#WorldRadioDay : पढ़िए रेडियो की कहानी, 'मन की बात' से मिली नई दिशा

ये है इतिहास
आज वर्ल्ड रेडियो डे है। 13 फरवरी 1946 को संयुक्त राष्ट्र रेडियो की शुरुआत हुई थी और पहला रेडियो डे 13 फरवरी 2012 को मनाया गया था। ली द फोरेस्ट ने 1918 में हाईब्रिज इलाके में दुनिया का पहला रेडियो स्टेशन शुरू किया था। इसके बाद धीरे-धीरे नए रेडियो स्टेशन खुलते गए। भारत में रेडियो पर पहला कार्यक्रम 1923 में मुंबई के रेडियो क्लब ने प्रसारित किया। इसके बाद 1927 में मुंबई और कोलकाता में निजी स्वामित्व वाले दो ट्रांसमीटरों से प्रसारण सेवा शुरू की गई। 1930 में सरकार ने इन ट्रांसमीटरों को अपने नियंत्रण में ले लिया और भारतीय प्रसारण सेवा के नाम से उन्हें चलाना शुरू कर दिया। 1936 में इसका नाम बदलकर ऑल इंडिया रेडियो कर दिया और 1957 में आकाशवाणी के नाम से जाना जाने लगा। 1939 में द्वितीय विश्वयुद्ध की शुरुआत होने पर भारत में भी रेडियो के सारे लाइसेंस रद्द कर दिए गए और ट्रांसमीटरों को सरकार के पास जमा करने के आदेश दे दिए गए।
एक वक्त था जब लोगों के लिए समाचार से लेकर मनोरंजन तक का साधन रेडियो ही था। 70 —80 के दशक में टीवी भारत में आ चुका था लेकिन उस वक्त भी बहुत कम लोगों के घरों में ही इसकी पहुंच थी। गांवों में तो इनकी संख्या न के बराबर थी और जहां था भी वहां बिजली नहीं थी, इसलिए रेडियो ही उस वक्त लोगों की प्राथमिकता बन गया था। राजीव गांधी की मौत की खबर हो या देश में इमरजेंसी लगने की बात लोग आज भी बताते हैं कि कैसे रेडियो के जरिए उनके पास तक ये जानकारी पहुंची थी। मतनगणना के दिन तो लोग सुबह से ही रेडियो आॅन करके बैठकर जाते थे और एक - एक शब्द को ध्यान से सुनते थे। महिलाएं भी घर के सारे काम निपटाकर रेडियो सुनने बैठ जाया करती थीं। गर्मी की रातों में लगभग हर छत पर रेडियो पर आने वाले पुराने गाने सुनकर ही लोग सोते थे।
16 नवम्बर 2006 तक रेडियो केवल सरकार के अधिकार में था। धीरे-धीरे आम नागरिकों के पास रेडियो की पहुंच के साथ इसका विकास हुआ। देश में कई निजी एफएम रेडियो खुल गए। एफएम पर शिक्षा और जागरूकता कम, मनोरंजन के कार्यक्रम ज्यादा आते हैं। सरकार ने रेडियो के जरिए गांव व शहरों में मनोरंजन के साथ जानकारी पहुंचाने के लिए सामुदायिक रेडियो की भी शुरुआत की। जब से मोबाइल आया और इसमें गाने डाउनलोड करने का आॅप्शन आ गया, तबसे लोगों में एफएम का क्रेज भी कुछ कम हो गया। आॅल इंडिया रेडियो को तो लोग भूल ही गए।
जब पीएम मोदी ने शुरू किया मन की बात
देश की जनता को एक बार फिर आॅल इंडिया रेडियो से जोड़ने के लिए और अपनी बात को देश के हर कोने तक पहुंचाने के लिए 13 अक्टूबर 2014 से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आकाशवाणी पर मन की बात कार्यक्रम की शुरुआत की, जिसमें वे किसी एक मुदृे को आधार बनाकर देश की जनता को संबोधित करते हैं। इस कार्यक्रम का प्रसारण लगभग 150 देशों में होता है। जनवरी 2015 में अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा ने भी उनके साथ इस कार्यक्रम में भाग लिया और भारत की जनता की चिट्ठियों के उत्तर दिए। मन की बात कार्यक्रम से एक बार फिर आकाशवाणी को लोगों ने सुनना शुरू किया।

इस कार्यक्रम की लोकप्रियता सिर्फ भारत में ही नहीं दुनिया के बाकी देशों में भी है। 2017 में आई एक रिपोर्ट के मुताबिक, बांग्लादेश, ऑस्ट्रेलिया और पूर्वी अफ्रीकन देशों में भी भारी संख्या मे लोग मन की बात कार्यक्रम को सुनते हैं। इस कार्यक्रम को मेल के जरिए ऑस्ट्रेलिया से 763, बांग्लादेश से 608, अमेरिकी राज्यों से 541 और कनाडा से 507 प्रतिक्रियाएं मई 2016 से 2017 के बीच मिलीं। पूर्वी अफ्रीकन देशों से व्हाट्सऐप पर भी 2794 मैसेज आए। पाकिस्तान और अफगानिस्तान से भी व्हॉट्सऐप ग्रुप पर कुछ प्रतिक्रियाएं आईं।
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