खेती की इस नई तकनीक से नदी के किनारे नहीं बेलों पर लटकेंगे अब तरबूज

खेती में न प्रयोग होते रहते हैं, नई तकनीकी का इस्तेमाल कर न केवल खेती की लागत को कम किया जा रहा है वहीं उत्पादन में भी बढ़ोत्तरी हो रही है। ऐसा ही एक नया प्रयोग इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय ने तरबूज व खरबूज की खेती पर किया है। इन दोनों की खेती आम तौर पर नदी के किनारे की जाती है लेकिन इसे आसान बनाने के लिए वैज्ञानिक एक अनोखा तरीका निकाल रहे हैं। ये फल अब जमीन पर न होकर बेलों पर लटकते हुए दिखेगें।
कम जगह और संसाधन की कमी के साथ-साथ पानी की उपयोगिता को देखते हुए वैज्ञानिकों ने इन फलों की खेती को आधुनिक तरीके से करने का फैसला किया है।
इस बारे में इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक डॉ जे एल शर्मा बताते हैं, “नई तकनीक से खेती की लागत भी कम होगी, वहीं इसका उत्पादन भी बढ़ाया जा सकता है। यहां आस पास के किसानों को इस नई पद्धति का प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है। इस नई तकनीक में पानी की खपत तो कम होगी ही साथ साथ उत्पादन में भी वृद्धि होगी।”
नदियों के किनारे उगाए जाने वाले इन फलों को अब किसान अपने खेतों में भी लग सकते हैं। जमीन में पड़े-पड़े कई बार फल खराब हो जाते थे लेकिन अब बेलों में इसकी संभावना कम रहेगी।
किसानों की आय में भी होग इजाफा
इस नई तकनीक से किसानों की आय में भी बढ़ोत्तरी होगी। डॉ शर्मा ने बताया कि आजकल लोग सेहत को लेकर जागरुक हो रहे हैं तो इसकी खेती किसानों के लिए फायदेमंद रहती हैं। इसकी बाजार में भी अच्छी मांग रहती है गर्मियों में। अब नई तकनीक से कम लागत में उत्पादन भी बढ़ेगा तो इससे किसानों को और भी ज्यादा फायदा होगा। अब रायपुर में कई किसानों इस नई तकनीक की शुरुआत की भी है।
बेल पर इन फलों की खेती से मानव श्रम की भी जरुरत कम पड़ती है और फलो में लगने वाले कीट व बीमरियों का पता भी जल्दी चल जाता है, जिससे उनका उपचार समय पर हो जाता है। जमीन पर पड़े फलों को एक एक करके देखना थोड़ा मुश्किल हो जाता है जिससे वो कीट लगने से खराब भी हो जाती हैं। इसके साथ ही फसल के तोड़ने और सही जगह पर पहुंचाने के लिए बेल विधि सबसे ज्यादा कारगर साबित होती है।संबंधित खबरें
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