गार्ड के बेटे की ईमानदारी की दास्तान, माता-पिता को बताए बिना लौटाए 40 लाख के हीरे

आज के जमाने में ईमानदारी सीखने के लिए कोई पढ़ाई नहीं होती है। ये सबकुछ अभी माता-पिता की परवरिश पर ही निर्भर करता है। ऐसी ही एक कहानी के बारे में हम आपको आज बताने जा रहे हैं जब एक चौकीदार के बेटे ने करीब 40 लाख के हीरे के गहने उसके मालिक तक सही सलामत पहुंचाकर ईमानदारी की मिसाल पेश की है।
क्रिकेट खेलते समय मिला हीरे का पैकेट
यह घटना है सूरत की, क्रिकेट खेल रहे वॉचमेन के 15 साल के बेटे विशाल को पार्किंग मे हीरे का पैकेट मिला, इस पैकेट में 700 कैरेट के डायमंड थ जिनकी कीमत करीब 40 लाख थी।
आपको बता दें, पैकेट मिलने के बाद जब तक इन हीरों को विशाल ने उसके मालिक को नहीं लौटाया, तब तक उन्हें चैन नहीं मिला । विशाल की इस ईमानदारी के किस्से अब सूरत में मिसाल के तौर पर पेश किए जा रहे हैं, की किस तरह वॉचमेन के बेटे ने 40 लाख के हीरे लौटा दिए ।
विशाल को मिला ईमानदारी का ईनाम
विशाल की ईमानदारी से प्रभावित होकर हीरे के मालिक मंसुख वालिया ने उन्हें तुरंत 30 हजार रुपये कैश दिए। इसके बाद सूरत के डायमंड एसोसिएशन ने विशाल को 11 हजार रुपये ईनाम देकर फिर सम्मानित किया।
माता-पिता की सीख आई काम
यह घटना बीते 15 अगस्त की है, दरसअल विशाल को घर के पास क्रिकेट खेल रहा था तभी गेंद पार्किंग एरिया में चली गई। गेंद की तलाश में पहुंचे विशाल को एक पैकेट मिला जिसमें ये हीरे थे। विशाल को यह नहीं पता था कि उस पैकेट में इतने कीमती हीरे हैं। हीरे का यह पैकेट एक हीरा दलाल की थी, जो बाजार में घूमते समय गिर गई थी।
पहले तो विशाल को समझ नही आया कि वो यह हीरे किसे दे । क्योंकि उस समय वहां कोई नहीं था, उस समय विशाल को याद आया उसके माता पिता ने उसे सिखाया था कि किसी की चीजें घर नही लानी चाहिए। हीरे विशाल ले तो आया घर, लेकिन माता पिता को बताया नहीं, लेकिन विशाल के दिमाग में बस यही बात चल रही थी कि किसी तरह यह हीरे मालिक तक पहुंचाए जाए । तीन दिन हीरा बाजार बंद था इसलिए विशाल ने सोचा था कि जैसे ही बाजार खुलेगा वह डायमंड एसोसिएशन के सम्पर्क कर हीरे लौटा देगा । तीन दिन बाद जब विशाल वहां गया तो लोगों से आपस में बात करते सुना जो हीरे के खोने की बात कर रहे थे। इसके बाद विशाल ने हीरे के असली मालिक से मिलकर उन्हें हीरे लौटा दिए।
हीरा नहीं मिलता तो बिक जाता मकान
हीरा मिलने के बाद उसके मालिक मंसुख वालिया ने बताया कि इस समय उनकी हालत कुछ अच्छी नहीं थी, अगर हीरा नहीं मिलता तो उन्हें इसका कर्ज उतारने के लिए अपना मकान बेचना पड़ता।
संबंधित खबरें
सोसाइटी से
टेक्नोलोजी
अन्य खबरें
Loading next News...
