मिसाल: यहां 70 महिलाएं जंगल बचाने के लिए बन गईं चौकीदार

प्रदूषण की समस्या लगातार बढ़ती जा रही है। इसको देखते हुए सरकारें पेड़ों को लगाने पर जोर दे रही हैं। जंगल भी तेजी से घटते जा रहे हैं, जिसकी वजह से हवा में प्रदूषण का जहर घुलता जा रहा है। इन्हीं सबके बीच एक अच्छी खबर यह है कि ओडिशा के पुरी में 70 महिलाओं के एक दल ने मैंग्रोव के जंगल को बचाने की मुहिम चलाई है। यह महिलाएं 20 साल से रोज जंगल की रखवाली करती हैं। लाठी डंडों से लैस महिलाएं शिफ्ट में जंगल की रखवाली करने का काम कर रही हैं। महिलाएं जंगल को अपने परिवार के सदस्य के तौर पर मानती हैं।
185 एकड़ वाले मैंग्रोव की रखवाली
ओडिशा के पुरी में महानदी डेल्टा में 185 एकड़ में फैले मैंग्रोव के जंगल प्रकृति का अनोखा तोहफा हैं। लेकिन जंगल के पेड़ों पर तस्करों की नजर रहती है, जो यहां के पेड़ काटकर महंगे दामों पर बेच देते हैं। धीरे-धीरे जंगल घटता जा रहा है। लकड़ी माफिया बड़े पैमाने पर सक्रिय होने के कारण जंगल को काफी नुकसान पहुंच रहे हैं। इसी बात को ध्यान में रखते हुए यहां की महिलाओं ने 70 लोगों वाली जंगल सुरक्षा समिति बनाई है। इस समिति की महिलाएं जंगल का दिन में दो बार गश्त लगाती हैं। महिलाएं सीटी बजाते और डंडा पटकते हुए गुजरती हैं, जिससे पेड़ काटने वाले भाग जाएं।
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जंगल की वजह से बची थी जिंदगी
यहां की महिलाएं बताती हैं कि अगर आज वह जिंदा हैं तो इन्हीं जंगलों की वजह से हैं। उनके अनुसार यहां वर्ष 1999 में एक जबरदस्त चक्रवात आया था। जिसके चलते घर, खेती व अन्य चीजों को बहुत ज्यादा नुकसान पहुंचा था। खाने-पीने की भी दिक्कत हो गई थी। उस दौरान यहां के लोगों की जान जंगल की वजह से बची थी। इसी के चलते उस वक्त यहां की महिलाओं ने जंगल को बचाने के लिए एक संगठन बनाया था। तब से लेकर आज तक वह लाठी-डंडे के साथ जंगल की रक्षा कर रही हैं।
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पेड़ों की खासियत को जानती हैं यह महिलाएं
यह महिलाएं केवल जंगलों की रक्षा ही नहीं करतीं बल्कि नई पीढ़ी को जंगल के महत्व को भी समझाती हैं। संगठन की महिलाएं यहां के पेड़ों की भी अच्छी जानकार हैं। वह हर पेड़ की खासियत जानती हैं। यहां रहने वाली रहीमा बीबी बताती हैं कि यहां एक पेड़ कसूरियाना होता है जो मिट्टी को खारा होने से रोकता है। साथ ही यह हवा की नमी से फसलों को खराब होने से भी बचाता है। वह यहां फल-फूलों वाले पौधों की महत्ता से भी अच्छी तरह वाकिफ हैं।
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