इंग्लैंड की स्टूडेंट रौशन कर रही है यूपी के गांव, 1 हजार लोगों को मिली बिजली
भारत में बिजली एक बड़ी समस्या है, खासकर उत्तर भारत में तो इससे लोग हमेशा परेशान रहते हैं। पहले तो हर जगह बिजली है नहीं, और अगर है भी तो पूरी आती नहीं। आज हम बात कर रहे हैं उत्तर प्रदेश की, जहां इंग्लैंड से आई एक स्टूडेंट क्लेमेंटाइन चैम्बन ने गांवों को रौशन कर दिया है।
इंग्लैंड की एस्टीम्ड इम्पीरियल कॉलेज में पढ़ती हैं क्लेमेंटाइन
आपको बता दें, सवा सौ करोड़ की आबादी वाले मुल्क में हर पांचवें व्यक्ति के पास बिजली नहीं है। जिससे उन्हें सामाजिक और आर्थिक विकास के अवसर नहीं मिल पाते और वे विकास की रेस में काफी पीछे छूट जाते हैं। हालांकि कम से कम उत्तर प्रदेश में यह स्थिति बदल रही है। उत्तर प्रदेश के सर्वांतर गांव में लगभग 100 घरों में आज बिजली की रौशनी से जगमगा रही है। इसका पूरा श्रेय इंग्लैंड की एस्टीम्ड इम्पीरियल कॉलेज की स्टूडेंट क्लेमेंटाइन चैम्बन को है।
पीएचडी की रही हैं क्लेमेंटाइन
क्लेमेंटाइन केमिकल इंजिनियरिंग डिपार्टमेंट में पीएचडी फाइनल ईयर की छात्रा हैं। वह सोशल उद्यम स्टार्टअप कंपनी ऊर्जा के साथ मिलकर काम कर रही हैं। उन्होंने मिनी सोलर ग्रिड स्थापित करके लगभग 1,000 लोगों को बिजली मुहैया कराई। उन्हें अब बल्ब जलाने, फोन चार्जिंग और पंखे चलाने के लिए बिजली आने का इंतजार नही करना पड़ता है।
शुरू किया ऊर्जा सोशल स्टार्टअप
क्लेमेंटाइन ऊर्जा के क्षेत्र में ऐसा ही एक सोशल स्टार्टअप शुरू कर उत्तर प्रदेश के एक गांव को रोशन कर रही हैं। ऊर्जा सोशल स्टार्टअप की स्थापना 2015 में क्लेमेंटाइन और उनके सहयोगी भारतीय उद्यमी अमित रस्तोगी ने मिलकर की थी। इस स्टार्टअप का उद्देश्य उन लोगों तक बिजली की सुविधा उपलब्ध कराना था जिनके गांव में लाइट नहीं पहुंच सकी है। इसके साथ ही वे स्थायी आर्थिक विकास के लिए भी सोच रहे थे।
भारत में तेजी से बढ़ रही है सौर ऊर्जा की मांग
आज देश में पारंपरिक ही नहीं गैर-पारंपरिक ऊर्जा का भी भरपूर उत्पादन हो रहा है और यह सौर ऊर्जा के बहुत बड़े बाजार के रूप में उभर कर सामने आ रहा है। एक आकलन के अनुसार अगले तीन साल में देश में सौर ऊर्जा का उत्पादन बढ़ कर 20 हजार मेगावॉट होने की संभावना है और इसी के चलते अब विदेशी कंपनियों की निगाहें भी भारत पर लगी हुई हैं।
गांव वालों को मिली सहूलियत
सर्वांतर गांव के अधिकतर लोग खेती-किसानी और पशुपालन जैसे काम करते हैं। बिजली की सुविधा आ जाने के बाद उन्हें काफी सहूलियत होगी और मोबाइल चार्ज करने के लिए 5 किलोमीटर दूर नहीं जाना पड़ेगा। क्लेमेंटाइन बताती हैं कि सोलर पावर प्लांट लग जाने से किसानों को सिंचाई के लिए डीजल पंप पर भी निर्भर नहीं रहना पड़ेगा। अब सिंचाई की उनकी सारी जरूरतें सोलर पंप से ही पूरी हो जाएंगी। सोलर सिस्टम के आने के बाद गांव में सिंचाई के लिए ऐसे पंप की मांग काफी बढ़ गई है।
इम्पीरियल कॉलेज ऑफ लंदन के मुताबिक इस प्रॉजेक्ट के अगले चरण के तहत सोलर एनर्जी और बायोमास से बिजली के उत्पादन के लिए हाइब्रिड मिनी ग्रिड स्थापित किए जाएंगे। एक आधिकारिक बयान के मुताबिक इससे बड़े पैमाने पर बिजली की सप्लाई सुलभ हो सकेगी और आटा चक्की, सिलाई, वॉटर सप्लाई जैसे छोटे-छोटे उपक्रमों को लाभ हो सकेगा।
क्लेमेंटाइन ने अपने चीफ टेक्नॉलजी ऑफिसर प्लांट को डिजाइन किया। उन्होंने यह सुनिश्चित किया कि गांव के हर व्यक्ति को आसानी के साथ बिजली की सेवाएं मुहैया कराई जा सकें। उन्हें कम खर्च में टेक्नॉलजी को इस्तेमाल करने में महारत हासिल हो गई है। क्लेमेंटाइन ने प्रतिष्ठित कैंब्रिज यूनिवर्सिटी से बायोमास पावर में मास्टर डिग्री भी हासिल की है।
क्लेमेंटाइन के linkedin प्रोफाइल से उनके बारे में और जानें...
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