विश्व रेडियो दिवस: आप सुन रहे हैं...रेडियो की दिलचस्प कहानी
रेडियो एक ऐसा शब्द है, जिससे हर कोई शख्स पूरी तरह से वाकिफ होगा। तेजी से बदलते दौर में भले ही इसकी जरूरत कुछ कम हुई हो, लेकिन 1906 में पहले रेडियो सिग्नल प्रसारण के बाद से ही यह छोटा सा उपकरण पूरी दुनिया में छा गया था। आज के दौर में जैसे सोशल मीडिया समाज से जुड़ने का शक्तिशाली माध्यम है, वैसे ही कभी रेडियो भी था, जिसने दुनिया के एक सिरे को दूसरे से जोड़ने में प्रमुख भूमिका निभाई। आज विश्व रेडियो दिवस पर जानिए लोगों में कैसी रहती थी रेडियो के लिए दीवानगी।
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देश में इस तरह रहा रेडियो का दौर
आजादी के पहले से ही देश के लोगों में रेडियो पर निर्भरता थी। रेडियो पर बीबीसी के समाचार सुनने के लिए इसके इर्दगिर्द भीड़ जुट जाती थी। भारत में रेडियो की बात करें तो वर्ष 1930 तक यहां सैकड़ों रेडियो क्लब्स खुल चुके थे। जिस पर अनेक तरह के कार्यक्रमों का प्रसारण भी चालू हो चुका था।
1936 में यहां सरकारी इम्पीरियल रेडियो ऑफ इंडिया की शुरुआत हुई थी, जो आजाद के बाद ऑल इंडिया रेडिया बन गया था। इस दौरान रेडियो एएम फ्रीक्वेंसी पर संचालित होता था, जिसकी आवाज बहुत अच्छी नहीं होती थी। यही कारण रहा कि वक्त के साथ एक बड़ा वर्ग रेडियो से दूरी बनाने लगा। इसके बाद देश में 23 जुलाई, 1977 को चेन्नई में एफएम चैनल की शुरुआत हुई, जिसकी स्पष्ट और बेहतरीन आवाज ने इसके श्रोताओं का दिल जीत लिया। आवाज की गुणवत्ता और कार्यक्रमों की बढ़ती संख्या के कारण लोग फिर से रेडियो की ओर आकर्षित होने लगे। फिर वर्ष 1993 में देश में रेडियो के इतिहास में एक क्रांतिकारी परिवर्तन आया, अब यहां निजी एफएम चैनल की शुरुआत हो चुकी थी।
इसके बाद तो जैसे लोग रेडियो के दीवाने ही हो गए। वक्त की रेस के कदम मिलाने के लिए निजी एफएम चैनलों की भरमार होती गई, वहीं धीरे-धीरे लोगों का इसके प्रति आकर्षण भी घटने लगा। वक्त के साथ रेडियो ने जो बदलाव देखे वो शायद ही किसी और ने देखे होंगे। अब पूरे विश्व में डिजिटल रेडियो हावी हो चुका है। इंटरनेट क्रांति ने इस छोटे से उपकरण के वर्चस्व को पूरी तरह से ध्वस्त कर दिया। अब इंटरनेट पर तमाम ऐसी एप्लीकेशन और वेबसाइट हैं जो डिजिटल रेडियो का प्रसारण कर रही हैं।
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संयुक्त राष्ट्र ने घोषित किया था ये दिन
बहुत पहले रेडियो एक ऐसा उपकरण था, जिस पर लोगों की काफी ज्यादा निर्भरता रहती थी। देश-विदेश की घटनाएं आजकल इंटरनेट के जरिए जिस तेजी से हमारे पास पहुंच जाती थीं, वह उस दौर में नहीं हो पाता था। जिसके चलते लोग रेडियो से ही विश्व के घटनाक्रमों पर नजर रखते थे। इतना उपयोगी भूमिका निभाने के बावजूद रेडियो का खुद कोई दिन नहीं था।
इसको ध्यान में रखकर 20 अक्टूबर 2010 को स्पेन की रेडियो अकादमी ने स्पेन की सरकार से अनुरोध किया था कि वह संयुक्त राष्ट्र के सामने इस मुद्दे को गंभीरता से रखे। स्पेन की सरकार ने रेडियो को समर्पित एक दिन निर्धारित करने की बात संयुक्त राष्ट्र से कही। इसके बाद संयुक्त राष्ट्र के शैक्षणिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन यूनेस्को ने पेरिस में आयोजित 36वीं आमसभा में 3 नवंबर, 2011 को घोषित किया कि प्रत्येक वर्ष 13 फरवरी को विश्व रेडियो दिवस मनाया जाएगा।
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