कौन हैं कामिनी रॉय, जिन्हें आज याद कर रहा है गूगल
गूगल डूडल आज कामिनी रॉय का जन्मदिन मना रहा है। कामिनी रॉय वो महिला हैं जिन्होंने महिला अधिकारों के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया था, आज 12 अक्टृबर को उनकी 155वीं जयंती है। कामिनी पहली ऐसी भारतीय महिला थीं जिन्होंने ब्रिटिश इंडिया में ऑनर्स में गेजुएशन किया था।
एक एक्टिविस्ट, शिक्षाविद् होने के साथ वो कवियित्री भी थीं। बंगाल के बेकरगंज में जन्मी कामिनी की जयंती पर गूगल ने डूडल बनाकर उन्हें याद किया। कामिनी का जन्म 12 अक्टूबर 1864 को तत्कालीन बंगाल के बेकरगंज में हुआ था। गूगल ने आज उनकी जयंती पर डूडल बनाकर उन्हें याद किया है। कामिनी ने 1886 में कोलकाता यूनिवर्सिटी के बेथुन कॉलेज से संस्कृत में ऑनर्स ग्रेजुएशन किया, वो ब्रिटिश इंडिया की पहली महिला थीं, जिन्होंने ग्रेजुएशन किया था।
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महिला अधिकारों से जुड़ी कविताएं भी लिखीं
कामिनी ने महिला अधिकारों से जुड़ी कविताएं भी लिखीं जिससे लोग उन्हें पहचानने लगे। इसके साथ ही वो एक समाजसेवी थीं जिन्होंने महिला अधिकारों के लिए खुद को समर्पित कर दिया। उन्होंने स्वतंत्रता आंदोलनों में भी भाग लिया। 1883 में वायसराय लॉर्ड रिपन के समय में इल्बर्ट बिल आया, जिसके अनुसार, भारतीय न्यायाधीशों को ऐसे मामलों की सुनवाई करने का अधिकार दिया गया जिनमें यूरोपीय नागरिक शामिल होते थे। कामिनी रॉय ने इस बिल का समर्थन किया जबकि यूरोपीय इसके खिलाफ थे। कामिनी रॉय ने 1889 में छन्दों का पहला संग्रह आलो छैया और उसके बाद दो और किताबें लिखीं।
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महिलाओं को दिलाया मतदान देने का अधिकार
तत्कालीन बंगाल में पहले महिलाओं को मतदान का अधिकार नहीं था। ये अधिकार दिलाने के लिए कामिनी ने एक लंबी लड़ाई लड़ी। वो चाहती थीं कि हर महिला को समाज में बराबरी का हक मिले और आखिरकार, 1926 के आम चुनाव में महिलाओं को वोट देने का अधिकार दिया गया। इसका श्रेय कामिनी रॉय को जाता है। लेकिन 1933 में इस समाज सेवी महिला ने दुनिया को अलविदा कह दिया।
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