कारगिल शहीद कैप्टन हनीफ उद्दीन की मां ने दिया है संदेश, आप भी सुनें

साल 1999 में हुए कारगिल युद्ध साल 1999 के कारगिल युद्ध में राजपुताना राइफल्स के कप्तान हनीफ उद्दीन शहीद हो गए थे। दिल्ली के रहने वाले हनीफ उद्दीन जब शहीद हुए उस वक्त उनकी उम्र सिर्फ 25 साल थी।
हाल ही में, लेखिका रचना बिष्ट रावत शहीद हनीफ उद्दीन की मां से मिलीं और उनकी जिंदगी से जुड़े कई पहलुओं पर चर्चा की। रचना बिष्ट ने ये बातें अपनी एक फेसबुक पोस्ट के जरिए सबसे साझा कीं। उन्होंने कैप्टन की मां का एक वीडियो भी बनाया है, जिसमें उनकी मां पूरे देश के लोगों को एक संदेश दे रही हैं। आप भी पढ़िए रचना बिष्ट की पोस्ट और देखिए शहीद कैप्टन हनीफ उद्दीन की मां हेमा अजीज का वीडियो...
मैं आज सुबह वीर चक्र से सम्मानित कारगिल शहीद कैप्टन हनीफ उद्दीन की मां से मिली और मुझे समझ आया कि उन्हें यह साहस कहां से मिला था। हनीफ जब 8 साल के थे तब उनके पिता का देहांत हो गया। हनीफ की शहादत के बदले उन्होंने सरकार से पेट्रोल पंप लेने से मना कर दिया था बिल्कुल वैसे ही जैसे उन्होंने बचपन में हनीफ को स्कूल से वह मुफ्त वर्दी लेने से मना कर दिया था जो सिर्फ इसलिए दी जा रही थी क्योंकि उनके पिता नहीं थे। उन्होंने कहा था, ‘अपनी टीचर को कहना कि मेरी मां इतना कमाती है कि मेरे लिए वर्दी खरीद सके।’
क्लासिकल गायिका, हेमा जी ने कहा कि हनीफ एक सैनिक था और अपने देश के प्रति अपना कर्तव्य निभा रहा था। उन्होंने कभी भी यह उम्मीद नहीं की कि वह अपनी जान बचाने के लिए पीछे हट जाए। कप्तान हनीफउद्दीन टर्टुक में कई गोलियां लगने से शहीद हो गए थे। 40 से भी ज्यादा दिनों तक उनके शरीर का कुछ पता नहीं चला था। जब सेना प्रमुख जनरल वीपी मलिक ने उनकी मां से कहा कि हनीफ के शरीर को शायद ढूंढा न जा सके क्योंकि दुश्मन लगातार गोलीबारी कर रहा था। उस वक्त हेमा अजीज ने कहा कि अपने बेटे के शरीर को लाने के लिए वो किसी और सैनिक की जान खतरे में नहीं डालना चाहती हैं।
बताया जाता है कि जब कारगिल युद्ध में दुश्मन गोलियों की बौछार कर रहा था तब कप्तान हनीफ को खुद से ज्यादा अपने सैनिकों की चिंता थी। ऐसे में उन्होंने खुद आगे बढ़कर गोलीबारी की। उन्होंने खुद सामने जाकर दुश्मन का ध्यान भटकाया ताकी उनकी सेना पास की सुरक्षित जगह पर पहुंच जाए।

अपनी एक और पोस्ट में रचना बिष्ट ने कप्तान हनीफउद्दीन की मां का एक विडियो भी साझा किया है...
इस वीडियो के साथ उन्होंने लिखा कि शहीद कैप्टन हनीफउद्दीन की मां हिंदू हैं और पिता मुस्लिम थे, इसलिए वह ईद और दिवाली दोनों मनाते हुए बड़े हुए। वह उस वक्त 10 साल के थे और उनके बड़े भाई 12 साल के थे जब उनकी मां को उन दोनों को तीन महीने के लिए ऑफिशियल टूर पर जाना पड़ा। वह अपने पड़ोसियों के पास कुछ रुपये छोड़कर गई थीं, जिससे दोनों भाईयों ने अपना काम चलाया। दोनों भाईयों ने स्कूल जाना, अपनी फीस चुकाना, खाने की व्यवस्था करना, करने प्रेस करना सब खुद किया। हनीफ की मां कहती हैं कि जब वे बड़े हो रहे थे उस वक्त मैं उनके साथ बहुत कम ही रह पाती थी लेकिन उन्होंने कभी शिकायत नहीं की। लोगों को संदेश देते हुए उनकी मां कहती हैं कि देश की सेवा करने के लिए आपको आर्मी ज्वाइन करने की जरूरत नहीं है। आप जो भी कर रह हैं उसे ईमानदारी और सच्चाई से करें। दुखद है कि हम अपना काम भी ठीक से नहीं करते। देखिए उनका पूरा वीडियो….
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