उनकी आवाज को फलक तक पहुंचाने का काम शुरू कर दिया।
यूपी के दर्जन भर जिलों में जन जागरुकता अभियान चलाया
यामिनी अब सताई गई लड़कियों के लिए पुलिस से लेकर महिला कल्याण विभाग तक चक्कर लगाती हैं। शर्म और संकोच के दायरे को पीछे छोड़ वह महिलाओं को माहवारी जैसे संवेदनशील मुद्दे पर जागरूक करने का काम कर रही हैं। इस विषय को लेकर उन्होंने यूपी के दर्जन भर जिलों में जनजागरुकता अभियान चलाया है। उनकी बदौलत सैकड़ों महिलाएं और छात्राएं नागरिक पत्रकार बनकर अपने गांव की आवाज़ उठा रही हैं।
यामिनी त्रिपाठी ने वर्ष 2012 में मुंबई से वापस लौटकर उत्तर प्रदेश में ग्रामीण अख़बार गांव कनेक्शऩ शुरु करने में सहयोग किया। अख़बार ने लाखों लोगों की मुश्किलें आसान कीं, गांव के मुद्दे अधिकारियों और सरकार की नजर में आए। सैकड़ों ख़बरों का असर हुआ। गांव कनेक्शन ने सरोकार की पत्रकारिता करते हुए देश के प्रमुख हिंदी, अंग्रेजी मीडिया संस्थानों के बीच अपना अहम मुकाम बनाया। इसके अलावा यामिनी को देश के सबसे प्रतिष्ठित पुरस्कार रामनाथ गोयनका और लाडली मीडिया अवार्ड भी मिल चुका है।
1 लाख से ज्यादा छात्र जुड़े हुए हैं
गांव के लोग अपनी भाषा में अपने मुद्दे की ख़बर लिखें इसलिए उनकी अगुवाई में बड़े पैमाने पर नागरिक पत्रकार (कम्यूनिटी जर्नलिस्ट) बनाने की मुहिम शुरु की। नागरिक पत्रकार बनाने की मुहिम ‘स्वयं प्रोजेक्ट’ अब दुनिया का सबसे बड़ा कम्यूनिटी जर्नलिस्ट प्रोग्राम है। जिसमें किसान, छात्र-छात्राएं, आशा बहुएं, सामाजिक कार्यकर्ता, शिक्षक और आम लोग शामिल हैं। स्वयं प्रोजेक्ट के तहत यूपी के 500 स्कूल और कॉलेजों के 1 लाख से ज्यादा छात्र जुड़े हुए हैं, तो 600 से ज्यादा एनजीओ भी पार्टनर हैं।
अख़बार की अपने हदें होती हैं। इसीलिए उन्होंने वर्ष 2015 में गांव कनेक्शऩ फाउंडेशन की स्थापना की। स्वयं प्रोजेक्ट अब गांव कनेक्शन फाउंडेशन का फ्लैगशिप प्रोग्राम है। गांव कनेक्शन फाउंडेशन ने स्वयं प्रोजेक्ट के तहत वर्ष 2016 के दिसंबर महीने में देश का पहला 7 दिवसीय स्वयं फेस्टिवल आयोजित किया गया। यामिनी त्रिपाठी इस फेस्टिवल की डॉयरेक्टर थीं। स्वयं फेस्टिवल के दौरान यूपी के 25 जिलों में खेती-किसानी, सेहत, महिलाओं के मुद्दे, हेल्थ कैंप, सेल्फ डिफेंस, करियर काउंसिलिंग, स्वाइल हेल्थ टेस्टिंग जैसे 1000 से ज्यादा जनजागरुकता वाले इवेंट हुए।
ये स्वयं प्रोजेक्ट की मुहिम का ही असर था कि यूपी में लालफीता शाही का शिकार हो चुके महिला सामाख्या प्रोजेक्ट को दोबारा जीवनदान मिला। तो बहराइच की उस बच्ची में न्याय की उम्मीद जगी, जिसके पिता भाई, परिजनों ने बार-बार रेप कराने के बाद जिस्मफरोशी के दलदल में ढकेल दिया था।
ग्रामीण महिलाओं और बच्चों को ज्यादा से ज्यादा लाभ पहुंचाया जा सके। इसके लिए गांव कनेक्शऩ फाउंडेशऩ ने उत्तर प्रदेश के महिला एवं बाल कल्याण विभाग से एमओयू किया है। यामिनी बताती हैं, “जब मैं यूपी के इन इलाकों में गई तो महिलाओं की गरीबी और लाचारी से भरी ऐसी कई कहानियां देखी और सुनीं। अकेले मैं या कोई कुछ नहीं कर सकता है, इसलिए हमने हर उस संस्था और व्यक्ति के तरफ सहयोग मांगा, जो इन महिलाओं की जिंदगी में बदलाव ला सके। उसका असर नेकनियती के काम करने वाले सैकड़ों एनजीओ और कई संस्थाएं हमारी सहभागी बनी हैं, जमीन पर उसका असर भी दिखने लगा है।”
यामिनी त्रिपाठी अब अपने गांव कनेक्शऩ फाउंडेशन का दायरा बढ़ाते हुए बिहार, झारखंड और महाराष्ट्र तक पहुंचने की तैयारी में हैं। यूपी की तरह इन राज्यों में भी गांव कनेक्शन अख़बार के साथ-साथ ऑडियो, वीडियो और डिजिटल प्लेटफार्म के माध्यम ग्रामीण इलाकों की आवाज़ बुलंद करेंगी।
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