सोशल मीडिया पर हीरो बना हैदराबाद ट्रैफिक पुलिस का ये होमगार्ड, खूब हो रही तारीफ

एक बेघर बुजुर्ग महिला को फुटपाथ पर भोजन कराते हुए एक पुलिसकर्मी की तस्वीर इस समय सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रही है। सोशल मीडिया पर वायरल हो रही ये तस्वीर हैदराबाद ट्रैफिक पुलिस में होमगार्ड बी गोपाल की है जो कि एक बेघर महिला का सहारा बने। जिसके नौ बच्चे उसके बुढ़ापे की लाठी नहीं बने, उसका सहारा बी गोपाल बने।
मानवता दिखाते हुए उन्होंने जिस तरीके से अपने हाथों से फुटपाथ पर रहने वाली महिला को खाना खिलाया है उससे उनकी खूब तारीफ हो रही है। जब वो इस बुजुर्ग महिला को खाना खिला रहे थे तभी ये तस्वीर खींच ली गई। टि्वटर पर वायरल होती इस तस्वीर को राज्य के होम मिनिस्टर ने खूब तारीफ की है। गोपाल के काम की साइबराबाद पुलिस कमिश्नर वीसी सज्जनार और गृहमंत्री नयनी नरसिम्हा रेड्डी ने गोपाल जमकर तारीफ की। तेलंगाना डायरेक्टर जनरल ऑफ पुलिस की मुख्य जनसंपर्क अधिकारी हर्षा भार्गवी ने यह तस्वीर ट्वीट करते हुए लिखा, 'कुक्कतपल्ली ट्रैफिक पुलिस के होमगार्ड बी गोपाल की बेघर महिला को खाना खिलाते हुए इस तस्वीर ने लोगों का दिल जीत लिया।' उनके द्वारा ये तस्वीर एक अप्रैल को ट्ववीटर पर अपलोड की गई इसके बाद से इससे 9,511 से ज्यादा लाइक और तीन हजार तीन सौ से ज्यादा रिट्वीट मिल चुके हैं और यह सिलसिला अभी भी जारी है।
जेएलएनटी यूनिवर्सिटी के पास है तैतानी
होमगार्ड बी गोपाल जवाहर लाल नेहरू टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी के पास वाले जंक्शन पर तैनात थे। तभी उन्होंने कमजारे से दिखने वाली एक बुजुर्ग महिला को दयनीय हालत में देखा। उसका नाम बुचाम्मा है। एक स्थानीय अखबार में छपी खबर के मुताबिक वह महिला तीन दिन से एक टी स्टाल के बगल में बैठी हुई थी। पूछने पर पता चला कि उसके बेटे उसे छोड़कर चले गए। हामगार्ड बी गोपाल ने बताया कि उन्होंने महिला को चाय पिलाया और खाना खाने के लिए दिया, मगर महिला अपने हाथों से खा नहीं पा रही थी तो उन्होंने अपने हाथों से उसे खाना खिलाया।
बुजुर्ग बुचाम्मा के नौ बच्चे नहीं बने सहारा
बुलाम्मा टेलापुर की रहने वाली और उनके नौ बच्चे है, लेकिन कोई भी देखभाल को तैयार नहीं हुआ। महिला चेरलापल्ली स्थित आनंद आश्रम में लाकर छोड़ दिया। यही पर वे रहती थी। गोपाल के मुताबिक, पांच महीने पहले एक गाड़ी ने बुचाम्मा को टक्कर मार दी थी। तब वह उसे अस्पताल ले गए थे और देखभाल की थी। तब से वह डिपार्टमेंट के उन लोगों के काफी करीब रहती हैं। बुचाम्मा को आज भी आशा है कि उनमें से एक उनकी तलाश में आएगा और उन्हें घर ले जाएगा।
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