राजस्थान के घरेलू स्टार्टअप के जरिए महिलाएं बन रहीं आत्मनिर्भर

वक्त तेजी से आगे बढ़ रहा है और आगे वही बढ़ सकता है जो इसके साथ तेजी से चले। एक समय था जब महिलाएं सिर्फ घर के काम-काज तक सीमित थीं लेकिन अब ऐसा नहीं है, कोई भी ऐसा क्षेत्र नहीं है जहां महिलाएं पुरूषों से पीछे हों। कई बार एक छोटा सा आइडिया करोड़ों का बिजनेस खड़ा कर सकता है, इसका हमें अंदाजा नहीं होता है। ऐसी कई महिलाएं हैं जिन्होंने ऐसे सिंपल आइडिया को करोड़ों के बिजनेस में बदल दिया है।
कई सारे ऐसे स्वयं सहायता समूह हैं जहां महिलाएं ग्रुप में काम कर रही हैं और घर के खर्च में मदद कर रही हैं। कई सारी संस्थाएं व विभाग ऐसे हैं जो इस काम में महिलाओं की मदद करते हैं। राजस्थान की राजधानी जयपुर में क्रिएटिव वुमन स्टार्टअप एसोसिएशन लगभग डेढ़ हजार उद्यमी महिलाओं का नेतृत्व कर रहा है। ये संस्था महिलाओं को तरह-तरह की जानकारी देती है जैसे वो सरकारी योजनाओं का फायदा कैसे उठा सकती हैं।
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ये वर्कशॉप के जरिए महिलाओं को आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करता है कि कैसे वो अपने हुनर को अपनी पहचान बना सकती हैं। एसोसिएशन प्रमुख नीता बाफना कहती हैं कि यह संस्था किटी पार्टी या फिर मनोरंजन तक सीमित नहीं है। यह एक ऐसा मंच है, जहां महिलाओं को उनके टैलेंट के दम पर आगे बढ़ने के अवसर दिलाए जा रहे हैं। हम ऐसी महिलाओं को आगे लेकर आ रहे हैं, जिनमें कुछ करने का दम है।
लखनऊ की रहने वाली गृहिणी रीतांजलि फरवरी 2017 से 20 हजार रुपए की लागत से 200 चॉकलेट से शुरुआत कर घरेलू चॉकलेट बना रही हैं। उन्होंने बच्चों की वजह से चॉकलेट बनाना सीखा है। अब रोजाना उनके यहां एक हजार चाकलेट तैयार हो जाते हैं। उनके कई सारे कस्टमर बन चुके हैं।
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घरेलू महिलाएं सीख रही हैं बिजनेस
ऐसे स्टार्टअप न केवल महिलाओं को आर्थिक तौर पर मजबूत बनाते हैं बल्कि उनमें आत्मविश्वास भी जगाते हैं। राजस्थान के पाली में सखी सहेली नाम का एक ग्रुप है जो घरेलू महिलाओं को प्रोत्साहित करता है। ये महिलाएं घर में ही सजावट का सामान, अचार, मुरब्बा, होम मेड चॉकलेट, इमीटेशन ज्वैलरी जैसी कई सारी चीजें बनाती हैं और इनको प्रदर्शनियों में लगवाया जाता है।
छात्राएं भी आ रहीं आगे
दिल्ली में इंदिरा गांधी टेक्निकल यूनिवर्सिटी फॉर वुमेन का 'अन्वेषण फाउंडेशन' यूनिवर्सिटी स्टूडेंट्स के अलावा यूनिवर्सिटी में न पढ़ने वाली छात्राओं को भी स्टार्ट अप शुरू करने में आर्थिक मदद और तकनीकी सहयोग प्रदान कर रहा है। यूनिवर्सिटी ने महिला उद्यमियों को बढ़ावा देने के लिए बाहरी स्टूडेंट्स के लिए भी दरवाजे खोल दिया है। फाउंडेशन उन महिलाओं को तीन चरणों में साढ़े सात लाख रुपए की मदद भी देता है, जिनके प्रोजेक्ट उसके सामने प्रस्तुत किए जाते हैं।
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