पैड फेंकने के लिए लड़कियों ने घर पर ही बनाया मटका इंसीनिरेटर, ऐसे करेगा काम

सैनेटरी पैड का इस्तेमाल भले साफ सफाई को ध्यान में रखकर किया जाता है लेकिन इसे इस्तेमाल के बाद जब फेंका जाता है तो ये हमारे पर्यावरण के लिए कितना नुकसानदेह हैं। ये ज्यादातर सिंथेटिक होते हैं और इन्हें गलने में कई साल लग जाते हैं जो हमारी सेहत के लिए भी खतरनाक है।
देश में हर महीने एक अरब से ज्यादा सैनेटरी पैड सीवर, कचरे के गड्ढों, मैदानों और जल स्रोतों में जमा होते हैं जो पर्यावरण के साथ हमारी हेल्थ पर भी असर डालते हैं। इस परेशानी का हल भी कुछ लड़कियों ने निकाल लिया है। संस्थाओं की मदद से कई महिलाएं व किशोरियां अब पैड फेंकने के लिए देसी तरीका अपना रही है जो न ही हमें बीमार करेगा और न पर्यावरण को गंदा।
लखनऊ के गोसाईंगंज ब्लॉक की प्रिया क्लास 8 में पढ़ती हैं प्रिया ने बताया गाँव में अभी भी लड़कियों के लिए ये बड़ी दिक्कत की बात है कि पैड कहां फेंकने जाएं। शौचालय बनने के बाद से अब घर से दूर जाने का भी बहाना खत्म हो गया। दूसरी बात ये भी है कि हम कोई देख न लें के चक्कर में आस पास कहीं भी इसे फेंक देते थे जो कि बहुत गलत है। इससे बीमारियां फैलती हैं ये बात हमें ये जागरूकता प्रोग्र्राम में पता चला। हमें उस एनजीओ ने इसका तरीका भी बताया कि हम कैसे घर में बिना पैसा लगाए मटका इंसीनिरेटर बना सकते हैं जिससे बीमारी भी नहीं होगी और हमें बार बार इसे दूर फेंकने भी नहीं जाना पड़ेगा।
एनजीओ ने दी लड़कियों को ट्रेनिंग
आज भी जानकारी की कमी में ज्यादातर लड़कियां पैड खुले में ही फेंकती है लेकिन इससे इंफेक्शन होने का भी डर रहता है। ऐसे में मटका इंसीनिरेटर कम बजट में एक अच्छ उपाय साबित हो रहा है। इसे बनाने की ट्रेनिंग दे रही संस्था वात्सल्य की कार्यकारी अध्यक्ष नीलम सिंह बताती हैं, हमने अवेयरनेस प्रोग्राम व सेशन करके लड़कियों को ये समझाया कि कैसे खुले में पैड फेंकना उनके आस पास के लोगों के लिए भी हानिकारक हो सकता है। गाँव में ये परेशानी ज्यादा थी वहां शाम के बाद लड़कियां घर से बाहर नहीं निकलती ऐसे में इन दिनों में उनके लिए पैड कहां फेंकें ये एक बड़ा सिर दर्द होता है। हमने लड़कियों का ट्रेनिंग दी कि वो कैसे घर में ही बहुम ही कम कीमत में जो न के बराबर है उसमें इंसीनिरेटर बना सकती हैं। इससे उनकी सारी परेशानी भी दूर हो जाएगी और कोई बीमारी भी नहीं फैलेगी।
कई गाँव की लड़कियों व महिलाओं ने ट्रेनिंग लेकर मिट्टी के घड़े से इंसीनिरेटर बनाया और वो अब उसी का इस्तेमाल करती हैं। अपने साथ साथ वो दूसरी महिलाओं को भी इसके बारे में बताती हैं कि इसके क्या फायदे हैं। लखनऊ के आठ ब्लॉक में ये प्रोग्राम चलाया जा रहा है इसके तहत अभी तक लगभग 430 गाँव की लड़कियों को इसकी जानकारी दी जा चुकी है।
कैसे बनाया जाता है इंसीनिरेटर
एक मिट्टी का घड़ा लें, इसके अंदर नीम के पत्ते रखें क्योंकि इसमें बैक्टीरिया से लड़ने की क्षमता होती है। अब माहवारी के दौरान हर रोज पैड कहीं इधर उधर न फेंक कर इसमें ही डालें। एक दो महीने इस्तेमाल करने के बाद इसमें आग लगा दें जिससे पैड जल जाए। बची राख को खेत में या कहीं दूर डाल दें। अब दोबार मटके का ऐसे ही इस्तेमाल करें।
संबंधित खबरें
सोसाइटी से
अन्य खबरें
Loading next News...
